देश मे पहली बार हिन्दी मे डॉक्टरी की पढ़ाई

अमित शाह बोले-शिवराज ने मोदी की इच्छा पूरी की, इससे देश मे क्रांति आएगी
भोपाल। देश में पहली बार मध्यप्रदेश में MBBS की पढ़ाई हिन्दी में होगी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भोपाल में रविवार को इसकी 3 किताबों का विमोचन किया। उन्होंने कहा- ये क्षण देश में शिक्षा क्षेत्र के पुनर्निर्माण का क्षण है। सबसे पहले मेडिकल की शिक्षा हिन्दी में शुरू करके शिवराज सिंह ने मोदी जी की इच्छा पूरी की है। देशभर में 8 भाषाओं में पढ़ाई हो रही है। यूजी नीट देश की 22 भाषाओं में हो रही है। 10 राज्य इंजीनियरिंग की पढ़ाई मातृभाषा में करवा रहे हैं। भोपाल में किताबों के विमोचन के बाद शाह ग्वालियर के लिए रवाना हो गए। शाह ने कहा- मेडिकल, इंजीनियरिंग में जो मातृभाषा के समर्थक हैं, उनके लिए आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण है। अब हमें अपनी भाषा में शिक्षा मिलेगी। मप्र का चुनाव जब हो रहा था, घोषणा पत्र के भीतर यह जिक्र था। मोदी जी का नई शिक्षा नीति का सबसे पहले मप्र ने जमीं पर उतारा है। आज यह नई शुरुआत हो रही है। इसके लिए हिन्दी प्रकोष्ठ का गठन हुआ। केंद्रीय मंत्री ने कहा- सोचने की प्रक्रिया अपनी मातृभाषा में ही होती है, इसलिए नेल्सन मंडेला ने कहा था- यदि आप किसी व्यक्ति से उस भाषा में बात करते हो तो वह उसके दिमाग में जाती है। अनुसंधान अपनी भाषा में हो तो भारत के युवा भी किसी से कम नहीं हैं। वो विश्व में भारत का डंका बजाकर आएंगे। मध्यप्रदेश ने मेडिकल की पढ़ाई हिन्दी में कराने संकल्प लिया है। इससे देश में क्रांति आएगी।कुछ दिनों बाद इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी हिन्दी में शुरू होगी। इसके लिए सिलेबस के अनुवाद का काम शुरू हो गया है। छह माह बाद, पॉलीटेक्निक और इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिन्दी में करने का मौका मिलेगा।
अंग्रेज हमें अंग्रेजी का गुलाम बना गए: शिवराज
इससे पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा- आज का दिन ऐतिहासिक है। गरीब परिवारों के बच्चे, जो हिन्दी माध्यम में पढ़कर मेडिकल कॉलेज तो पहुंच जाते थे, लेकिन अंग्रेजी के मकड़जाल में फंस जाते हैं। कई ने तो मेडिकल की पढ़ाई छोड़ दी या फिर आत्महत्या तक पहुंच गए। मैंने एक बच्चे से पूछा- डॉक्टरी की पढ़ाई क्यों छोड़ दी, उसने रोते हुए कहा था- मामा अंग्रेजी समझ नहीं आती। हिन्दी में पढ़ाई ऐसे बच्चों के लिए काम आएगी।सीएम ने कहा- यह काम तो आजादी के बाद ही हो जाना था, लेकिन यह अब हो रहा है। अंग्रेज चले गए, लेकिन हमें अंग्रेजी का गुलाम बना गए। अंग्रेजी बोलो तो इंप्रेशन पड़ता है। हमने अपने महापुरुषों को भी अपमानित किया। तात्या टोपे नगर को टीटी नगर कहने लगे।मुख्यमंत्री ने कहा- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे बड़ा काम किया। उन्होंने भारतीय मानसिकता को बदल दिया। उन्होंने देश में हिन्दी बोलकर भारतीयों की शान को बढ़ाया। इटली, चीन अपनी भाषा में पढ़ा सकता है तो भारत क्यों नहीं कर सकता है। पहली बार जब मैंने वल्लभ भवन में हिन्दी में पढ़ाई की बात कही तो सभी इधर-उधर मुंह करके हंस रहे थे।हिन्दी को भी हमने कठिन नहीं बनाया। किडनी को किडनी ही लिखा जाएगा, यकृत नहीं लिखा जाएगा। इसी साल 6 इंजीनियरिंग और 6 पॉलिटेक्टनिक कॉलेज में हिन्दी में पढ़ाई होगी। बाद में आईआईटी में भी हिन्दी में पढ़ाई होगी। आईआईएम की पढ़ाई भी हिन्दी में करवाएंगे।
आगे के पाठ्यक्रम का अनुवाद भी करेंगे
चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा- आजादी के बाद मप्र देश में पहला राज्य होने वाला है, जो हिन्दी में मेडिकल की पढ़ाई करवाएगा। हमने पूरी तरह से शोध करके यह तय किया कि किस तरह से मेडिकल की पढ़ाई हिन्दी में करवा सकते हैं। हमने फर्स्ट ईयर की 3 किताबों का हिन्दी अनुवाद किया है। 97 डॉक्टरों की टीम ने इस पर काम किया है। हम आगे के पाठ्यक्रमों का भी हिन्दी अनुवाद करेंगे। मप्र देश में पहला राज्य है जो हिन्दी में मेडिकल की पढ़ाई करवाएगा।
97 डॉक्टरों ने चार महीने में तैयार की 3 किताबें
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह काम चिकित्सा शिक्षा विभाग को दिया था। प्रदेश के 97 डॉक्टरों की टीम ने 4 महीने तक रात-दिन मेहनत कर अंग्रेजी की किताबों का हिन्दी में अनुवाद किया है। डॉक्टरों के साथ कम्प्यूटर ऑपरेटर्स की टीम बनाई गई। इस टीम ने 24 घंटे, सातों दिन लगकर MBBS फर्स्ट ईयर की 5 किताबों का हिन्दी में अनुवाद किया। इस प्रक्रिया में तकनीकी पहलुओं और छात्रों के भविष्य की चुनौतियों का भी ख्याल रखा गया है। इन किताबों को इस प्रकार अनुवादित कर तैयार किया गया है, जिसमें शब्द के मायने हिन्दी में ऐसे न बदल जाएं कि उसे समझना मुश्किल लगे।
15 नवंबर से होगी हिन्दी में पढ़ाई की शुरुआत
काउंसिलिंग के बाद आने वाले MBBS के नए बैच के छात्रों को हिन्दी में अनुवादित की गई किताबों से पढ़ाया जाएगा। 15 नवंबर से नए बैच की पढ़ाई हिन्दी में होगी। इस शुरुआत के बाद मप्र के ग्रामीण अंचलों में रहने वाले हिन्दी माध्यम से पढ़ाई करने वाले छात्र उत्साहित हैं।
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