ब्रिटिश मीडिया का दावा- रूस के जासूसों ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका का फाॅर्मूला चुराकर बनाई थी स्पुतनिक-V
लंदन/मॉस्को। दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन बनाने का दावा करने वाला रूस सवालों के घेरे में है। ब्रिटिश मीडिया ने दावा किया है कि रूस के जासूसों ने ऑक्सफोर्ड- एस्ट्राजेनेका का फाॅर्मूला चुराकर स्पुतनिक-V वैक्सीन तैयार की थी। ब्रिटेन के गृह मंत्रालय ने इसकी पुष्टि तो नहीं की है, लेकिन इससे इनकार भी नहीं किया है। ब्रिटेन के दो अखबारों ‘द डेली मेल’ और ‘द सन’ की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि स्पुतनिक-V वैक्सीन को बनाने वाली रूसी कंपनी गेमालेया नेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी ने ब्रिटिश फॉर्मूला चुराकर दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन बनाई है।
रूस को आगे दिखाना चाहते थे राष्ट्रपति पुतिन
रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूस ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका का फाॅर्मूला चुराने के लिए अपने जासूसों का इस्तेमाल किया था। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन चाहते थे कि दुनियाभर में फैली इस खतरनाक महामारी का मुकाबला करने की रेस में मॉस्को का नाम सबसे आगे हो। ब्रिटिश मीडिया आगे लिखता है- जब दुनिया महामारी से त्रस्त थी, तब पुतिन के जासूस ब्रिटेन में मौजूद थे। सुरक्षा सूत्रों के हवाले से स्थानीय मीडिया लिखती है- ये जासूस फार्मा कंपनी की लैब से वैक्सीन की ब्लू प्रिंट चुराने वाले थे या फिर प्लांट से तैयार दवा। यह बताना मुश्किल है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूस ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका का फाॅर्मूला चुराने के लिए अपने जासूसों का इस्तेमाल किया था। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन चाहते थे कि दुनियाभर में फैली इस खतरनाक महामारी का मुकाबला करने की रेस में मॉस्को का नाम सबसे आगे हो। ब्रिटिश मीडिया आगे लिखता है- जब दुनिया महामारी से त्रस्त थी, तब पुतिन के जासूस ब्रिटेन में मौजूद थे। सुरक्षा सूत्रों के हवाले से स्थानीय मीडिया लिखती है- ये जासूस फार्मा कंपनी की लैब से वैक्सीन की ब्लू प्रिंट चुराने वाले थे या फिर प्लांट से तैयार दवा। यह बताना मुश्किल है।
ब्रिटिश सरकार ने चोरी से इनकार नहीं किया
ब्रिटेन की होम मिनिस्ट्री के अफसर डेमियन हिंड्स ने कहा- हम इस मामले पर टिप्पणी नहीं कर सकते, लेकिन इससे इनकार भी नहीं किया जा सकता है। यह मानना उचित है कि निश्चित रूप से विदेशी ताकतें लगातार वाणिज्यिक, संवेदनशील, वैज्ञानिक रहस्य और बौद्धिक संपदा को हथियाने की कोशिश में जुटी हुई हैं।
ब्रिटेन की होम मिनिस्ट्री के अफसर डेमियन हिंड्स ने कहा- हम इस मामले पर टिप्पणी नहीं कर सकते, लेकिन इससे इनकार भी नहीं किया जा सकता है। यह मानना उचित है कि निश्चित रूप से विदेशी ताकतें लगातार वाणिज्यिक, संवेदनशील, वैज्ञानिक रहस्य और बौद्धिक संपदा को हथियाने की कोशिश में जुटी हुई हैं।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी पर रूसी हैकर्स के हमले की कोशिश का दावा
ब्रिटिश खुफिया एजेंसी MI5 ने ब्रिटेन पर रूसी हैकर्स के हमले की कोशिश का खुलासा किया था। एजेंसी ने कहा था कि ब्रिटिश वैज्ञानिकों द्वारा कोरोना वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल की घोषणा के करीब एक महीने पहले (मार्च 2020) में रूसी हैकर्स ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी पर साइबर हमलों को अंजाम देने की बार-बार कोशिश की थी।
