कई के फंसे होने की आशंका, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी, कोयला निकालने के दौरान हादसा
धनबाद।झारखंड के धनबाद में शुक्रवार को बंद पड़े कोयला खदान के धंसने से 3 लोगों की मौत हो गई। मृतकों में 10 साल का लड़का भी शामिल है। घटना भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (BCCL) के झरिया स्थित भौंरा माइंस में सुबह साढ़े 10 बजे की है।स्थानीय लोगों ने बताया कि इस इलाके में सैकड़ों की संख्या में लोग अवैध रूप से कोयला निकालते हैं। आज जब कोयला निकालने का काम चल रहा था, तो अचानक जोरदार आवाज के साथ चाल धंसा और कई लोग इसमें दब गए। आसपास मौजूद लोगों ने 3 लोगों को मलबे से निकालकर अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।इधर, धनबाद के SP संजीव कुमार ने बताया कि BCCL के अवैध खदान ढहने की सूचना मिली है। एक शव बरामद कर लिया गया है। रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। अभी कितने लोग अंदर दबे हैं, इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है। हम BCCL की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। उसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
DSP और इंस्पेक्टर को मारे गए लोगों और घायलों की जानकारी नहीं
DSP अभिषेक कुमार ने कहा, मारे गए लोगों की सही संख्या और घायलों की संख्या का पता लगाया जा रहा है। वहीं, भौंरा थाने के इंस्पेक्टर बिनोद उरांव ने कहा कि बचाव कार्य जारी है। अभी घायल और मृतकों की संख्या के विषय में कुछ कहना जल्दबाजी होगी।
मुआवजे के लिए परिजनों का प्रदर्शन
हादसे में मारे गये 2 लोगों की पहचान हुई है। इनमें 10 वर्षीय जितेंद्र यादव और 25 वर्षीय मदन प्रसाद शामिल हैं। तीसरे व्यक्ति की पहचान अबतक नहीं हो सकी है। मृतकों के परिजन दोपहर शव लेकर भौंरा एरिया के GM ऑफिस पहुंचे और मुआवजे की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। इन दौरान भौंरा-मोहलबनी मुख्य मार्ग जाम रहा। रास्ते में दर्जनों कोयला लदे वाहन फंसे हैं।परिजनों का आरोप है कि यहां सिंडिकेट चलता है जो अवैध कोयला खनन करवाता है। बच्चों को बहला कर अवैध खदान में भेजा जाता है और कोयला निकलवाया जाता है। पुलिस ने अबतक शव को अपने कब्जे में नहीं लिया है। ना ही घटना में मारे गये लोगों के आंकड़े की पुष्टि कर रही है।
हादसे में मारे गये 2 लोगों की पहचान हुई है। इनमें 10 वर्षीय जितेंद्र यादव और 25 वर्षीय मदन प्रसाद शामिल हैं। तीसरे व्यक्ति की पहचान अबतक नहीं हो सकी है। मृतकों के परिजन दोपहर शव लेकर भौंरा एरिया के GM ऑफिस पहुंचे और मुआवजे की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। इन दौरान भौंरा-मोहलबनी मुख्य मार्ग जाम रहा। रास्ते में दर्जनों कोयला लदे वाहन फंसे हैं।परिजनों का आरोप है कि यहां सिंडिकेट चलता है जो अवैध कोयला खनन करवाता है। बच्चों को बहला कर अवैध खदान में भेजा जाता है और कोयला निकलवाया जाता है। पुलिस ने अबतक शव को अपने कब्जे में नहीं लिया है। ना ही घटना में मारे गये लोगों के आंकड़े की पुष्टि कर रही है।
पहले भी होते रहे हैं हादसे
यह पहली बार नहीं है इस तरह का हादसा पहले भी हुआ है। अवैध खनन से होने वाली मौत का आंकड़ा किसी के पास नहीं है। कई बार हादसे में अपना सबकुछ खो देने वाले परिजन भी कानूनी कार्रवाई के डर से चुप रहते हैं। घटना कोयला चोरी के दौरान हुई है। कुछ घायलों को लेकर स्थानीय ग्रामीण भागने में सफल रहे।
यह पहली बार नहीं है इस तरह का हादसा पहले भी हुआ है। अवैध खनन से होने वाली मौत का आंकड़ा किसी के पास नहीं है। कई बार हादसे में अपना सबकुछ खो देने वाले परिजन भी कानूनी कार्रवाई के डर से चुप रहते हैं। घटना कोयला चोरी के दौरान हुई है। कुछ घायलों को लेकर स्थानीय ग्रामीण भागने में सफल रहे।
क्यों धंस रही है जमीन ?
