भोपाल। पालपुर कूनो नेशनल पार्क से बुरी खबर आई है। नामीबिया से लाई गई मादा चीता साशा की मौत हो गई है। वह लंबे समय से बीमार थी। वन्य प्राणी चिकित्सक उपचार कर रहे थे किंतु वह सुबह 8:30 बजे उसकी मौत हो गई। मादा चीता साशा की मौत की पुष्टि अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) शुभ रंजन सेन ने की है। सेन ने बताया कि साशा किडनी की बीमारी से पीड़ित थी। जानकारी के मुताबिक जनवरी में मादा चीता साशा 23 जनवरी से बीमार चल रही थी। डिहाइड्रेशन के कारण किडनी में इंफेक्शन हो गया था। तब चिकित्सकों की टीम डॉ ओमकार अंचल, डॉक्टर जितेंद्र जाटव और डॉक्टर सनाथ विल उसका इलाज कर रहे थे। इलाज के दौरान वह स्वस्थ होने लगी थी। अचानक फिर 2 दिनों से बीमार हो गई। मादा चीता साशा अस्वस्थ होने की खबर मिलते ही उसे क्वॉरेंटाइन बाड़े में बुलाया गया। खून के नमूने की जांच के बाद यह पता चला कि उसके गुर्दे में संक्रमण पाया गया है। भारतीय वन जीव संस्थान देहरादून के वरिष्ठ वैज्ञानिकों एवं कूनो राष्ट्रीय उद्यान प्रबंधन द्वारा की ताकत जवेशन फाउंडेशन नामीबिया से चाचा की ट्रीटमेंट हिस्ट्री प्राप्त की गई। इससे पता चला कि 15 अगस्त 22 को नामीबिया में किए गए अंतिम खून नमूने की जांच में भी क्रीयेटिनिन का स्तर 400 से अधिक पाया गया था, जिससे यह पुष्टि भी होती है कि साशा गुर्दे की बीमारी भारत में आने के पहले से ही थी। डॉक्टरों ने तमाम कोशिश की किंतु वे उसे बचा नहीं सके। साशा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन 17 सितंबर 2022 को नामीबिया से आठ चीतों को लाया गया था। इनमें पांच मादा और तीन नर चीते शामिल हैं।
नामीबिया से लाए गए साशा सहित चीते
यह भी उल्लेखनीय है कि नामीबिया से लाए गए 8 चीतों में 3 चीतों को शारीरिक रूप से अनफिट पाये गये थे। भारत में एकमात्र चीता विशेषज्ञ डॉक्टर झाला ने पहले ही शारीरिक रूप से अनफिट 3 चीतों को लाने से इंकार कर दिया। लेकिन भारत के इनकार के बाद नामीबिया ने सभी 8 चीतों को भी देने से मना कर दिया था। नामीबिया के इनकार के बाद भारत को विवश होकर अस्वस्थ चीतें भी लाने पड़े। नतीजा यह हुआ कि एक माता पिता की सोमवार को सुबह 8:30 बजे मौत हो गई।
नामीबिया से लाई गई मादा चीता साशा की मौत
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