नौ-नौ घंटे देरी से आई संपर्क क्रांति और उत्कल

जनता को चुभ रही ट्रेनो की लेटलतीफी, पटरी नहीं आ रहा गाडिय़ों का संचालन
बांधवभूमि, उमरिया
जिले से गुजरने वाली यात्री गाडिय़ों की लेटलतीफी लोगों को चुभने लगी है। महीनो बाद भी गाडिय़ों का संचालन पटरी पर आने की बजाय और अस्त-व्यस्त होता जा रहा है। अब तो वे ट्रेने भी अव्यवस्था का शिकार हो रही हैं, जिनसे कभी घडिय़ां मिलाई जाती थी। उन्हीे मे शुमार 12824 निजामुद्दीन-दुर्ग संपर्क क्रांति सुपर फास्ट एक्सप्रेस शनिवार को 9 घंटे देरी से उमरिया पहुंची। गाडिय़ों के देरी से चलने के कारण यात्रियों की भारी फजीहत हो रही है। एक ओर जहां वे समय पर अपने गंतव्य तक नहीं पहुंच पा रहे हैं, वहीं इस वजह से उनकी आगे की यात्रा भी प्रभावित हो रही है। संपर्क क्रांति ट्रेन से जा रहे कुछ यात्रियों ने बताया कि आज उन्हे बिलासपुर से दूसरी ट्रेन पकडऩी थी, पर अब ऐसा नहीं हो पायेगा। उनका कहना है कि यदि आगे की ट्रेन छूट गई तो रिजर्वेशन भी बेकार हो जायेगा।
अमरकण्टक ग्यारह घंटे लेट
इसके अलावा 18478 हरिद्वार-पुरी उमरिया से 9 घंटे लेट गुजरी। वहीं दुर्ग से भोपाल जाने वाली 12853 अमरकण्टक एक्सप्रेस 11 घंटे लेट आई। जबकि 12854 भोपाल-दुर्ग अमरकण्टक 11 घंटे, 15232 गोंदिया-बरौनी 6 घंटे, 15231 बरौनी-गोंदिया 4 घंटे और इंदौर-बिलासपुर नर्मदा एक्सप्रेस करीब 1.30 घंटे देर से आई।
न्यू कटनी बना अभिशाप
जानकारों का मानना है कि कई गाडिय़ां आगे से लेट तो आ ही रही हैं, न्यू कटनी मे बैठे अधिकारी, कर्मचारी उनकी दुर्दशा करने मे कोई कोर कसर नहीं छोड़ते। मेन कटनी, साउथ या मुडवारा से बिलासपुर मण्डल मे प्रवेश करने से पहले अर्थात झलवारा तक कई जगहों पर यात्री गाडिय़ों को घंटो रोक पर गुड्स ट्रेनो को निकाला जाता है। तीन-चार माल गाडिय़ां निकालने के बाद जाकर पैसेंजर ट्रेन की सुध ली जाती है। सवाल उठता है कि जब यात्री गाड़ी को निकालना ही है तो उसे दो-तीन घंटे रोकने का क्या औचित्य है।
पहले कोयला निकालने का आदेश
दूसरी ओर कोयले के परिवहन को यात्री ट्रेनो की फजीहत का बड़ा कारण माना जा रहा है। सूत्रों का दावा है कि सरकार ने रेलवे को पैसेंजर ट्रेनो की बजाय पहले उद्योगपतियों का कोयला निकालने के निर्देश दिये हैं। इतना ही नहीं खाली मालगाडिय़ों कहीं न रूकें, इस पर विशेष ध्यान रखने को कहा गया है। किसी कारणवश यदि सेक्शन खाली रहा तो, जिम्मेदारों के खिलाफ चार्जशीट जारी हो जाती है। इसी डर से विभागीय अमला जनता की फिक्र छोड़, सरकार के फरमान को पूरा करने मे लगा हुआ है।
बहरे हुए जनप्रतिनिधि
गाडिय़ों की देरी हो, स्टापेज का मसला या फिर अन्य यात्री सुविधाओं की बात। जिले के नागरिकों की इन समस्याओं से जनता के नुमाईन्दों को कोई लेना-देना नहीं है। ऐसा लगता है, जैसे उन्हे कुछ सुनाई ही नहीं दे रहा हो। लोग वर्षो से संभाग से नागपुर, मुंबई, अहमदाबाद आदि स्थानो के लिये सीधी रेल सेवाओं की मांग कर रहे हैं। वह मिलना तो दूर कई महत्वपूर्ण ट्रेने जिला मुख्यालय जैसी स्टेशन पर नहीं रूक रही हैं।

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