ब्रिटिश खुफिया एजेंसी MI5 ने ब्रिटेन पर रूसी हैकर्स के हमले की कोशिश का खुलासा किया था। एजेंसी ने कहा था कि ब्रिटिश वैज्ञानिकों द्वारा कोरोना वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल की घोषणा के करीब एक महीने पहले (मार्च 2020) में रूसी हैकर्स ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी पर साइबर हमलों को अंजाम देने की बार-बार कोशिश की थी।
एक महीने बाद ही रूस ने दुनिया की पहली वैक्सीन बनाने का दावा किया
रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटिश वैज्ञानिकों की घोषणा के ठीक एक महीने बाद ही यानी मई 2020 में ही रूस ने इस बात की जानकारी दी कि उन्होंने कोरोना महामारी से लड़ने के लिए दुनिया की पहली वैक्सीन तैयार कर ली है। खुद पुतिन ने अगस्त 2020 में एक टीवी इंटरव्यू में कहा था- रूस ने दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन तैयार कर ली है।
रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटिश वैज्ञानिकों की घोषणा के ठीक एक महीने बाद ही यानी मई 2020 में ही रूस ने इस बात की जानकारी दी कि उन्होंने कोरोना महामारी से लड़ने के लिए दुनिया की पहली वैक्सीन तैयार कर ली है। खुद पुतिन ने अगस्त 2020 में एक टीवी इंटरव्यू में कहा था- रूस ने दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन तैयार कर ली है।
एक ही प्लेटफॉर्म पर काम करते हैं दोनों वैक्सीन
रिपोर्ट के मुताबिक- घटनाओं की टाइमलाइन बताती है कि मॉस्को ब्रिटेन में पहले क्लिनिकल ट्रायल के दौरान वैक्सीन का खाका तैयार कर चुका था। बाद के ट्रायल्स में यह सामने आया था कि स्पुतनिक-V ब्रिटिश वैक्सीन के जैसे ही काम करती है। दोनों वायरल वेक्टर टीके हैं,यानी कि दोनों निष्क्रिय वायरस का उपयोग प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय बनाने में करते हैं। यह कोरोना वायरस को नष्ट कर देता है।
रिपोर्ट के मुताबिक- घटनाओं की टाइमलाइन बताती है कि मॉस्को ब्रिटेन में पहले क्लिनिकल ट्रायल के दौरान वैक्सीन का खाका तैयार कर चुका था। बाद के ट्रायल्स में यह सामने आया था कि स्पुतनिक-V ब्रिटिश वैक्सीन के जैसे ही काम करती है। दोनों वायरल वेक्टर टीके हैं,यानी कि दोनों निष्क्रिय वायरस का उपयोग प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय बनाने में करते हैं। यह कोरोना वायरस को नष्ट कर देता है।
द लैंसेट में प्रकाशित हुए थे क्लीनिकल ट्रायल के नतीजे
द सन ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि सितंबर में मास्को में हुए दो शुरुआती क्लीनिकल ट्रायल के नतीजे ब्रिटेन के प्रतिष्ठित जर्नल द लैंसेट में प्रकाशित हुए थे। इसमें संकेत मिलता है कि रूसी वैक्सीन सुरक्षित और प्रभावी है। रूसी वैक्सीन स्पुतनिक में ठीक उसी तकनीक का प्रयोग किया गया है जो आक्सफर्ड की वैक्सीन में है। रूसी स्टडी में केवल 76 लोग शामिल थे और इनमें से केवल आधे को ही कोरोना का टीका लगाया गया था।
द सन ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि सितंबर में मास्को में हुए दो शुरुआती क्लीनिकल ट्रायल के नतीजे ब्रिटेन के प्रतिष्ठित जर्नल द लैंसेट में प्रकाशित हुए थे। इसमें संकेत मिलता है कि रूसी वैक्सीन सुरक्षित और प्रभावी है। रूसी वैक्सीन स्पुतनिक में ठीक उसी तकनीक का प्रयोग किया गया है जो आक्सफर्ड की वैक्सीन में है। रूसी स्टडी में केवल 76 लोग शामिल थे और इनमें से केवल आधे को ही कोरोना का टीका लगाया गया था।
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