रीवा में मकान गिरने से 4 की मौत का मामला, अब परिवार में 3 लोग जिंदा बचे
बारिश के कारण गांव में संभव नहीं था अंतिम संस्कार
सूत्रों की मानें तो बारिश के कारण गांव में अंतिम संस्कार संभव नहीं था। जिलेभर में हुई बारिश के कारण सूखी लकड़ियों की व्यवस्था करना, जमीन गीली होने के कारण एक साथ चार शवों के अंतिम संस्कार करने में दिक्कत जाती। साथ ही गांव में टीन शेड का श्मशान स्थल भी नहीं था। अगर होता भी तो उसके अंदर चार शव नहीं जलाए जा सकते थे। ऐसे में जिला प्रशासन ने गांव के जिम्मेदारों और रिश्तेदारों की इच्छा से प्रयागराज ले जाने की तैयारी बनाई गई थी।
तो सोमवार को होता अंतिम संस्कार
जानकारों की मानें तो हिन्दू धर्म में सूर्य अस्त से पहले अंतिम संस्कार होता है। लेकिन बारिश के कारण आनन फानन में तैयारी करना चुनौती पूर्ण था। जिससे दूसरे दिन सोमवार को अंतिम संस्कार कराया जाता। ऐसे में दूसरे दिन विरोध प्रदर्शन बढ़ सकता था। जो जिला प्रशासन चाहता नहीं था। साथ ही बीते दिन गमनीय माहौल में मृतक पाण्डेय परिवार के घर में अग्नि देने वालों की व्यवस्था करना आदि चुनातियों भरा था। जिससे सबकी सहमति से प्रयागराज का निर्णय किया गया था।
जीवन भर का जख्म दे गई सुलेखा को बारिश
मृतक परिवार का कहना है कि बीते दिन की बारिश ने सुलेखा को जीवनभर का जख्म देकर चली गई है। अगर सरकारी सिस्टम के लोग 15000 न मांगते तो उसको पीएम आवास मिल जाता। जिससे न कच्चा घर गिरता। बल्कि परिवार के सभी सदस्य जिंदा होते। लेकिन शायद ईश्वर को यही मंजूर था। पर भगवान सुलेखा को एक बेटा और बेटी सहारा के रूप में दे गए। जिससे आगे की जिंदगी काटना तो चुनौती पूर्ण है। बेटे और बेटी को देखकर जीवन जी सकती है।