अमरावती। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने महाराष्ट्र के अमरावती में कहा देशभर में ६३ लाख से अधिक मामले वकीलों की अनुपलब्धता के कारण और १४ लाख से अधिक मामले दस्तावेजों या रेकॉर्ड के इंतजार में लंबित हैं। आंध्र प्रदेश न्यायिक अकादमी के उद्घाटन के अवसर पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि लोगों को जिला अदालतों को अधीनस्थ न्यायपालिका के रूप में मानने की औपनिवेशिक मानसिकता से छुटकारा पाना चाहिए क्योंकि जिला अदालतें न केवल न्यायपालिका की रीढ़ हैं बल्कि अनेक लोगों के लिए न्यायिक संस्था के रूप में पहला पड़ाव भी हैं। उन्होंने कहा कि जमानत आपराधिक न्याय प्रणाली के सबसे मौलिक नियमों में से एक है न कि जेल। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि फिर भी व्यवहार में भारत में जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों की संख्या एक विरोधाभासी और स्वतंत्रता से वंचित करने की स्थिति को दर्शाती है। चीफ जस्टिस ने कहा कि राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (एनजेडीजी) के अनुसार १४ लाख से अधिक मामले किसी तरह के रेकॉर्ड या दस्तावेज के इंतजार में लंबित हैं जो अदालत के नियंत्रण से परे है। उन्होंने कहा इसी तरह एनजेडीजी के आंकड़ों के अनुसार ६३ लाख से अधिक मामले वकीलों की अनुपलब्धता के कारण लंबित माने जाते हैं। हमें यह सुनिश्चित करने के लिए वास्तव में बार के समर्थन की आवश्यकता है कि हमारी अदालतें अधिकतम क्षमता से काम करें। चीफ जस्टिस ने यह भी कहा कि यह बहुत अधिक या कम हो सकता है क्योंकि अभी सभी अदालतों से अधिक डेटा प्राप्त होना बाकी है।
देश मे 63 लाख केस वकील नहीं होने और 14 लाख से अधिक केस रिकॉर्ड के इंतजार मे लंबित: जस्टिस चंद्रचूड़
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