पितरों का होगा पुण्य स्मरण
पितृपक्ष प्रारंभ: 16 दिनो तक चलेंगे श्राद्ध कर्म, तर्पण और पिण्डदान
बांधवभूमि न्यूज, देवनारायण भारद्वाज
उमरिया। पूर्वजों की आराधना का महापर्व श्राद्धपक्ष आज से आरंभ होगा। इस दौरान श्रावक स्नान दान-पुण्य हेतु अर्पित की सुबह-सुबह नदियों के तटों पर पहुंचेंगे और अपने पितरों को जल का तर्पण करेंगे। पितृपक्ष मे पिण्डदान का सिलसिला भी जारी रहेगा। उल्लेखनीय है कि सनातन संस्कृति मे पितृपक्ष का बहुत ही व्यापक महत्व है। यह हमे दिवंगत हो चुके अपने माता-पिता, सगे-संबंधियों सहित समस्त पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है। पितृपक्ष मे पूर्वजों के निमित्त श्राद्ध-कर्म, ब्राम्हण-भोज, तर्पण और पिण्डदान आदि क्रियाएं की जाती हैं। मान्यता है कि इस कार्य से पितृ प्रसन्न हो कर जातकों को सुख-समृद्धि, यश-वैभव और दीर्घायु का आशीर्वाद देते हैं। पितृपक्ष मे सभी शुभ कार्य बंद कर दिये जाते हैं। इन दिनो मे शादी विवाह, भवन-भूमि, वाहन, कपड़ा, सोना-चांदी आदि की खरीदी नहीं की जाती।
अमावस्या पर भी होंगे तर्पण
नदी के तटों के अलावा घरों में भी पितरों का तर्पण किया जाता है। नियत तिथि पर श्राद्ध करने की विधि निश्चित है। जिन जातकों को अपने पितरों के मृत्यु की तारीख ज्ञात नहीं होती, वे पितृमोक्ष अमावस्या के दिन तर्पण कर सकते हैं। आज श्राद्ध पर पहले तर्पण के साथ पितृपक्ष आरंभ होगा।
मृत्युलोक आते हैं पूर्वज
कहा जाता है कि आश्विन मास के पहले पखवाड़े मे दिवंगत पूर्वज मृत्यु-लोक मे अपनी संतानोंं का कुशलक्षेम जानने आते हैं। कृतज्ञ संतानें अपने इन पूर्वजों को कुश की विशेष अंगूठी धारण कर पूरे पखवाड़े जल से तर्पण देते हैं। इसके साथ ही दिवंगत पूर्वजों की मृत्यु तिथि पर पिण्डदान करने के अलावा बाह्मण भोजन और एक अंश भोजन गाय व कौओं को भी अर्पित करते हैं।
पितरों का होगा पुण्य स्मरण
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