देश भर मे ब्लैक फंगस की दहशत

केंद्र ने सभी राज्यों को किया अलर्ट, मिले हजारों मरीज, 90 की गई जान

नई दिल्ली। कोरोना के बाद अब ब्लैक फंगस ने महामारी का रूप ले लिया है। विभिन्न राज्यों में बढ़ती मरीजों की संख्या के बाद जहां राजस्थान, हरियाणा, तेलंगाना में बीमारी को महामारी घोषित कर दिया गया है, वहीं महाराष्ट्र में ब्लैक फंगस के 2000 से ज्यादा मरीज मिल चुके हैं, वहीं 90 लोगों की मौत भी हुई है। इसी तरह उत्तरप्रदेश में 900, मप्र में 750, राजस्थान में 500, हरियाणा में 177 और दिल्ली में लगभग 100 मरीज विभिन्न अस्पतालों में इलाज करवा रहे हैं। कुछ राज्यों में तो ब्लैक फंगस के लिए बनाए गए स्पेशल वार्ड भी पूरी तरह फुल हो गए हैं। कोरोना महामारी के दौरान सामने आया ब्लैक फंगस अब केंद्र के लिए बड़ी चिंता बन गया है। केंद्र ने सभी राज्यों को खत लिखकर ब्लैक फंगस के लिए अलर्ट किया है। केंद्र ने कहा है कि सभी राज्य इसे महामारी एक्ट के तहत नोटेबल डिसीज घोषित करने को कहा है। यानी राज्यों को ब्लैक फंगस के केस, मौतों, इलाज और दवाओं का हिसाब रखना होगा। राजस्थान, हरियाणा, तेलंगाना और तमिलनाडु इस ब्लैक फंगस को पहले ही महामारी घोषित कर चुके हैं। दिल्ली में भी इसके मरीजों के इलाज के लिए अलग से सेंटर्स बनाए जा रहे हैं
राज्यों में ब्लैक फंगस
महाराष्ट्र में 2000 से ज्यादा केस
महाराष्ट्र में ब्लैक फंगस से राज्य में 2000 से ज्यादा केस पाए गए और 500 लोग ठीक हुए 850 पर इलाज चल रहा है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा की इंन्फोटेरेसिन बी के रोज 6 इंजेक्शन की जरूरत है और बीमारी की तीव्रता को देखते हुए इसका उत्पादन करने वाली कंपनियों को 1 लाख 90 हजार की ऑर्डर दिए गए है। इसका कंट्रोल भारत सरकार कर रही है। केंद्र सरकार इसे महाराष्ट्र को एलॉट करे इसके लिए भी हमने ग्लोबल टेंडर निकाला है। राज्य सरकार ने 9 पेज की गाइडलाइन डॉक्टरों को दी है।
गुजरात में 1200 ब्लैक फंगस संक्रमित
गुजरात में कोरोना के साथ ही ब्लैक फंगस तेजी से पैर पसार रहा है। गुजरात के 5 शहरों में 1200 मिल चुके हैं। गुजरात के सिर्फ सरकारी अस्पताल से ब्लैक फंगस के 700 से ज्यादा केस सामने आए हैं।
राजस्थान में 700 केस
राजस्थान सरकार ने कोरोना वायरस संक्रमण से ठीक होने वाले मरीजों में सामने आ रहे है ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर दिया। राज्य में 400 लोग ब्लैक फंगस की वजह से आंखों की रोशनी खो चुके हैं। जयपुर में 148 लोग इससे संक्रमित। जोधपुर में 100 मामले सामने आए। 30 केस बीकानेर और बाकी अजमेर, कोटा और उदयपुर में हैं। अपुष्ट आंकड़ों के मुताबिक करीब 700 से अधिक रोगी ब्लैक फंगस के राज्य में शिकार है।
मप्र में करीब 600 मरीज
