निकायों के लिये समस्या बनेगा सरकार का नया नियम

हर प्रजाति के पशुओं का पंजीयन, उल्लंघन पर कार्यवाही की जिम्मेदारी भी लेनी होगी
बांधवभूमि, उमरिया
जिले के नगरीय निकायों के लिये शासन का नया फरमान आने वाले समय मे समस्या बन सकता है। इसके तहत नगरीय क्षेत्र मे पशुओं को रखने के लिये उनका पंजीयन और उल्लंघन पर कार्यवाही शामिल है। जानकारी के मुताबिक राज्य सरकार द्वारा बनाये गये नये नियम मे किसी भी प्रजाति के पशु को रखने से पहले नगरीय निकायों से इनका पंजीयन कराना होगा। इतना ही नहीं पालकों को हर वर्ष इस पंजीयन का नवीनीकरण भी कराना पड़ेगा। इसके लिए मप्र सरकार जल्द ही पशुओं का रजिस्ट्रेशन एवं नियंत्रण नियम 2022 लागू करने वाली है। इसके प्रभावी होने के बाद यदि पालतू पशु ने किसी को नुकसान पहुंचाया तो उसे बांड भरना होगा। बांड टूटने पर पंजीयन निरस्त करके पशु को शेल्टर होम भेज दिया जाएगा।
जब्त किये जायेंगे पशु
बताया गया है कि मवेशियों के मामले मे तीन बार से अधिक अवारा घूमता मिलने पर पशु को छुड़ाने के लिए बांड भरना पड़ेगा। इसके बाद भी सुधार नहीं हुआ तो पशुओं को हमेशा के लिए गो अभयारण्य मे भेज दिया जाएगा। नगरीय प्रशासन एवं विकास संचालनालय ने पाया है कि शहरी क्षेत्रों मे आवारा मवेशियों के साथ पालतू जानवरों की संख्या भी बढ़ रही है। इससे शहर की व्यवस्थाओं पर भार पड़ता है। ऐसे में नई नीति के तहत नगरीय निकाय क्षेत्रों मे इन्हें नियंत्रित करने के लिए पंजीयन अनिवार्य होगा।
नुकसान पहुंचाया तो कार्यवाही
पशु मालिक को पंजीयन के बाद हर वर्ष उसका नवीनीकरण कराना होगा। उनके ङ्क्षहसक होने किसी को नुकसान पहुंचाने पर पहली बार में बांड भरवाया जाएगा लेकिन गंभीर आपत्ति आने पर पहली बार में ही शेल्टर होम भेजा जा सकेगा और मालिकों को इसे मानना होगा। वर्तमान में नियम नहीं होने के चलते पशु मालिक पशुओं को नहीं सौंपते हैं वहीं उन पर कोई कार्रवाई भी नहीं हो पाती है। अनिवार्य पंजीयन के बाद घरेलू पशुओं के शरीर पर टैग लगाया जाएगा। इसमे एक यूनिक आइडी होगी जिससे इनकी और इनके मालिकों की पहचान हो सकेगी। हालांकि घरेलू जानवरों के अवारा घूमते मिलने पर कितना जुर्माना लगाया जाएगा अभी राशि तय नहीं की गई है।
यह आयेगी समस्या
यह सही है कि जिले मे भी आवारा पशुओं की समस्या गंभीर हो चली है, जिसे नियंत्रित करने के प्रयास जरूरी हैं, परंतु यह कार्य बिना ठोस नीति और कार्यवाही के संभव नहीं है। जानकारों का मानना है कि निकायों मे पहले से ही अमले की भारी कमी है। ऐसे मे पशुओं के पंजीयन के अलावा अन्य कार्यवाही की व्यवस्था मुश्किल है। इसके लिये नगरीय निकायों को संसाधन बढ़ाने होंगे। पंजीयन और टीकाकारण के लिए अलग से कर्मचारियों को तैनात करना पड़ेगा। गोवंश के लिए निकायों में पर्याप्त कांजी हाउस और कुत्ता-बिल्लियों के लिए शेल्टर होम बनाना होगा। यह कार्य बगैर अतिरिक्त बजट के संभव नहीं है।

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