पद संभालते ही सेना प्रमुख ने बताई अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता

नई दिल्ली। देश के नए सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने रविवार को कहा कि उनका ध्यान सेना की परिचालन और कार्यात्मक दक्षता बढ़ाने के लिए मौजूदा सुधारों, पुनर्गठन और परिवर्तन पर होगा। औपचारिक गार्ड ऑफ ऑनर के बाद उन्होंने कहा, “भू-राजनीतिक स्थिति तेजी से बदल रही है और हमारे सामने कई चुनौतियां हैं। यह भारतीय सेना का कर्तव्य है कि सभी के समन्वय में किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तैयार रहें। मेरा प्रयास होगा कि मेरे पूर्ववर्तियों द्वारा किए गए कार्यों को आगे बढ़ाऊं।” जनरल पांडे सेना प्रमुख नियुक्त होने वाले इंजीनियर कोर के पहले अधिकारी हैं। उन्होंने कहा, “मेरी सबसे बड़ी प्राथमिकता संघर्ष के पूरे स्पेक्ट्रम में वर्तमान, समकालीन और भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए परिचालन तैयारियों के उच्च मानकों को सुनिश्चित करना होगा।” उन्होंने कहा, “क्षमता विकास और बल आधुनिकीकरण के संदर्भ में मेरा प्रयास स्वदेशीकरण और आत्मनिर्भरता की प्रक्रिया के माध्यम से नई तकनीकों का लाभ उठाने का होगा। नए सेना प्रमुख ने कहा, “यह मेरे लिए गर्व की बात है कि मुझे भारतीय सेना का नेतृत्व दिया गया है। भारतीय सेना का एक गौरवशाली अतीत था जिसने राष्ट्र की सुरक्षा और अखंडता को बनाए रखा। उसी तरह इसने राष्ट्र निर्माण में योगदान दिया।” जनरल पांडे ने कहा, “भारतीय सेना के सभी अधिकारियों को इसके विभिन्न हथियारों और सेवाओं से करियर और पेशेवर विकास के लिए समान अवसर मिलते हैं। वरिष्ठ नेतृत्व के पदों पर सभी अधिकारी युद्ध के सभी पहलुओं पर प्रशिक्षित और उन्मुख होते हैं।” नए सेना प्रमुख ने जनरल मनोज मुकुंद नरवने से पदभार ग्रहण किया, जिन्होंने चार दशक की सैन्य सेवा के बाद अपने जूते उतार दिए। जनरल पांडे दो साल के लिए इस पद पर रहेंगे। नियमों के अनुसार सेना प्रमुख का कार्यकाल तीन वर्ष या 62 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, तक होता है।

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