नोटिफिकेशन के बाद चलेंगी ट्रेने

चिरमिरी से चंदिया, कटनी और रीवा यात्री गाडिय़ों का संचालन अभी तय नहीं
बांधवभूमि, उमरिया
करीब तीन वर्षो से बंद पड़ी चिरमिरी से चंदिया, कटनी और रीवा के बीच चलने वाली यात्री गाडिय़ों के संचालन की तारीख अभी तय नहीं हुई है। दक्षिण मध्य पूर्व रेलवे के अधिकृत सूत्रों ने उक्ताशय की जानकारी देते हुए बताया कि ट्रेनो के शुरू होने से पहले रेल प्रशासन इस संबंध मे अधिसूचना जारी करता है, इसके बाद ही आगे की कार्यवाही अर्थात इनके संचालन की तिथियां निश्चित की जाती हैं। उल्लेखनीय है कि संभाग मे संचालित ये तीनो ट्रेने गरीब और मध्यम वर्ग के लिये बेहद महत्वपूर्ण हैं, जिनमे छोटे-मोटे व्यापारी, नौकरी पेशा, किसान, युवा आदि विभिन्न वर्ग बहुतायत मे सफर करते हैं। इनके बंद होने से लोगों को प्रायवेट बसों और टेक्सियों मे सफर करना पड़ रहा है। जिनका किराया ट्रेनो के मुकाबले अत्यंत अधिक है।
कोरोना के समय हुई थी बंद
विदित हो कि देश मे कोरोना महामारी के पैर पसारने के बाद सरकार द्वारा अन्य गतिविधियों के सांथ ही ट्रेनो का संचालन भी बंद कर दिया गया था। करीब दो साल के बाद जैसे-जैसे महामारी नियंत्रित हुई, ट्रेनो का संचालन भी शुरू होता गया। हलांकि इस मामले मे भी शहडोल संभाग की घोर उपेक्षा हुई। हाल ही मे हो-हल्ला मचने के बाद रेलवे ने अन्य ट्रेने तो शुरू कर दी लेकिन चिरमिरी से चंदिया, कटनी और रीवा के बीच चलने वाली गाडिय़ां अब भी ठप्प हैं। बीते दिनो सोशल मीडिया पर इनके अगस्त से शुरू होने की खबरें वायरल हो रही थी, परंतु रेलवे के सूत्रों ने इसकी पुष्टि नहीं की है।
कई ट्रेनो का स्टापेज भी छीना
इसके अलावा कोरोना के समय रद्द की गई कई ट्रेनो का स्टापेज उमरिया से छीन लिया गया है। इनमे दुर्ग-छपरा सारनाथ, कानपुर-दुर्ग तथा रीवा-बिलासपुर जैसी गाडिय़ां भी हैं, जो वर्षो से जिला मुख्यालय सहित जिले के अन्य स्टेशनो पर रूकती चली आ रही थी। नागरिकों के लिये चिंता और दुख की बात यह भी है कि रेलवे की उपेक्षा पर जिले के मूर्धन्य जनप्रतिनिधि मौन हैं। जिसकी वजह से क्षेत्र का शोषण कुछ ज्यादा ही हो रहा है।
उठती रही बांधवभूमि की आवाज
बांधवभूमि ने नागरिकों की उपेक्षा और समस्याओं को हमेशा प्रखरता से उठाया है, इसी का नतीजा है, कि रेलवे की मनमानी पर ब्रेक लगा है। अन्यथा कोरोना के बाद पुरानी ट्रेने हों या फिर नई गाडिय़ां। रेलवे की समय सारणी से उमरिया का नाम धड़ल्ले से गायब किया जा रहा था। जिसे कड़ाई के सांथ बार-बार प्रकाशित करने से जहां जनता जागरूक हुई वहीं रेल अधिकारियों को भी इसका एहसास हुआ। सांथ ही घर मे छिपे बैठे नुमाईन्दों को भी जनाक्रोष का डर सताने लगा है।

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