तीस दिन मे नामांतरण नहीं तो तहसीलदार होंगे निलंबित

तीस दिन मे नामांतरण नहीं तो तहसीलदार होंगे निलंबित

शासन के निर्णय से भूमि क्रेताओं को राहत, दूर होंगी कई पेचीदगियां

बांधवभूमि न्यूज

मध्यप्रदेश, उमरिया
प्रदेश के राजस्व मंत्री ने भले ही ग्वालियर मे यह बात कही हो कि जमीन का नामान्तरण रजिस्ट्री के तीस दिनों के अंदर हो जाना चाहिए अन्यथा तहसीलदार को निलंबित कर दिया जाएगा, लागू तो उमरिया मे भी होनी चाहिए। जिले मे जिस तरह से ऐसी जमीनों की रजिस्ट्री भूमाफिया करा रहे हैं जिनका नामान्तरण सालों साल भी क्रेता के नाम पर नहीं हो पाता है। दरअसल जिले मे सक्रिय भूमाफिया का रजिस्ट्री कार्यालय और सर्विस प्रोवाइडरों से इतना ज्यादा घोलमेल है कि विवादित जमीनों की रजिस्ट्री भी खरीदार को अंधेरे मे रखकर करा दी जाती है। जमीन की रजिस्ट्री कराने के बाद क्रेता को पता चलता है कि उसके साथ कितना बड़ा धोखा हो गया है।

यह कहा मंत्री ने
राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा ने कहा है कि नामांकन, सीमांकन एवं बटवारा प्रकरणों का निराकरण निर्धारित समयावधि के भीतर करें। निराकरण के लिए पटवारी के साथ नायब तहसीलदार, तहसीलदार व एसडीएम भी गांव-गांव पहुंचे। गांव मे आम आदमी के द्वार पर बैठकर किसानों की राजस्व संबंधी समस्याओं का समाधान करें। उन्होंने राजस्व अधिकारियों को आगाह करते हुए कहा कि यदि रजिस्ट्री होने के 30 दिन के भीतर किसी तहसीलदार, नायब
तहसीलदार ने नामांतरण नहीं किया तो वह अपने आप को निलंबित समझे।

आम आदमी का बढ़े विश्वास
राजस्व मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव की मंशा है कि प्रदेश के किसी भी किसान को राजस्व संबंधी समस्या के लिये भटकना न पड़े। इसी उद्देश्य से राजस्व महाअभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि नामांतरण एवं नामांकन व बंटवारा के प्रकरणों मे अधिकतम समय सीमा का इंतजार न करें। सभी राजस्व अधिकारी सकारात्मक सोच एवं किसानों की मदद के भाव के साथ जल्द से जल्द प्रकरणों का निराकरण करें, जिससे आम आदमी का विभाग के प्रति विश्वास और आप सबके प्रति सम्मान बढ़े। उन्होंने कहा सीमांकन प्रकरणों का निराकरण सभी पक्षों की मौजूदगी मे करें, जिससे आगे कोई विवाद की स्थिति न रहे। श्री वर्मा ने राजस्व महाअभियान के दौरान राजस्व अभिलेखों की त्रुटियों को दुरूस्त, नक्शे पर तरमीम और प्रमुखता के साथ बी-1 का वाचन करने पर विशेष बल दिया।

सामंजस्य का अभाव
दरअसल रजिस्ट्री कार्यालय और राजस्व विभाग के अमले के बीच सामंजस्य के अभाव के कारण भी लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। अक्सर तहसीलदार यह कहकर नामान्तरण मे रोक लगा देते हैं कि भूमि या तो विवादित है या फिर सरकारी है। जबकि जिस भूमि का पंजीयन किया जा रहा है उसके बारे मे पूरी जानकारी प्राप्त करने के बाद ही पंजीयक को उसका पंजीयन करना चाहिए। जबकि ऐसा नहीं हो रहा है। ऐसा इसलिए भी हो रहा है क्योंकि तहसील कार्यालय और पंजीयक कार्यालय के बीच सामंजस्य का अभाव है।

नहीं करते भूमि का निरीक्षण
किसी भी भूमि के पंजीयन के पहले पंजीयक कार्यालय के जिम्मेदार लोगों को भूमि का निरीक्षण करना जरूरी होता है। जानकार लोगों का तो यह भी कहना है कि पंजीयक के सामने ही क्रेता और विक्रेता का फोटा उस भूमि पर खींची जानी चाहिए जिसका पंजीयन कराया जाना है। पंजीयन के पहले भूमि की चौहद्दी की भी जांच नहीं की जाती। परिणामस्वरूप पंजीयन के बाद कई मामलों मे नामान्तरण परेशानी की वजह बन गया। दरअसल जिले का पंजीयन कार्यालय सरकारी कार्यालय कम रह गया है और जमीन का कारोबार करने वालों और जमीन के दलालों का कार्यालय बनता जा रहा है।

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