केन्द्र ने कोरोना से मृतक के परिवार को मुआवजा देने के मामले मे सुप्रीम कोर्ट मे पेश किया हलफनामा
नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार ने उच्चतम न्यायालय को बताया है कि कोविड-१९ से मरने वाले लोगों के परिवारों को चार लाख रुपये मुआवजा नहीं दिया जा सकता, क्योंकि वित्तीय बोझ उठाना मुमकिन नहीं है। केंद्र तथा राज्य सरकारों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। शीर्ष अदालत में एक हलफनामे में गृह मंत्रालय ने कहा है, कि आपदा प्रबंधन कानून २००५ की धारा १२ के तहत ”न्यूनतम मानक राहत के तौर पर स्वास्थ्य, आधारभूत संरचना बढ़ाने, प्रत्येक नागरिक को खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस और तेज कदम उठाए गए हैं। हलफनामे में कहा कि ”कोविड-१९ के कारण जान गंवाने वाले सभी लोगों के परिवारों को मुआवजा देना राज्य सरकारों के वित्तीय बूते के बाहर है। क्योंकि महामारी के कारण राजस्व में कटौती और स्वास्थ्य संबंधी खर्च बढ़ने से राज्य और केंद्र सरकार की वित्तीय स्थिति पहले से दबाव में आ गई है। इसकारण मुआवजा देने के लिए सीमित संसाधनों के इस्तेमाल से दुर्भाग्यपूर्ण परिणाम होगा और महामारी से निपटने और स्वास्थ्य खर्च पर असर पड़ सकता है तथा लाभ की तुलना में नुकसान ज्यादा होगा। यह एक दुर्भाग्यपूर्ण लेकिन महत्वपूर्ण तथ्य है कि सरकारों के संसाधनों की सीमाएं हैं और मुआवजे के माध्यम से कोई भी अतिरिक्त बोझ अन्य स्वास्थ्य और कल्याणकारी योजनाओं के लिए उपलब्ध धन को कम करेगा।
वैश्विक स्तर इसी दृष्टिकोण को अपनाया
केंद्र ने कहा है कि आपदा प्रबंधन कानून, २००५ की धारा १२ के तहत ”राष्ट्रीय प्राधिकार है जिसे अनुग्रह सहायता सहित राहत के न्यूनतम मानकों के लिए दिशा-निर्देशों की सिफारिश करने का अधिकार है और संसद द्वारा पारित कानून के तहत यह प्राधिकर को सौंपा गया कार्य है। हलफनामे में कहा गया कि यह सर्वोच्च न्यायालय के कई निर्णयों के माध्यम से अच्छी तरह से तय हो गया है कि यह एक ऐसा मामला है जिसे प्राधिकरण द्वारा निष्पादित किया जाना चाहिए, जिसे इसकी जिम्मेदारी दी गयी है और अदालत के माध्यम से यह नहीं होना चाहिए। हलफनामे में कहा गया, स्वास्थ्य देखभाल, सामाजिक सुरक्षा और प्रभावित समुदायों के लिए आॢथक बेहतरी जैसा व्यापक दृष्टिकोण ज्यादा विवेकपूर्ण, जिम्मेदार और टिकाऊ नजरिया होगा। वैश्विक स्तर पर दूसरे देशों में भी सरकारों ने इसी दृष्टिकोण को अपनाकर उन उपायों की घोषणा की जिससे अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिला। भारत सरकार ने भी यही दृष्टिकोण अपनाया है।
याचिकाओं में किए गए अनुरोध सही
इसके पहले ११ जून को केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया था कि कोविड-१९ से मरने वाले लोगों के परिवारों को मुआवजे के लिए याचिकाओं में किए गए अनुरोध ”सहीÓÓ हैं और सरकार इस पर विचार कर रही है। न्यायालय ने कोविड-१९ से मरने वालों के परिवारों को चार लाख रूपये की अनुग्रह राशि देने के अनुरोध वाली दो याचिकाओं पर २४ मई को केंद्र से जवाब मांगकर कहा था कि वायरस की चपेट में आने वालों के लिए मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के संबंध में एक समान नीति होनी चाहिए।
मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने जरूरत
शीर्ष अदालत ने केंद्र से कोविड-१९ से जान गंवानों वालों के मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने पर भारतीय आयुॢवज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के दिशा-निर्देश को भी रिकॉर्ड पर रखने का निर्देश देकर कहा कि इसतरह कागजात जारी करते समय एक समान नीति होनी चाहिए। मामले में याचिकाकर्ता के वकील गौरव कुमार बंसल ने दलील दी थी कि आपदा प्रबंधन कानून, २००५ की धारा १२ (तीन) के तहत प्रत्येक परिवार चार लाख रूपये मुआवजा का हकदार है, जिसके सदस्य की कोरोना से मौत हुई। एक अन्य याचिकाकर्ता के वकील रीपक कंसल ने दलील दी थी कि कोविड-१९ के कारण बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई और मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने की जरूरत है क्योंकि इसी के जरिए प्रभावित परिवार कानून की धारा १२ (तीन) के तहत मुआवजे का दावा कर सकते हैं।