देश की छवि खराब कर रहे कुछ एनजीओ
सीसीएफ की 48वीं ई प्रशिक्षण कार्यशाला मे बोले राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग के अध्यक्ष
उमरिया। कोरोना की चपेट आकर अनाथ हुए देश भर के बच्चों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित पुनर्वास योजना दुनिया भर के लिए उदाहरण है। यह राज्य के अभिभावक होने के नैतिक दायित्व का प्रमाणिक और अभिनंदनीय अहसास कराने का काम करेगी। उक्त आशय के उद्गार राष्ट्रीय बाल अधिकार एवं सरंक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने चाइल्ड कंजर्वेशन फाउंडेशन के 48वें ई प्रशिक्षण सह संगोष्ठी को संबोधित करते हुए व्यक्त किये। ई वेबीनार मे प्रदेश भर के बाल कल्याण समिति के जिला अध्यक्ष सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।
सवालों के दिये जवाब
उन्होंने कहा कि 23 साल की उम्र मे ही कोई बालक सही मायनों में अपने पैरों पर खड़ा होकर जबाबदेह नागरिक बन पाता है, इसलिए प्रधानमंत्री की यह योजना असंदिग्ध रूप से एक संवेदनशील अभिभावक की भूमिका को पूरा करेगी। श्री कानूनगो ने सीसीएफ़ के इस डिजिटल प्लेटफार्म पर 20 राज्यों एवं 4 केन्द्र शासित प्रदेशों से जुड़े तीन सौ से ज्यादा बाल अधिकार कार्यकर्ताओं के सवालों के जबाब दिए। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बताया कि देश में विदेशी धन की मदद से एक बहुत ही सुगठित तंत्र बच्चों के नाम से सक्रिय है। महाराष्ट्र सहित दक्षिण के पांच राज्यों में 4100 से अधिक बाल देखरेख संस्थान काम कर रहे है जबकि देश मे इनकी कुल संख्या 7100 है। लाखों बच्चे अपने मां-पिता के होते हुए भी इन ग्रहों में रह रहे है जिन्हें परिवारों मे भेजने का काम पिछले तीन वर्षों से जारी है।
विदेशों से मिले करोड़ों रूपये
उन्होंने कहा कि कुछ एनजीओ प्रायोजित होकर देश की छवि खराब कर रहे हैं। श्री कानूनगो ने बताया कि 645 बाल गृह ऐसे है जिन्हें विदेशों से 954 करोड की राशि एक साल में मिली। इसके अलावा आंध्रप्रदेश के 143 एनजीओ ऐसे है जहां प्रति बालक पर 6लाख 7 हजार की राशि विदेशों से मिलती है। वहीं केरल में 2 लाख 2 हजार, तमिलनाडु मे 2 लाख 4 हजार की राशि एफसीआरए के जरिये मिल रही है। इतनी राशि तमाम संदेह को जन्म देती है। सभी सीडब्ल्यूसी सदस्यों से बाल ग्रहों के सतत निरीक्षण का आग्रह करते हुए उन्होंने कहा कि आयोग ने मासी नाम से एक डिजिटल निरीक्षण एप बनाया है जिसके पैरामीटर्स पर निरीक्षण किया जाना चाहिए। इसके अलावा बाल स्वराज नामक पोर्टल भी लांच किया गया है जिसमें हर जिले के सरंक्षण एवं जरूरतमंद श्रेणी के बालक का पूरा डेटा संधारित्र कर उसके युक्तियुक्त पुनर्वास की गारंटी प्रदान की गई है।
अध्यक्ष की चिंता जायज: गौतम
बाल कल्याण समिति उमरिया के अध्यक्ष दिव्यप्रकाश गौतम ने चर्चा मे हिस्सा लेते हुए राष्ट्रीय बाल अधिकार एवं सरंक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानून द्वारा दी गई जानकारी को सार्थक बताया सांथ ही उनकी चिंताओं के प्रति सहमति जताते हुए सुधार पर बल दिया।
इन्होने भी रख्रे विचार
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ राघवेंद्र शर्मा ने प्रधानमंत्री का धन्यवाद ज्ञापित किया जिन्होंने मप्र की कोविड बाल कल्याण योजना को देश भर में परिष्कृत रूप से लागू किया है। ई प्रशिक्षण कार्यक्रम का संचालन कर रहे फउंडेशन के सचिव डॉ. कृपाशंकर चौबे ने बताया कि चाइल्ड कंजर्वेशन फाउंडेशन बाल सरंक्षण के लिए एक लुब्रिकेंट या उत्प्रेरक के रूप मे काम कर रहा है। विशेषज्ञ अतिथियों का स्वागत आईटी हेड भुवनेश भार्गव ने किया।
देश की छवि खराब कर रहे कुछ एनजीओ
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