पंचमी पर हुई नागदेवता की आराधना

मंदिरों मे उमड़े श्रद्धालु, अखाड़ों मे पहलवानो के बीच जोरआजमाईश
बांधवभूमि, उमरिया
नागपंचमी का पावन पर्व कल जिले भर मे आस्था, विश्वास और धार्मिक भावना से ओतप्रोत हो कर मनाया गया। इस मौके पर नाग देवता की विधि विधानपूर्वक पूजा अर्चना कर उन्हे भोग स्वरूप दुग्ध अर्पित किया गया। त्यौहार पर शिवालयों मे सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ बनी रही, वही घरों मे भी विशेष आराधना की गई। सनातन परंपरा मे नागों को देवता स्वरूप माना जाता है। शास्त्रों के मुताबिक नाग देवता पर ही धरती स्थापित है। ये मानव की अनिष्टों से रक्षा कर सुख समृद्धि प्रदान करतें हैं। वहीं विज्ञान सापों को प्रकृति संतुलन का आधार मानती हैं। बढ़ती आबादी और उनके ठिकानो मे बस्तियों के निर्माण की वजह से इस जीव की शांति मे खलल उत्पन्न हुआ है। वहीं अपनी जान का दुश्मन मान कर लोग आये दिन सापों की हत्या करते हैं। जिससे ये विलुप्त जीवों की श्रेणी मे आ गये हैं। पर्यावरणविदों का मानना है कि सांप बेहद शांत और भीरू प्रकृति का जीव है। यह तब तक कोई नुकसान नहीं पहुंचाता जब तक इसे खतरे का आभास न हो। लिहाजा केवल नागपंचमी पर सापों की पूजा न हो, बल्कि आगे भी इनके संरक्षण का प्रयास जारी रहना चाहिये।
पहलवानो के दांव-पेंच से रोमांचित हुए दर्शक
नागपंचमी पर शहर के पुराने पोस्ट आफिस के सामने शीतला सेवा समिति कैम्प द्वारा दंगल का आयोजन किया गया, जिसमे जिला मुख्यालय और आसपास के क्षेत्रों से आये पहलवानो ने हिस्सा लिया। इन पहलवानो मे युवा, प्रौढ़ के अलावा बच्चे भी शामिल थे। जिन्होने अखाड़े मे अपना हुनर दिखाया। कुछ कुश्तियां काफी देर तक चली। पहलवानो के दांव-पेंच देख कर सैकड़ों की संख्या मे मौजूद दर्शक रोमांचित होते रहे। इस दौरान विजेता-उपविजेता पहलवानो को कमेटी की ओर से पुरस्कार प्रदान किया गया। उल्लेखनीय है कि नगर मे नागपंचमी पर कुश्ती के आयोजन की बहुत पुरानी परंपरा है, जो कोरोना के कारण दो वर्ष बाधित रही। इसके बाद से यह आयोजन लगातार हो रहा है।

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