जमीन धंसने के पीछे की बड़ी वजह है खनन वाले क्षेत्र पर खनन के बाद भी उन सारी प्रक्रियाओं का पालन नहीं करना जिसका कोल कंपनियां दावा करती हैं। कोयला निकालने का काम बंद होने के बाद उसे बालू या फ्लाई ऐश से भरा जाना चाहिए। खदान को उसी तरह खुला छोड़कर खनन कंपनियां वहां से निकल जाती हैं। इन जगहों पर फिर कब्जा होता है, अवैध खनन करने वाले गिरोह का।18 नवंबर को धनबाद के निरसा में ECL मुगमा क्षेत्र अंतर्गत कापासारा आउटसोर्सिंग कोलियरी में भी इसी तरह का हादसा हुआ। पहले खबर आयी कि वहां 25 से 30 मजदूर फंसे हैं। पुलिस ने जांच के बाद कहा, यहां कोई नहीं है और खदान को ऊपर से भर दिया गया।इस तरह के हादसों के बाद भी अवैध खनन की विस्तार से जांच नहीं होती, हादसे के बाद सीधे खदान के मुहाने को बंद कर पूरी जांच बंद कर दी जाती है।
जमीन धंसने के पीछे की बड़ी वजह है खनन वाले क्षेत्र पर खनन के बाद भी उन सारी प्रक्रियाओं का पालन नहीं करना जिसका कोल कंपनियां दावा करती हैं। कोयला निकालने का काम बंद होने के बाद उसे बालू या फ्लाई ऐश से भरा जाना चाहिए। खदान को उसी तरह खुला छोड़कर खनन कंपनियां वहां से निकल जाती हैं। इन जगहों पर फिर कब्जा होता है, अवैध खनन करने वाले गिरोह का।18 नवंबर को धनबाद के निरसा में ECL मुगमा क्षेत्र अंतर्गत कापासारा आउटसोर्सिंग कोलियरी में भी इसी तरह का हादसा हुआ। पहले खबर आयी कि वहां 25 से 30 मजदूर फंसे हैं। पुलिस ने जांच के बाद कहा, यहां कोई नहीं है और खदान को ऊपर से भर दिया गया।इस तरह के हादसों के बाद भी अवैध खनन की विस्तार से जांच नहीं होती, हादसे के बाद सीधे खदान के मुहाने को बंद कर पूरी जांच बंद कर दी जाती है।
कोई जानकारी नहीं, परिणाम हादसा…..
झारखंड के धनबाद में अवैध खनन सिर्फ कोयले का ही नहीं होता है, फायर क्ले, फ्लाई ऐश और ओवर बर्डन का भी अवैध खनन होता है। धनबाद में ही 10 हजार से अधिक परिवार अवैध खनन से जुड़े हैं. दरअसल यहां पूरे साल खेती नहीं होती है, ऐसे में गरीबों के पास अवैध खनन कमाई का परिवार चलाने का ज़रिया है। अवैध खनन से जुड़े यह परिवार सुरक्षा के क्या उपकरण रखें जाएं ? कहां खतरा ज्यादा है, इसके आकलन की कोई जानकारी नहीं होती।कोल कंपनियां जिनमें मुख्य रूप से सीएल, बीसीसीए और ईसीएल हैं। कंपनियां ऐसी खदानों पर खनन बंद कर देती हैं, जहां से कोयला निकालने का खर्च ज्यादा होने लगता है। इन जगहों पर कब्जा करते हैं कोल माफिया मजदूरों को हर दिन 400 से 800 रुपये का लालच देकर कमाई होती है। मजदूर 350 मीटर तक जान जोखिम में डालकर खनन करते हैं। कई बार ऐसी जगहों पर खतरा बढ़ जाता है, जहरीली गैस के साथ- साथ कई खदानों में पानी भरा होता है। मोटर पंप से निकालने की भी व्यवस्था होती है। यहां तक कि गैस वगैरह की परेशानी होने पर बड़े-बड़े पंखे लगाकर अंदर से उसे बाहर किया जाता है।
झारखंड के धनबाद में अवैध खनन सिर्फ कोयले का ही नहीं होता है, फायर क्ले, फ्लाई ऐश और ओवर बर्डन का भी अवैध खनन होता है। धनबाद में ही 10 हजार से अधिक परिवार अवैध खनन से जुड़े हैं. दरअसल यहां पूरे साल खेती नहीं होती है, ऐसे में गरीबों के पास अवैध खनन कमाई का परिवार चलाने का ज़रिया है। अवैध खनन से जुड़े यह परिवार सुरक्षा के क्या उपकरण रखें जाएं ? कहां खतरा ज्यादा है, इसके आकलन की कोई जानकारी नहीं होती।