देश की पहली स्वदेशी mRNA वैक्सीन को मिली मानव परीक्षण की मंजूरी

 नई दिल्ली ।कोरोना वायरस के लिए बनाई जा रही वैक्सीन को लेकर एक अच्छी खबर है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पुणे की जिनोवा कंपनी को उसके टीके के लिए मानव परीक्षण की अनुमति दे दी है। यह देश की पहली ऐसी वैक्सीन है जिसे इस तरह की मंजूरी दी गई है। बता दें कि यह वैक्सीन मैसेंजर-आरएनए यानी एमआरएनए तकनीक को आधार बनाकर विकसित की गई है। इस तरह के वैक्सीन मैसेंजर आरएनए का इस्तेमाल करते हैं, जो शरीर को बताते हैं कि किस तरह का प्रोटीन बनाना है।जिनोवा से पहले फाइजर और मॉडर्ना कंपनी ने मानवीय परीक्षण पूरे कर लिए हैं। मॉडर्ना की वैक्सीन 94.5 फीसदी प्रभावी और फाइजर की वैक्सीन को 90 फीसदी तक प्रभावी बताया गया है। यह दोनों भी वैक्सीन मैसेंजर-आरएनए यानि एमआरएनए तकनीक के आधार बनाकर विकसित की गई हैं।ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने भारत के पहले एमआरएनए कोविड-19 वैक्सीन कैंडिडेट -एचजीसीओ19- के पहले और दूसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल के लिए सशर्त स्वीकृति दी है। इसे जिनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स द्वारा बनाया जा रहा है।जिनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स पुणे स्थित एक फर्म है, जो एचडीटी बायोटेक कॉर्पोरेशन (यूएसए) के साथ मिलकर वैक्सीन विकसित करने को लेकर काम कर रही है। मानवीय परीक्षण के लिए सशर्त मंजूरी विशेषज्ञ समिति की सिफारिश के बाद दी गई।इन कंपनियों की वैक्सीन को करना होगा इंतजार
विशेषज्ञों की समिति ने कहा है कि सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक को कोरोना वैक्सीन को लेकर अभी और थोड़ा इंतजार करना होगा। उन्हें और अधिक डाटा एकत्र करने की जरूरत है। जबकि तीसरी कंपनी फाइजर कंपनी ने अपने प्रजेंटेशन के लिए और समय मांगा है।सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमिटी (एसईसी) ने ईयूए यानी वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति को लेकर एक बैठक भी की। इसी बैठक में एसईसी ने सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक को भारत में वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल के लिए अनुमति दिए जाने से पहले डाटा एकत्र करने का सुझाव दिया है।

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