नगर पालिका को लगा वर्षो से जमे बाबुओं का घुन, शासन की छवि पर लग रहा बट्टा
बांधवभूमि, उमरिया
एक तरफ सरकार और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शासकीय व्यवस्था को चाक-चौबंद, पारदर्शी तथा जनसुलभ बनाने की कोशिशों मे एड़ी-चोटी का जोर लगाये हुए हैं। आये दिन शिविर लगा कर जनता की समस्याओं का निराकरण किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर महकमो के बाबू और अधिकारी अपनी करतूतों से उनके सारे किये धरे पर पानी फेरने को आमादा हैं। सबसे ज्यादा खराब हालत जिले के नगरीय निकायों की है, जहां वर्षो से जमे बाबुओं की मनमानी सिर चढ़ कर बोल रही है। जिला मुख्यालय की नगर पालिका परिषद मे पदस्थ संजय शुक्ला जैसे लोग तो भ्रष्टाचार का जीता-जागता प्रतीक बन गये हैं। बताया जाता है कि दैनिक वेतन भोगी की श्रेणी के शुक्ला बाबू को बिल पास करने और भुगतान जैसा संवेदनशील काम सौंपा गया है। इसके लिये बाबूजी खुलेआम 10 परसेंट पहले ले लेते हैं। उनका साफ तौर पर कहना है कि उन्हे यह नौकरी 10 लाख रूपये खर्च कर के मिली है। अब यदि लागत लगाई है तो कमाई भी करनी ही पड़ेगी। लिहाजा बिल उसी का पास होगा, जो बाबूजी की डिमाण्ड पूरी करेगा, नहीं तो कुछ भी कर लो फर्क नहीं पडऩे वाला।
विवादों के घेरे मे नौकरी
नगर पालिका परिषद की लेखा शाखा मे सालों से जमे संजय शुक्ला की नौकरी भी विवादों के घेरे मे है। जानकारी के अनुसार लंबी लेनदेन के बाद सरकारी नुमाईन्दों और प्रभावशाली नेताओं की वजह से उन्हे यह गद्दी नसीब हुई थी, लेकिन इसका खामियाजा नगर के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। कृपा से रोजी-रोटी का जरिया मिलते ही बाबूजी नकेवल अपनी औकात भूल गये, बल्कि लोगों को अपनी हनक दिखा कर परेशान भी करने लगे। जिस स्थान पर कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, मुख्य नगर पालिका अधिकारी जैसे वरिष्ठ अफसर बैठे हों, वहां एक बाबू की इतनी हिम्मत काबिले तारीफ है।
फर्जीवाड़े मे डूबा आकंठ
कहा जाता है कि बीते कुछ वर्षो के दौरान उमरिया नगर पालिका मे करोड़ों रूपये का भ्रष्टाचार हुआ है। इसकी गंगा भी बाबूजी की चौखट से बह कर निकली है। इस कालावधि मे संजय शुक्ला द्वारा नियमो को ताक पर रख कर सैकड़ों फर्जी बिलों का भुगतान कर दिया गया है। इस तरह से नगर के विकास पर खर्च होने वाला निकाय का पैसा सही जगह न लग कर अधिकारियों तथा भ्रष्ट बाबुओं की जेब मे चला गया।
आपरेटर के हांथ मे डिजिटल सिगनेचर
इस संबंध मे मुख्य नगर पालिका अधिकारी श्रीमती ज्योति सिंह का कहना है कि संजय शुक्ला केवल एक ऑपरेटर है, उसका काम सिर्फ कम्प्यूटर चलाना है। चंूकि निकाय मे लेखापाल का पद खाली है, लिहाजा फिलहाल यह प्रभार जितेन्द्र तिवारी को दिया गया है। जबकि जितेन्द्र तिवारी कभी भी उक्त शाखा मे नजर नहीं आते और अधिकारी के डिजिटल सिग्नेचर के उपयोग से लेकर बिलों को पास करने और भुगतान तक का पूरा काम शुक्ला ही कर रहा है। एक भ्रष्ट बाबू पर इतनी कृपा से भले ही कुछ लोगों को फायदा हो रहा हो, इससे निकाय और शासन की छवि तो खराब हो रही है।
मकान मालिक से गुडागर्दी
मामला केवल भ्रष्टाचार तक ही सीमित नहीं है। बताया जाता है कि संजय शुक्ला मकान मालिक पर धौंस जमा कर उसका किराया नहीं दे रहा। इस आशय की लिखित शिकायत मकान मालिक धंताली राय निवासी पुराना स्टेट बैंक के पास उमरिया ने विगत 5 जुलाई 23 को की है। जिसमे कहा गया है कि संजय शुक्ला पिता मोहन लाल शुक्ला उसकी पुत्री सुमन राय के मकान मे रह रहा है, जिसका दो महीने का किराया और बिजली का बिल बाकी है। जिसे वह नहीं दे रहा है। पैसा मांगने पर शुक्ला उसके सांथ अभद्रता पर भी उतारू हो जाता है। मतलब साफ है कि यह व्यक्ति आदतन अपराधी भी है। ऐसे मे उसके विरूद्ध तत्काल कार्यवाही बेहद जरूरी है, जिससे लोगों को शोषण से मुक्ति मिल सके।