दीवार मे दफ्न हुई लाडली
मानपुर जनपद के ग्राम मरई कला मे हुआ हादसा, मां की हालत गंभीर
मानपुर/रामाभिलाष त्रिपाठी। जनपद अंतर्गत ग्राम मरई कला मे दीवार भसकने से एक 12 वर्षीय मासूम की मौत हो गई। इस हादसे मे बच्ची की मां गभीर रूप से घायल बताई जाती है, जिसका स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मे उपचार किया जा रहा है। मृतक बच्ची का नाम जानकी सिंह पिता राजू सिंह बताया गया है। जानकारी के अनुसार जानकी एवं उसकी मां गोमती पर घर की दीवाल गिर गई और वे दोनो उसके नीचे दब कर रह गये। घटना के बाद परिजनो ने आनन-फानन मे मां-बेटी को बाहर तो निकाल लिया परंतु तब तक मासूम का दम घुट चका था। जबकि उसकी मां बुरी तरह जख्मी हो गई, जिसे तत्काल स्थानीय स्वास्थ्य केन्द्र मे भर्ती कराया गया है।
उम्र से लंबा आवास का इंतजार
बताया जाता है कि राजू सिंह निवासी मरई कला को विगत वर्ष 2018-19 मे प्रधानमंत्री आवास योजना स्वीकृत हुई थी। आवास निर्माण हेतु पहली किस्त भी मिल गई थी, जिससे मकान का कुछ काम पूरा कर लिया गया परंतु योजना की दूसरी किस्त दो साल बाद भी नहीं जारी हुई। किस्त के लिये राजू सिंह यहां से वहां भटकता रहा। थक हार कर उसने पुराने घर की मिट्टी से ईट बनाने का फैंसला किया। बताया जाता है कि राजू ने अपने घर की एक दीवाल को खोद कर मिट्टी निकाल ली, जिससे दूसरी दीवाल का सपोर्ट हट गया। इसी वजह से वह भरभरा कर गिर गई। जिस समय यह हादसा हुआ, उस वक्त राजू की पत्नी गोमती और बच्ची जानकी वहीं पर थे। दीवाल का पूरा मलबा उन दोनो पर जा गिरा, जिससे बच्ची की मौके पर ही मौत हो
परेशान सैकड़ों हितग्राही
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत चयनित जिले के सैकड़ों हितग्राही सरकार और विभाग की मनमानी का दंश भोग रहे हैं। बताया जाता है कि किस्त न मिलने के कारण कई आवास अधूरे पड़े हैं, जिससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। राजू सिंह के परिवार को भी यदि समय पर किस्त मिल जाती तो उन्हे अपनी मासूम बच्ची से हांथ न धोना पड़ता।
मंहगाई की भेट चढ़ रहा अनुदान
उल्लेखनीय है कि पीएम आवास योजना गरीबों को छत मुहैया कराने का महात्वाकांक्षी अभियान है, जिसके चलते यह बेहद लोकप्रिय भी है। यही कारण है कि चुनावों के दौरान इसका जम कर इस्तेमाल किया जाता है। जानकारों का मानना है कि पिछले कुछ वर्षो से आवास की किस्त सिर्फ चुनावों के समय ही जारी की जाती हैं। उसके बाद इस पर विराम लग जाता है। योजना के क्रियान्वयन की लेटलतीफी और मंहगाई के कारण आवास की लागत बढ़ती जा रही है। बताया जाता है कि जो मकान दो-तीन साल पहले एक से डेढ़ लाख मे बन जाता था, वह सामग्री और मजदूरी मंहगी होने से अब 4 लाख रूपये मे भी नहीं बन पा रहा है। ऐसे मे अनुदान का क्या औचित्य है।
दीवार मे दफ्न हुई लाडली
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