दो सालों मे और घट गये गिद्ध

दो सालों मे और घट गये गिद्ध
जिले मे गणना के बाद सामने आया आंकड़ा, कई जंगलों मे नहीं मिले निशान
उमरिया। वन्य जीव प्रेमियों को यह खबर चिंता मे डालने वाली है। जिले मे कल हुई गणना मे गिद्धों की संख्या और कम होने के संंकेत मिले हैं। रविवार सुबह 6 बजे से बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान सहित अन्य जंगलों मे गिद्धों के गिनती का कार्य शुरू किया गया। इस दौरान पार्क क्षेत्र मे 159 और शेष जंगलों मे 70 गिद्ध पाये गये हैं। यह आंकड़ा वर्ष 2018-19 मे 283 की तुलना मे 54 कम हैं। हलांकि गत गणना के हिसाब से बांधवगढ़ मे गिद्धों की तादाद बढ़ी है। पिछली बार यहां 144 के मुकाबले इस बार 159 पक्षी होने का दावा किया गया है।
वन विकास परिक्षेत्र से गायब हुए गिद्ध
सूत्रों के मुताबिक कल सुबह से शुरू हुई गिनती मे बांधवगढ़ नेशनल पार्क, सामान्य वन मण्डल के अलावा वन विकास निगम के अधिपत्य के वनो का शामिल किया गया। इस दौरान बांधवगढ़ मे सर्वाधिक 159 और रेग्यूलर फारेस्ट 70 गिद्ध पाये गये हैं। वहीं वन विकास निगम के जंगलों मे एक भी गिद्ध नहीं मिला। यह स्थिति चौंकाने वाली है। इसका एक अर्थ यह भी है कि इंसानी आबादी से लगे क्षेत्रों मे गिद्ध करीब-करीब साफ हो चुके हैं।
कीटनाशकों से हो रहा नुकसान
जानकारों का मानना है कि बदलती जलवायु के अलावा खेती मे उपयोग किये जा रहे कीटनाशक भी गिद्धों के खात्मे के लिये काफी हद तक जिम्मेदार है। उल्लेखनीय है कि बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान के अलावा वन विभाग व वन विकास निगम के जंगलों से लगे हुए क्षेत्रों मे किसानो द्वारा बहुतायत मे अनाज व सब्जी की खेती की जाती है। किसान कीट-व्याधियों से फसलों को बचाने कीटनाशकों का उपयोग करते हैं। जिनसे बड़े पैमाने पर कीड़े-मकोड़े, चूहे और अन्य जीव-जंतुओं की मौत हो जाती है। इन्हे खाकर गिद्ध भी काल-कवलित हो जाते हैं।
बीटगार्ड और वालेन्टियर रहे शामिल
बांधवगढ़ में गिद्ध गणना के लिए 11 वालेंटियर ने भोपाल से अपना नाम पंजीयन कराया था। आवास स्थल वाले रेंज खितौली व ताला कोर जोन मे वन परिक्षेत्र की चार सदस्यीय टीम बनाई गई है। इनमे बीटगार्ड, ग्राम वन सुरक्षा समिति सदस्य, वालेंटियर व गार्ड शामिल रहे।

 

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