तेल सोख रहा राशन की राहत

तेल सोख रहा राशन की राहत
मुफ्त अनाज के बावजूद परेशान गरीब, मंहगाई से दो जून की रोटी भी हुई मुहाल
उमरिया। बढ़ती मंहगाई और घटती कमाई ने आम आदमी के सामने जीवन-यापन का ऐसा संकट पैदा कर दिया है, जिससे पार पाना बस के बाहर हो गया है। मध्यम वर्ग के लिये तो मुश्किलें आसमान से भी ऊंची हैं। बच्चों की पढ़ाई, मकान का किराया, बिजली का बिल, रोटी, कपड़े से लेकर पेट्रोल और इलाज के खर्च तक का इंतजाम करने मे जान सूखी जा रही है। वहीं गरीबों को मिलने वाली राहत भी जरूरी सामानो की आसमान छूती कीमतों की भेंट चढ़ गई है। सरकार ने हाल ही मे 1 रूपये किलो वाले गेहूं और 2 रूपये किलो वाले चावल को 5 महीनो के लिये मुफ्त कर दिया है परंतु सरसों तेल, किराना और सब्जियों मे दामो मे हुई बेहताशा वृद्धि से यह छूट हवा हो गई है।
उद्योगपतियों की गुलाम हुई व्यवस्था
मंहगाई से आम-आदमी कराह रहा है। इसका मुख्य कारण जिम्मदारों का अपनी जवाबदेही से मुंह मोडऩा है। एक जमाना था जब आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत खाद्य पदार्थ तथा अन्य वस्तुओं के दामो मे जरा सी बढ़ेात्तरी होने का कारण स्पष्ट करना पड़ता था परंतु जब से एमआरपी आई, सारी नियम कायदे गुम हो गये हैं। कुल मिला व्यवस्था उद्योगपतियों की गुलाम हो कर रह गई है। शासन को मंहगाई पर नियंत्रण लगाना चाहिये।
जितेन्द्र गुप्ता
सदस्य डीआरयूसीसी, उमरिया
सब्जी मे छौंका कैसे लगायें
ये सही बात है कि सरकार ने कोरोना काल मे 5 महीने का गेहूं और चावल मुफ्त दे रही है। सब्जी की व्यवस्था भी कर लेंगे पर सब्जी मे छौंका लगाने के लिये तेल कहां से लायें। कड़वे तेल के दाम रोज बढ़ रहे हैं। सोयाबीन का भी यही हाल है।
पार्वती बैगा, गृहणी
दोगुना मंहगा हुआ तेल
जितनी छूट निशुल्क राशन मे मिल रही है, उससे दस गुना ज्यादा पैसा तो सरसों का तेल मंहगा होने के कारण जा रहा है। जो तेल पिछले साल तक 80 रूपये था वो अब 160 रूपये किलो हो गया है। यह तो एक हांथ से दो और दूसरे हांथ से लो वाली बात हुई।
शोभेलाल, किसान
जनता को मूर्ख बना रहे
सारी छूट सिर्फ जनता को मूर्ख बनाने के लिये है। राशन के दूकानो मे मिलने वाला गेहूं और चावल बेहद घटिया क्वालिटी का है। मुफ्त मे मिलने के कारण, जैसा है, वही लेना पड़ता है। ऊपर से सरसों तेल से लेकर पेट्रोल, डीजल, बिजली सब कुछ मंहगा हो गया है।
दीपचंद नामदेव, श्रमिक

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