धरती की आखिरी कक्षा में पहुंचा चंद्रयान-3

अगली फायरिंग 1 अगस्त को
बेंगलुरु। चंद्रयान-3 पृथ्वी के चक्कर काट रहा है। मंगलवार को पांचवें मैनूवर के बाद यह आखिरी कक्षा में पहुंच गया है। इसरो के अनुसार, चंद्रयान-3 के 127607 किमी एक्स 256 किमी ऑर्बिट में पहुंचने की उम्मीद है। ट्रांसलूनर इंजेक्शन में अगली फायरिंग 1 अगस्त को रात 12 से 1 बजे के बीच की जाएगी। इसरो ने बताया कि धरती की कक्षा में पांचवें मैनूवर को बेंगलुरु के टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क में बैठे वैज्ञानिक अंजाम दिया गया है। 1 अगस्त की रात्रि को चंद्रयान-3 के पृथ्वी की कक्षा से निकलकर चंद्रमा की ओर रवाना हो सकता है। फिर यह चांद की कक्षा में पहुंचकर चक्कर लगाएगा।
इससे पहले 20 जुलाई को ऑर्बिट 71351 किमी & 233 किमी की गई थी। अब स्पेसक्राफ्ट 31 जुलाई और 1 अगस्त की मध्यरात्रि स्लिंग शॉट के जरिए पृथ्वी की कक्षा छोडक़र चंद्रमा की ओर बढ़ेगा। 5 अगस्त को चंद्रमा की ऑर्बिट में पहुंचेगा। 23 अगस्त को ये चंद्रमा पर लैंड करेगा। चंद्रयान-3 में लैंडर, रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल हैं। लैंडर और रोवर चांद के साउथ पोल पर उतरेंगे और 14 दिन तक वहां प्रयोग करेंगे। प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा में रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन्स का अध्ययन करेगा। इस मिशन के जरिए इसरो पता लगाएगा कि चांद की सतह पर कैसे भूकंप आते हैं। यह चंद्रमा की मिट्टी का अध्ययन भी करेगा।

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