मप्र में 600 कोविड-19 का इलाज करवा रहे या ठीक हुए व्यक्तियों में दुर्लभ ब्लैक फंगस संक्रमण पाया गया है। वहीं प्रदेश सरकार ने ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों को देखते हुए कोविड मरीजों की नेजल एंडोस्कोपी का अभियान शुरू करने का निर्णय लिया गया है, ताकि ब्लैक फंगस बीमारी की प्राथमिक स्तर पर पहचान कर रोकथाम एवं त्वरित उपचार किया जा सके। बताया जा रहा है की इस अभियान के अंतर्गत, अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीजों की नि:शुल्क नेज़ल एंडोस्कोपी की जा सकेगी। नेजल एंडोस्कोपी एक प्रक्रिया है जिससे एंडोस्कोप के जरिए नाक के अंदर की जांच की जाती है और पता लगाया जाता है कि साइनस मार्ग रूका हुआ तो नहीं है।
दिल्ली में 300 से अधिक मामले
दिल्ली में ब्लैक फंगस के मरीज 300 के पार हो चुके हैं। इंजेक्शन की कमी होने के चलते ऑपरेशन करने पड़ रहे हैं। एम्स में एक सप्ताह में 80 मरीज भर्ती हुए हैं। सर गंगाराम अस्पताल में ब्लैक फंगस के 69 मरीजों को इलाज चल रहा है। यही नहीं, दिल्ली एम्स और सर गंगाराम अस्पताल के अलावा मैक्स और इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में ब्लैक फंगस के कई मरीज सामने आ चुके हैं। 30 की हालत गंभीर है।
यूपी में 250 केस
उत्तर प्रदेश में भी ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। यहां अब तक 250 केस सामने आ चुके है और 11 मरीजों की मौत हो चुकी है। ब्लैक फंगस के सबसे ज्यादा केस राजधानी लखनऊ में सामने आए है यहां 73 केस समाने आए हैं और सात मरीजों की मौत हो चुकी है। इसके बाद मेरठ में करीब 67 केस सामने आ चुके हैं और यहां चार मरीजों की मौत हो चुकी है। कानपुर में 50 और वाराणसी में 30 से ज्यादा केस सामने आ चुके हैं। ओरैया में एक और झांसी में पांच केस सामने आए हैं।
हरियाणा में 25 की मौत
हरियाणा में ब्लैक फंगस के अब तक 190 से ज्यादा केस आ चुके हैं। प्रदेश के विभिन्न जिलों में करीब 25 मरीजों की मौत हो चुकी है। हरियाणा सरकार ने ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों को देखते हुए 15 मई को ब्लैक फंगस को अधिसूचित रोग घोषित कर दिया था।
छत्तीसगढ़ में 100 से अधिक केस
छत्तीसगढ़ में ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या 100 से अधिक है। वहीं 92 मरीजों का इलाज अस्पतालों में चल रहा है। बताया जा रहा है की सबसे ज्यादा 69 मरीज एम्स में भर्ती हैं और इनमें से 19 का ऑपरेशन हो चुका है। महासमुंद के निजी अस्पताल जैन नर्सिंग होम में ब्लैक फंगस के 6 मामले सामने आए थे, जिसमें 1 मरीज की मौत हो गई है और 1 मरीज को इलाज के लिए रायपुर एम्स रेफर किया गया था। वहीं सरगुजा संभाग के बलरामपुर जिले से संभाग का पहला ब्लैक फंगस का मामला सामने आया है।
बिहार में 110 मरीज
बिहार में अब तक लगभग 110 मरीजों में ब्लैक फंगस की पुष्टि हो चुकी है। ब्लैक फंगस से मरने वालों में अब तक एक मरीज की ही पुष्टि हुई है जो कि बेतिया मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक डॉ. यूएस पांडेय जिनकी रुबन अस्प्ताल में मौत हुई है। वहीं आईजीआईएमएस में अबतक 10 मरीजों का ऑपरेशन हुआ है, जबकि पटना एम्स में भी 15 मरीजों का अबतक ऑपरेशन हो चुका है।बिहार में ब्लैक फंगस के साथ ही व्हाइट फंगस ने भी दस्तक दे दी है। पटना में व्हाइट फंगस से 4 लोगों की मौत हो गई। