राज्यों को केंद्र की फटकार, पत्र लिखकर दी चेतावनी
नई दिल्ली।भारत में लगातार दूसरे दिन कोरोना के मामलों में कमी दर्ज हुई है। सोमवार को कोरोना संक्रमण के 2 लाख 38 हजार 18 नए केस मिले, जो रविवार की तुलना में 7.8% कम है। इस गिरावट का एक बहुत बड़ा कारण देश में कोरोना टेस्टिंग में कमी आना है। इसे लेकर मंगलवार को केंद्र सरकार ने भी चिंता जाहिर की है। साथ ही राज्यों को फटकार लगाते हुए तत्काल टेस्टिंग बढ़ाने के लिए कहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव आरती आहूजा ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्हें कोरोना की टेस्टिंग बढ़ाने के लिए कहा गया है। आहूजा का कहना है कि टेस्टिंग बढ़ाने से महामारी की वास्तविक स्थिति का पता चलेगा और नागरिकों के लिए जरूरी एक्शन तुरंत लिए जा सकेंगे।
ओमिक्रॉन है एक चिंताजनक वैरिएंट
पत्र में इस बात पर भी जोर डाला गया है कि कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन, जिसने पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है, उसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने वैरिएंट ऑफ कंसर्न (VoC) यानी एक चिंताजनक वैरिएंट घोषित किया है। इसलिए कोरोना की तीसरी लहर में ढील नहीं दी जा सकती है।
कोरोना संक्रमण रोकने के लिए टेस्टिंग बेहद जरूरी
आहूजा ने पत्र में लिखा है कि जो लोग कोरोना के हाई रिस्क पर हैं, उनकी जांच करना बेहद जरूरी है। हाई रिस्क वाले लोगों में गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोग, वृद्ध, हेल्थ वर्कर्स, फ्रंटलाइन वर्कर्स, एयरपोर्ट स्टाफ, कंटेनमेंट जोन और हॉटस्पॉट में रहने वाले लोगों को गिना जाता है।पत्र में कहा गया है कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की गाइडलाइंस के अनुसार, कोरोना मरीजों को जल्दी डिटेक्ट कर उन्हें आइसोलेट करना ही हमारा मकसद है। मरीज की जांच के बाद कंटेनमेंट जोन बनाना, कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग करना और क्वारैंटाइन की प्रक्रिया भी जरूरी है। इससे संक्रमण को रोका जा सकता है।मंत्रालय के पहले के पत्रों और 27 दिसंबर 2021 को ओमिक्रॉन वैरिएंट के संदर्भ में महामारी प्रबंधन की स्ट्रैटेजी तैयार करने की गृह मंत्रालय की सलाह का हवाला देते हुए आहूजा ने कहा कि कोरोना की टेस्टिंग एक बेहद महत्वपूर्ण विषय है। साथ ही, उन्होंने कहा कि ICMR के आंकड़ों से पता चला है कि कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कोरोना टेस्टिंग में गिरावट आई है।
टेस्टिंग कम होने के पीछे क्या है वजह?
कोरोना की जांच में कमी आने की एक वजह ICMR की नई गाइडलाइंस को भी माना जा रहा है। दरअसल, कोरोना टेस्टिंग पर ICMR की नई गाइडलाइंस कहती हैं कि कोरोना मरीज के संपर्क में आए सभी लोगों को जांच करवाने की कोई जरूरत नहीं है। कोरोना का टेस्ट संक्रमित के संपर्क में आए केवल उन्हीं लोगों को करवाना चाहिए, जिनकी उम्र 60 साल से ऊपर है या जिन्हें कोई गंभीर बीमारी है।
पहले भी लेटर लिखकर दी थी टेस्टिंग पर चेतावनी
आहूजा ने इससे पहले जनवरी की शुरुआत में भी कोरोना टेस्टिंग में कमी को लेकर राज्यों को लेटर लिखा था। तब भी कहा गया था कि इसके चलते देश में कोरोना की सही स्थिति पता नहीं लग पा रही है, जिससे आवश्यक उपाय करना संभव नहीं हो रहा है।