पत्नी एक दिन पहले डेढ़ साल के मासूम बेटे को लेकर चली गई थी मायके

रीवा में मकान गिरने से 4 की मौत का मामला, अब परिवार में 3 लोग जिंदा बचे

रीवा रीवा मुख्यालय से 55 किमी. दूर मनगवां क्षेत्र के बहेरा घुचियारी गांव में बीते दिन अल सुबह 5 बजे कच्चा मकान गिरने से अपने पति और दो बेटियों सहित सास को खोने वाली सुलेखा पाण्डेय (33) के रो रोकर बुरे हाल है। गांव वालों ने बताया कि हादसे वाली सुबह के एक दिन पहले ही वह अपने डेढ़ साल के मासूम बेटे को लेकर रतनगवां मायके चली गई।जब​कि दूसरे नंबर की बेटी श्रेजल पाण्डेय (6) मलबे से निकलकर बच गई। ऐसे में अब परिवार में तीन लोग ही जिंदा बचे है। जबकि सास केमली पाण्डेय (60), पति मनोज पाण्डेय (35), बड़ी बेटी काजल पाण्डेय (8), सबसे छोटी बेटी आंचल पाण्डेय (4) की मलबे के अंदर दम घुटने से मौत हो चुकी है। एक साथ चार लोगों की मौत से जहां वह टूट रही है। वहीं आज न उसके पास रहने का घर है न खाने का भोजन। रिश्तेदार और गांव वालों के सहारे से किसी तरह रो रोकर रात कटी है। उधर जिला प्रशासन ने मृतकों के शव रविवार की देर शाम प्रयागराज एंबुलेंस से भेजवाकर विधि विधान से अंतिम संस्कार करा दिया। जन चर्चा है कि ​प्रशासन के लोग गांव में अंतिम संस्कार कराकर नए विवाद को जन्म नहीं ​देना चाह रहे थे। क्योंकि सुबह से ही पूरा गांव विरोध में था। साथ ही कांग्रेस नेताओं ने भी जिला प्रशासन के जिम्मेदारों पर सवाल उठा रहे थे। कांग्रेस का आरोप था कि अगर पाण्डेय परिवार के चार लोग मौत का शिकार हुए है। उसका जिम्मेदार सरकारी सिस्टम है।

बारिश के कारण गांव में संभव नहीं था अंतिम संस्कार
सूत्रों की मानें तो बारिश के कारण गांव में अंतिम संस्कार संभव नहीं था। जिलेभर में हुई बारिश के कारण सूखी लक​ड़ियों की व्यवस्था करना, जमीन गीली होने के कारण एक साथ चार शवों के अंतिम संस्कार करने में दिक्कत जाती। साथ ही गांव में टीन शेड का श्मशान स्थल भी नहीं था। अगर होता भी तो उसके अंदर चार शव नहीं जलाए जा सकते थे। ऐसे में जिला प्रशासन ने गांव के जिम्मेदारों और रिश्तेदारों की इच्छा से प्रयागराज ले जाने की तैयारी बनाई गई थी।

तो सोमवार को होता अंतिम संस्कार
जानकारों की मानें तो हिन्दू धर्म में सूर्य अस्त से पहले अंतिम संस्कार होता है। लेकिन बारिश के कारण आनन फानन में तैयारी करना चुनौती पूर्ण था। जिससे दूसरे दिन सोमवार को अंतिम संस्कार कराया जाता। ऐसे में दूसरे दिन विरोध प्रदर्शन बढ़ सकता था। जो जिला प्रशासन चाहता नहीं था। साथ ही बीते दिन गमनीय माहौल में मृतक पाण्डेय परिवार के घर में ​अग्नि देने वालों की व्यवस्था करना आदि चुनातियों भरा था। जिससे सबकी सहमति से प्रयागराज का निर्णय किया गया था।

जीवन भर का जख्म दे गई सुलेखा को बारिश
मृतक परिवार का कहना है कि बीते दिन की बारिश ने सुलेखा को जीवनभर का जख्म देकर चली गई है। अगर सरकारी सिस्टम के लोग 15000 ​न मांगते तो उसको पीएम आवास मिल जाता। जिससे न कच्चा घर गिरता। बल्कि परिवार के सभी सदस्य जिंदा होते। लेकिन शायद ईश्वर को यही मंजूर था। पर भगवान सुलेखा को एक बेटा और बेटी सहारा के रूप में दे गए। जिससे आगे की जिंदगी काटना तो चुनौती पूर्ण है। बेटे और बेटी को देखकर जीवन जी सकती है।

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