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार व्हाइट फंगस नाक और मुंह के रास्ते तेजी से फैल सकता है। बिहार के अलावा कुछ राज्यों में भी व्हाइट फंगस के मरीज मिले हैं। यह ब्लैक फंगस से भी ज्यादा खतरनाक है। इससे मरीज की आंखों की रोशनी तेजी से खत्म होती है। उधर कई राज्य सरकारों ने ब्लैक और व्हाइट फंगस से निपटने के उपाय शुरू कर दिए हैं। अब तक ब्लैक फंगस (म्यूकर माइकोसिस) से जूझ रहे पटना में व्हाइट फंगस के मरीज मिलने से अफरातफरी मच गई है। ब्लैक फंगस से ज्यादा घातक मानी जाने वाली इस बीमारी के चार मरीज पिछले कुछ दिनों में मिले हैं। व्हाइट फंगस (कैंडिडोसिस) फेफड़ों के संक्रमण का मुख्य कारण है। यह फेफड़ों के अलावा, स्किन, नाखून, मुंह के अंदरूनी भाग, आमाशय और आंत, किडनी, गुप्तांग और ब्रेन को भी संक्रमित करता है। पटना मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में माइक्रोबायोलॉजी विभाग के हेड डॉ. एसएन सिंह के मुताबिक अब तक ऐसे चार मरीज मिले हैं, जिनमें कोविड-19 जैसे लक्षण थे, पर वे कोरोना नहीं बल्कि व्हाइट फंगस से संक्रमित थे। मरीजों में कोरोना के तीनों टेस्ट रैपिड एंटीजन, रैपिड एंटीबॉडी और आरटी-पीसीआर टेस्ट निगेटिव थे। जांच होने पर सिर्फ एंटी फंगल दवाओं से ठीक हो गए। इसमें पटना के चर्चित सर्जन भी हैं जिन्हें एक बड़े प्राइवेट अस्पताल में कोरोना वार्ड में भर्ती कराया गया था। जांच से पता चला कि वे व्हाइट फंगस से पीडि़त हैं। एंटी फंगल दवाओं के बाद उनका ऑक्सीजन लेवल 95 पहुंच गया।
मप्र में एंटी ब्लैक फंगस इंजेक्शन का संकट
गुजरात में 1200 मरीज पर 1.24 लाख एम्फोटेरिसिन इंजेक्शन का आर्डर, मप्र में 575 से ज्यादा केस, केंद्र से मांगे सिर्फ 24 हजार डोज
कोरोना संकट के बीच मप्र में एक और मुसीबत हर दिन बढ़ती जा रही है। वो है ब्लैक फंगस। बीते 27 दिन में इसके 575 से ज्यादा संक्रमित मिल चुके हैं, जबकि 31 मरीजों की इलाज के दौरान मौत हो चुकी है। इस बीमारी के मरीजों की संख्या हर दिन बढ़ती जा रही है। यही वजह है कि कई राज्य इसे महामारी घोषित कर चुके हैं। प्रदेश इस बीमारी से लडऩे के लिए कितना तैयार है? क्योंकि पहली चुनौती एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन के संकट से निपटने की है। मरीजों को यह इंजेक्शन नहीं मिल रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इंजेक्शन के 24 हजार वॉयल मप्र को आवंटित करने के लिए केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री मनसुख एल मंडाविया को पत्र लिखा है। दो दिन पहले सरकार ने 2 हजार डोज गुजरात से मंगाए थे। मांडविया ने कहा है कि इलाज में इस्तेमाल होने वाले एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन का उत्पादन प्रति माह बढ़ाकर 3.80 लाख कर दिया है। सरकार इस माह के अंत तक 3 लाख वॉयल का आयात करेगी। अन्य देशों से भी टीके खरीदने की कोशिश की जा रही है।

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