नरवाई जलाने से नष्ट होती उर्वरा
उप संचालक कृषि ने किसानो को किया आगाह, आग भड़कने का भी खतरा
बांधवभूमि, उमरिया
रबी की कटाई होते ही किसान खेतों मे फसल के अवशेष को कचरा समझ कर जलाने मे जुट जाते हैं, परंतु इससे कई प्रकार की समस्यायें उत्पन्न हो रही है। खेतों की नरवाई जलाने से प्रकृति, पर्यावरण और भूमि को भारी नुकसान तो होता ही है, कई बार इससे आसपास के क्षेत्रों मे आगजनित हादसे भी हो जाते हैं। कृषि विभाग के उप संचालक खेलावन डेहरिया ने बताया कि किसान नरवाई को बचा कर नकेवल ऐसी अप्रिय घटनाओं को रोक सकते हैं, बल्कि इसका इस्तेमाल अपने खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ाने मे भी कर सकते हैं।
नष्ट हो जाते पोषक तत्व
उप संचालक श्री डेहरिया ने बताया कि फसल अवशेषों को जलाने से कई तरह की पर्यावरणीय एवं मृदा जनित समस्यायें आती हैं। जिनमे भूमि मे उपस्थित पोषक तत्व व लाभदायक कीड़ों का नष्ट हो जाना, भूमि सख्त होना, पर्यावरण प्रदूषण, धरती का तापमान बढऩे, मिट्टी मे कार्बन की मात्रा बढऩा, भूसे की कमी, आग भड़कने से आसपास के जंगल नष्ट होना और जानमाल का नुकसान शामिल है।
अवशेषों से बनते कार्बनिक पदार्थ
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक कटाई किये गये प्रक्षेत्र मे उत्पादित अनाज की तुलना मे 1.29 गुना फसल अवशेष होते हैं। जो कि खेतों मे सड़ कर मृदा मे कार्बनिक पदार्थो की मात्रा को बढ़ाते हैं। कार्बनिक पदार्थ ही एक मात्र ऐसा स्त्रोत है, जिसके द्वारा जमीन मे उपस्थित विभिन्न पोषक तत्व फसलों को मिल पाते हैं। इसके अलावा फसल अवशेषों मे लगभग सभी पोषक तत्वों के सांथ 0.45 प्रतिशत नाईट्रोजन की मात्रा पाई जाती है। जो कि उर्वरा शक्ति बढ़ाने मे बेहद उपयोगी है।
यह भी होता है फायदा
मृदा मे फसल अवशेषों को मिलाने से उसके रासायनिक गुण, पोषक तत्वों की मात्रा, विद्युत चालकता एवं पीएच मे सुधार होता है। जिससे आने वाले फसलों की उत्पादकता मे बढ़ोत्तरी होती है।
बढ़ायें भूमि की कार्बनिक शक्ति
किसान भाई खेतों की नरवाई न जलायें। भूमि को रिचार्ज करने के लिये फसल की कटाई मजदूरों से करवानी चाहिये। सांथ ही बचे हुए भूंसे के डंठल को खेत मे ही एमबी प्लाऊ से गहरी जुताई करके मिट्टी मे दबा दें। जिससे आगामी समय मे यह जमीन की कार्बनिक शक्ति बढ़ाने मे मददगार साबित हो सके।
खेलावन डेहरिया
उप संचालक
किसान कल्याण तथा कृषि विभाग
उमरिया
नरवाई जलाने से नष्ट होती उर्वरा
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