कोल कंपनियां जिनमें मुख्य रूप से सीएल, बीसीसीए और ईसीएल हैं। कंपनियां ऐसी खदानों पर खनन बंद कर देती हैं, जहां से कोयला निकालने का खर्च ज्यादा होने लगता है। इन जगहों पर कब्जा करते हैं कोल माफिया मजदूरों को हर दिन 400 से 800 रुपये का लालच देकर कमाई होती है। मजदूर 350 मीटर तक जान जोखिम में डालकर खनन करते हैं। कई बार ऐसी जगहों पर खतरा बढ़ जाता है, जहरीली गैस के साथ- साथ कई खदानों में पानी भरा होता है। मोटर पंप से निकालने की भी व्यवस्था होती है। यहां तक कि गैस वगैरह की परेशानी होने पर बड़े-बड़े पंखे लगाकर अंदर से उसे बाहर किया जाता है।
41 साल पुरानी खदान से हो रहा था खनन
इस साल के जुलाई में एनजीटी की एक रिपोर्ट आयी थी। इस रिपोर्ट में चौकाने वाले खुलासे किये गये थे। 41 साल पुरानी बंद कोयला खदान में अब भी अवैध खनन चल रहा है। खदान का मुहाना अब तक बंद नहीं किया गया था, माइंस क्लोजर प्लान का बिल्कुल पालन नहीं किया जाता। काग पर छह साल पहले ही कई इलाके को एबेंडन घोषित भी कर दिया गया. पर वहां न तो फेंसिंग है ना सीसीटीवी कैमरे ना ही किसी का ध्यान। केंद्र सरकार भी मानती है कि कोयला की चोरी है।अवैध खनन एक बड़ी समस्या है लेकिन केंद्र सरकार के पास जो आंकड़े जाते हैं, वो इस मामले की गंभीरता और इसके खतरे को कम कर देते हैं। सरकारी आंकड़े में 2021-22 में कोल इंडिया की कंपनियों में अवैध खनन से संबंधित मात्र 11 मामले दर्ज हैं, जिसमें पांच मामले सीसीएल के, वहीं तीन मामले झारखंड में खनन करने वाली कंपनियों के हैं। असल में इन आंकड़ों से केंद्र सरकार राज्य में बढते खतरे को समझ नहीं पा रही।
इस साल के जुलाई में एनजीटी की एक रिपोर्ट आयी थी। इस रिपोर्ट में चौकाने वाले खुलासे किये गये थे। 41 साल पुरानी बंद कोयला खदान में अब भी अवैध खनन चल रहा है। खदान का मुहाना अब तक बंद नहीं किया गया था, माइंस क्लोजर प्लान का बिल्कुल पालन नहीं किया जाता। काग पर छह साल पहले ही कई इलाके को एबेंडन घोषित भी कर दिया गया. पर वहां न तो फेंसिंग है ना सीसीटीवी कैमरे ना ही किसी का ध्यान। केंद्र सरकार भी मानती है कि कोयला की चोरी है।अवैध खनन एक बड़ी समस्या है लेकिन केंद्र सरकार के पास जो आंकड़े जाते हैं, वो इस मामले की गंभीरता और इसके खतरे को कम कर देते हैं। सरकारी आंकड़े में 2021-22 में कोल इंडिया की कंपनियों में अवैध खनन से संबंधित मात्र 11 मामले दर्ज हैं, जिसमें पांच मामले सीसीएल के, वहीं तीन मामले झारखंड में खनन करने वाली कंपनियों के हैं। असल में इन आंकड़ों से केंद्र सरकार राज्य में बढते खतरे को समझ नहीं पा रही।
धनबाद के इन इलाकों में बढ़ता खतरा
धनबाद के जिन इलाकों में सबसे ज्यादा खतरा है उनमें मुख्य रूप कुहका, सांगामहल, माड़मा गांव तथा फटका-कालूबथान मार्ग पर सबसे अधिक खतरा है। इन तीनों जगहों पर पहले भी कई बार भू-धंसान हो चुके हैं। सुभाष कॉलोनी भी डेंजर जोन में है। श्यामपुर पहाड़ी भी धंसान क्षेत्र में शामिल हो गई है। कुहका और हाथबाड़ी में सड़क किनारे कई मुहाने खोल दिए गए हैं।
धनबाद के जिन इलाकों में सबसे ज्यादा खतरा है उनमें मुख्य रूप कुहका, सांगामहल, माड़मा गांव तथा फटका-कालूबथान मार्ग पर सबसे अधिक खतरा है। इन तीनों जगहों पर पहले भी कई बार भू-धंसान हो चुके हैं। सुभाष कॉलोनी भी डेंजर जोन में है। श्यामपुर पहाड़ी भी धंसान क्षेत्र में शामिल हो गई है। कुहका और हाथबाड़ी में सड़क किनारे कई मुहाने खोल दिए गए हैं।
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