नक्सलियों के निशाने पर जवानों के रिश्तेदार

बस्तर। छत्तीसगढ़ में नक्सलियों ने अब सुरक्षा बलों में काम कर रहे जवानों के परिवार वालों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। रविवार रात सुकमा जिले के जगरगुंडा थाना क्षेत्र के मिलमपल्ली इलाके में दो युवकों के शव बरामद हुए। इनमें से एक की उम्र केवल 15 साल है और वह स्कूली छात्र है। दूसरे युवक की उम्र 21 साल बताई जा रही है। 15 वर्षीय मृतक की पहचान मड़कम अर्जुन के रूप में हुई है। जबकि दूसरे का नाम ताती हड़मा है। अर्जुन का भाई बस्तरिया बटालियन में जवान है, जबकि ताती हड़मा के पिता सहायक आरक्षक रह चुके हैं और नक्सली धमकी के बाद ही उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी। माओवादियों ने मौके पर पर्चे भी फेंके हैं और दोनों पर पुलिस मुखबिरी का आरोप लगाया है। जिले के SP केएल ध्रुव ने घटना की पुष्टि की है। फिलहाल मामले की जांच की जा रही है। ताती हड़मा और मड़कम अर्जुन को नक्सली रात को ही घर से जंगल की ओर ले गए थे।
ऐसा पहली बार जब 15 साल के बच्चे को मारा
अमूमन नक्सली छात्रों का, बच्चों का उपयोग अपने लाभ के लिए करते हैं। ये बच्चों का ब्रेन वाश कर उन्हें अपने संगठन में भर्ती करते हैं। उनसे सूचनाएं, सामान लेने-देने का काम कराते हैं। इस तरह 15 साल के छात्र की हत्या की बात नयी है। पुलिस सूत्रों का मानना है कि लगातार फोर्स नक्सलियों पर दबाव बना रही है। गांवों में उनके सूचना तंत्र को तोड़ रही है। इससे नक्सली बौखला गए हैं और लगातार निर्दोष ग्रामीणों को मार रहे हैं। इसके पीछे उनकी मंशा गांवों में दहशत फैलाना है, जिससे कोई उनके खिलाफ आवाज ना उठाए।
चार दिन में तीन हत्याएं
इससे पहले शनिवार को भी सुकमा के दोरनापाल-जगरगुंडा इलाके में ही नक्सलियों ने एक शख्स की हत्या कर दी। जिसे मारा गया वो इस इलाके में सड़क निर्माण के काम में लगा कर्मचारी था। उस दौरान नक्सलियों ने दो गाड़ियों को भी आग के हवाले कर दिया था। इतना ही नहीं नक्सली मौके पर काम कर रहे 3 लोगों को अगवा किया था और अपने साथ जंगल की ओर ले गए थे, हालांकि दो को बाद में छोड़ दिया गया था और एक की हत्या कर दी गई।
थाने से आधा किलोमीटर दूर 2 जवानों की हत्या
गुरूवार को जिले के ही भेज्जी थाने से सिर्फ आधा किलोमीटर दूर पर पुलिस के दो जवानों की हत्या कर दी गई थी। जिन पुलिसवालों की हत्या हुई है वे भेज्जी थाने में ही तैनात थे। उस दौरान ग्रामीण सूत्रों ने बताया था कि हत्या के पीछे नक्सलियों की स्मॉल एक्शन टीम का हाथ हो सकता है। इस तरह की टीमें कैंप से बाहर निकले पुलिस के लोगों पर नजर रखती हैं। हालांकि पुलिस ने उस दौरान कहा था कि घटना में नक्सलियों के शामिल होने की कोई जानकारी नहीं।
3 अप्रैल को 23 जवानों की हुई थी शहादत
दंतेवाड़ा में शनिवार को भी नक्सलियों के लगाए गए IED की चपेट में आने से एक ग्रामीण की मौत हुई थी। उस दौरान जिले के एसपी ने बताया था कि नक्सली पूरी तरह से बौखला हुए हैं। वहीं 3 अप्रैल को भी नक्सलियों ने बीजापुर जिले में सुरक्षबलों पर हमला किया था।इसमें 23 जवान शहीद हो गए। वहीं CRPF के एक कमांडो राकेश्वर सिंह को नक्सलियों ने बंधक बना लिया, जिसे बाद में छोड़ दिया गया।
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