धांधली के कारण विदा हुए संकुले
4 करोड़ मे कराया 70 लाख का काम, संजय गांधी ताप विद्युत केन्द्र मे मचाई लूट
बांधवभूमि, उमरिया
जिले के मंगठार स्थित संजय गांधी ताप विद्युत गृह मे पदस्थ मुख्य अभियंता हेमंत संकुले को हटाने के सांथ ही उनके द्वारा की गई गड़बडिय़ों के किस्से भी छन-छन कर बाहर निकल रहे हैं। सूत्रों का दावा है कि श्री संकुले द्वारा अपने कार्यकाल मे करोड़ों रूपये के घोटाले किये गये है। जिनकी शिकायतें लगातार शासन को मिल रही थी। इनमे से एक मामला संयंत्र की सबसे बड़ी 500 मेगावाट इकाई के रखरखाव मे हुई करोड़ों की वित्तीय अनियमितता का है। बताया जाता है कि बीते दिनो शासन द्वारा गठित उच्च स्तरीय टीम द्वारा प्रस्तुत की गई रिपोर्ट के आधार पर हेमंत संकुले को रवानगी का टिकट थमा दिया गया। उनके स्थान पर वीके कैलासिया को पावर प्लांट का मुख्य अभियंता नियुक्त किया गया है।
बड़े दिनो बाद खुली विभाग की आंख
बताया जाता है कि संगांतावि केन्द्र मे करोड़ों रूपये के खर्च और महीनो तक इकाईयों को बंद कर मेंटीनेन्स किये जाने के बावजूद उनमे आये दिन खराबी आ रही थी। यह शिकायत भी बार-बार सामने आई कि रखरखाव के दौरान प्लांट मे गुणवत्ताहीन सामग्री कई गुना मंहगे दामो मे खरीद कर लगाई जा रही है। जिसकी वजह से इकाईयां आये दिन ब्रेक डाउन हो रही हैं। हलांकि वरिष्ठ अधिकारियों ने ऊपर तक तगड़ी सेटिंग रखने वाले संकुले साहब के खिलाफ हुई हर शिकायत को नजर अंदाज किया परंतु बार-बार मीडिया मे इस तरह की खबरें आने के बाद अंतत: विभाग की आंख खुली और मजबूरी मे ही सही उसे जांच कमेटी का गठन करना पड़ा।
टीम ने भी पाई धांधली
शासन द्वारा गठित उच्च स्तरीय टीम ने पाया कि प्लांट की 500 मेगावाट इकाई के मेटीनेन्स मे लाख दो लाख नहीं पूरे साढ़े तीन करोड़ रूपये का घोटाला किया गया है। खबर है कि श्री संकुले और उनकी टीम की मिलीभगत से मात्र 70 लाख रूपये के काम पर चार करोड़ से ज्यादा राशि खर्च कर दी गई। इसके अलावा यह काम उसी कम्पनी को बार-बार दिया गया जिसकी परफॉर्मेस अच्छी नहीं थी। जांच मे इस बात की पुष्टि होने के बाद टीम द्वारा अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी गई।
बांधवभूमि ने उठाई थी आवाज
प्रदेश के सबसे बड़े थर्मल पॉवर स्टेशन मे लंबे समय से घोटाले पर घोटाला हो रहा था। प्लांट मे स्थापित पांचों इकाईयों का रखरखाव अधिकारियों की अवैध कमाई का जरिया बन चुका था। दिखावे के लिये मेंटीनेन्स के नाम पर इकाईयों को बंद कर फर्जी बिलों द्वारा कम्पनियों को भुगतान फिर उस पैसे की बंदरबांट का खेल आम हो चुका था। इसी वजह से कुछ दिन चलते ही कभी ब्वायलर लीकेज तो कभी अन्य कारणो से इकाईयां फेल हो रही थी। इस फर्जीवाड़े को बांधवभूमि द्वारा अपने समाचार पत्र मे समय- समय पर प्रमुखता से प्रकाशित किया गया। जिसकी आवाज अंतत: सत्ता के गलियारों तक पहुंची और शासन को कार्यवाही के लिये बाध्य होना पड़ा।
पूरे कार्यकाल की हो जांच
संयंत्र के निवर्तमान मुख्य अभियंता हेमंत संकुले के स्थानांतरण भर से इस मामले का पटाक्षेप नहीं हुआ है। स्थानीय लोगों का मानना है कि बीते वर्षो के दौरान प्लांट मे करोड़ों रूपये का वारा-न्यारा हुआ है। शासन को लगाई गई लंबी चपत की सच्चाई को सामने लाने के लिये जरूरी है कि श्री संकुले के कार्यकाल मे हुए सभी निर्माण, खरीदी और उनके भुगतानो की निष्पक्ष जांच हो और मिलीभगत से हड़पी गई राशि की वसूली कर वापस खजाने मे जमा की जाय।
धांधली के कारण विदा हुए संकुले
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