देश मे डेंगू-वायरल का कहर

मप्र, उप्र, दिल्ली, बिहार सहित कई राज्यों मे स्थिति चिंताजनक, एक बेड पर दो-दो, तीन-तीन बच्चे

नई दिल्ली/भोपाल। देश के अलग-अलग राज्यों में डेंगू और वायरल बुखार का संकट गहराता जा रहा है। यूपी में वायरल फीवर की वजह से अब तक 60 से ज्यादा बच्चों और लोगों की मौत हो चुकी है। अब इसका असर दूसरे राज्यों में भी दिख रहा है। बिहार के कई जिले भी इस संकट का सामना कर रहे हैं। साथ ही मध्यप्रदेश और दिल्ली में भी अस्पतालों में वायरल बुखार के पीडि़तों की संख्या बढ़ती जा रही है। मप्र में तो स्थिति यह है कि यहां के अस्पतालों में एक बेड पर दो-दो, तीन-तीन बच्चों को रखा गया है। मध्यप्रदेश में वायरल फीवर, डायरिया, निमोनिया, डेंगू अब डराने लगे हैं। इन बीमारियों की चपेट में हजारों बच्चे आ गए हैं। बीमार बच्चों की लगातार बढ़ती संख्या से अस्पतालों की व्यवस्थाएं कम पड़ गई हैं। ग्वालियर में एक बेड पर तीन-तीन बच्चों को भर्ती किया गया है। भोपाल-जबलपुर में एक बेड पर दो-दो बच्चों का इलाज किया जा रहा है। इंदौर में भी बच्चों के सभी अस्पताल फुल हो गए हैं। रतलाम में बेड फुल होने की वजह से जमीन पर लिटाकर इलाज करना पड़ रहा है। बड़े शहरों से लेकर छोटे जिलों में बच्चों के लिए अलग से वार्ड और बेड बढ़ाने के लिए दावे किए गए थे, लेकिन हकीकत इससे जुदा है। कई जगहों पर नए वार्ड और बेड तैयार ही नहीं हुए हैं।
ग्वालियर में 1200 से ज्यादा बच्चे बीमार
इन दिनों वायरल जनित बीमारियां अपना असर दिखा रही हैं। इनसे बच्चे भी अछूते नहीं हैं। कमलाराजा अस्पताल के पीडियाट्रिक वार्ड में क्षमता (170) से अधिक बच्चे भर्ती होने से एक बेड पर तीन-तीन बच्चों का इलाज करना पड़ रहा है। बुधवार को जयारोग्य चिकित्सालय की ओपीडी में इलाज के लिए पहुंचे लोगों की संख्या लगातार तीसरे दिन तीन हजार के पार रही। इनमें 180 बच्चे शामिल हैं। भारतीय बाल अकादमी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सीपी बंसल का कहना है कि शहर में 70 से 80 प्रतिशत बच्चे वायरल की चपेट में हैं। वायरल के नेचर में बदलाव आया है। इसमें तेज बुखार के साथ तेज दर्द और कमजोरी आ रही है। बुखार में बच्चे को गर्म कपड़े न ओढ़ाएं, बल्कि पानी से उसका बदन अच्छी तरह से पोछ दें।
भोपाल में एक बेड पर दो-दो बच्चों
सीजनल फ्लू, डायरिया, निमोनिया से पीडि़त बच्चों ने राजधानी भोपाल में कोरोना की तीसरी लहर की तैयारियों को लेकर बच्चों के नए वार्ड की तैयारी की पोल खोल दी है। सीजनल फ्लू और डेंगू के मरीज बढऩे से हमीदिया और जयप्रकाश अस्पताल में 80 प्रतिशत से ज्यादा बेड फुल हैं। खास बात यह है कि प्रतिदिन पीडि़त बच्चे बढ़ते जा रहे हैं। इसके बाद भी दोनों ही अस्पतालों में अगस्त की शुरुआत में बनकर तैयार होने वाले बच्चों के नए वार्ड की तैयारी अधूरी है। हमीदिया अस्पताल में पीडियाट्रिक्ट विभाग में 200 बेड के वार्ड में करीब 160 बच्चे भर्ती हैं। हालात यह है कि यहां इमजरेंसी ट्रीटमेंट यूनिट में एक बेड पर दो-दो बच्चों को रखा जा रहा है। हमीदिया अस्पताल में 80 बेड का वार्ड तैयार किया जा रहा है। इसमें 30 बेड का आईसीयू और 50 ऑक्सीजन बेड हैं। यह वार्ड अगस्त में तैयार होना थे, लेकिन अब तक बिल्डिंग ही बन पाई है।
इंदौर में के अस्पताल भी फुल
डेंगू और वायरल फीवर को लेकर इंदौर में लगातार बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है। बात की जाए सरकारी अस्पताल की, तो यहां पर 100 बिस्तरों का अस्पताल पूरी तरह से भर चुका है। 100 बेड पर बच्चे भर्ती हैं। ओपीडी में भी लगाकर बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है। ओपीडी में आने वाले मरीजों में 60 प्रतिशत बच्चे वायरल की चपेट में होते हैं। चाचा नेहरू अस्पताल के अधीक्षक डॉ. हेमंत जैन का कहना है कि रोजाना 8 से 10 मरीज डिस्चार्ज भी किए जा रहे हैं, लेकिन वायरल की चपेट में आने वाले बच्चों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। निजी अस्पतालों की बात की जाए तो वहां पर भी 100 प्रतिशत अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या फुल है। वहीं बच्चों में वायरल और डेंगू के लक्षण अधिक पाए जा रहे हैं।
जबलपुर में वायरल, डेंगू की चपेट में 600 से ज्यादा बच्चे
जबलपुर में विक्टोरिया जिला अस्पताल में 40 बेड का बच्चों का वार्ड है। पर 24 बेड पर 48 बच्चे डेंगू के भर्ती मिले। एक-एक बेड पर दो-दो बच्चे लिटाए गए हैं। वहीं वायरल फीवर के 16 बेड पर 22 बच्चे मिले। मेडिकल कॉलेज में 150 बेड के बच्चों का वार्ड पूरा फुल है। इसी तरह शहर के 10 निजी बच्चों के अस्पताल में 600 से अधिक बच्चे डेंगू और वायरल फीवर के भर्ती हैं। आलम ये है कि बीमार हो रहे बच्चों के लिए अस्पतालों में वेटिंग चालू हो गई है। लोगों को एक से दो दिन के इंतजार के बाद अस्पतालों में जगह मिल पा रही है। जिले में सरकारी आंकड़ों में डेंगू के 355 मरीज हैं, लेकिन वास्तविक संख्या 3500 के ऊपर पहुंच गया है। इसमें लगभग 1000 संख्या बच्चों की है।
कई जिलों में जमीन पर लिटाकर इलाज
प्रदेश के कई जिलों में अस्पतालों के बेड कम पड़ रहे हैं। इसलिए जमीन पर लिटाकर इलाज किया जा रहा है। रतलाम जिले में भी डेंगू और वायरल बुखार से पीडि़त बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है। बाल चिकित्सालय एमसीएच और निजी अस्पतालों में भर्ती बच्चों की संख्या 100 से अधिक है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा डेंगू और वायरल से पीडि़त बच्चों की संख्या की पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन बाल चिकित्सालय और एमसीएच में बच्चों के लिए बनाए गए वार्ड फुल है। यहां तक कि एक बेड पर दो- दो बच्चों का उपचार किया जा रहा है। एमसीएच में बनाए गए बच्चों के वार्ड में जमीन पर लेटा कर भी बच्चों का उपचार किया जा रहा है।

Advertisements
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *