धार्मिक परंपराओं पर भारी महामारी
शासन के निर्देश, कोरोना संक्रमण के कारण जिले मे इस बार भी नहीं लगेंगे मेले
बांधवभूमि, उमरिया
कोरोना संक्रमण के कारण इस बार जिले मे धार्मिक मेलों का आयोजन नहीं हो सकेगा। शासन द्वारा गत 6 जनवरी 2022 को जारी गाईड लाईन मे इन पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। कोविड महामारी का प्रकोप वैसे तो 2019 मे शुरू हुआ था परंतु भारत मे इसकी प्रभावी उपस्थिति मार्च 2020 के बाद ही देखी गई। 2020 जाते-जाते यह मंद पड़ी, फिर मार्च 2021 खत्म होते ही इसने प्रचंड रूप धारण कर लिया। दूसरी लहर से हजारों लोग कालकवलित हो गये। देखा जाय तो दो साल तक जनवरी से मार्च के बीच आने वाले मकर संक्रांति और शिव रात्रि आदि जैसे बड़े पर्वो पर कोराना का असर कम रहा, जिससे इस मौके पर लगने वाले पारंपरिक मेलों पर रोक नहीं लगी। इस बार बीमारी का आगमन जनवरी के पहले सप्ताह मे ही हो चुका है। यही कारण है कि प्रशासन को ऐसे आयोजनो पर रोक लगानी पड़ी है।
वर्षो पुरानी परंपरा
सदियों से मेले भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा रहे हैं। कई वर्षो तक ये पारिवारिक और सामाजिक मेल-मिलाप का प्रमुख जरिया माने जाते रहे। एक समय मे जब संचार और आवागमन के साधन नहीं के बराबर थे, तब मेलों बड़ा ही महत्व था। विभिन्न दूरस्थ अंचलों मे इनका आयोजन कई-कई दिनो तक होता था। जहां लोग सैकड़ों मील पैदल चल कर पहुंचते और व्यापार, खरीददारी, मनोरंजन के सांथ अपने रिश्तेदारों और जान-पहचान वालों से भेंट कर एक पंथ-दो काज की कहवात चरितार्थ करते थे। आज के आधुनिक युग और आपाधापी भरी जिंदगी हर परंपरा की तरह मेले भी अपना महत्व खोते जा रहे हैं।
मिलता है रोजगार
मेलों मे जहां पूजा-अर्चना और धार्मिक उत्सव होते हैं, वहीं आवश्यक वस्तुओं की खरीद-फरोख्त भी की जाती है। इससे आसपास के सैकड़ों मजदूरों, आटो, टेक्सियों और छोटे-मोटे कारोबारियों को इतना रोजगार मिल जाता है कि वे इन पैसों से एक-दो महीनेे तक जीवन-यापन आसानी से कर लेते है। मेलों की कम होती महत्ता और कोरोना महामारी के कारण विशेषकर छोटे-मझ्र्रौले दुकानदारों तथा मरीब और मध्यम वर्ग को काफी नुकसान हुआ है।
जिले मे यहां होता आयोजन
जिले मे मुख्य रूप से मकर संक्रांति, बसंत पंचमी, महाशिवरात्रि, चैत्र नवरात्रि, कजलैयां, रक्षाबंधन, शारदेय नवरात्रि आदि त्यौहारों के दौरान जगह-जगह मेले लगते हैं। इनमे सोन नदी के किनारे स्थित विष्णुधाम चतुर्भुज मे कई दिनो तक मेले का आयोजन होता है। इसके अलावा गणतंत्र दिवस पर बरबसपुर तथा करनपुरा पथरहटा मे भी मेले भरते हैं।
धार्मिक परंपराओं पर भारी महामारी
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