तीन दिन से जल रहा बांधवगढ़

कार्यवाही: राजधानी मे महसूस की गई आग की तपिश, सीएम ने कलेक्टर को दिये निर्देश
तीन दिन से जल रहा बांधवगढ़
हजारों पेड़-पौधे और जीव-जंतु जल कर राख, भागते फिर रहे वन्यजीव
उमरिया। जिले के राष्ट्रीय उद्यान बांधवगढ़ मे आग ने भयंकर तबाही मचाई है। अब तक इससे हजारों दुर्लभ पेड़-पौधे और जीव-जंतु जल कर राख हो चुके हैं। बड़े जानवर अपनी जान बचाने के लिये यहां से वहां भागते फिर रहे हैं। दरअसल होली से ठीक पहले खितौली परिक्षेत्र मे लगी आग ने धीरे-धीरे दावानल का रूप ले लिया। पार्क प्रबंधन जब तक चेतता, आग ने पूरा खितौली और मगधी कोर तथा धमोखर बफर को अपनी आगोश मे ले लिया। मंगलवार दोपहर तक इसने ताला कोर और पनपथा मे भी दस्तक दे दी। आग इतनी तेज थी कि कई किलोमीटर तक सिर्फ धुआं ही धुआं दिखाई दे रहा था। तीन दिनो से लगी आग की वजह से भारी तादात मे जमीन और पेड़ों पर घोंसला बना कर रहने वाले सांप, गिलहरी, चिडिय़ा, मोर, खरगोश जैसे छोटे-मोटे जीवों से लेकर चीतल, हिरण, नील गाय, बायसन आदि जानवर हताहत हुए हैं। आग के कारण पार्क के अंदर से गुजरने वाली विद्युत लाईनो को भी काफी क्षति पहुंची है।
प्रशासन ने कसी कमर
बांधवगढ़ मे लगी भीषण आग की तपिश राजधानी मे भी महसूस की गई। इसकी खबर मिलते ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जिले के कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव को आवश्यक निर्देश दिये। बताया गया है कि कलेक्टर ने शासकीय विभागों को अपने श्रमिक पार्क भेजने के लिये कहा है, परंतु इनकी संख्या ऊंट के मुंह मे जीरे के समान है। जानकारों का मानना है कि बीते वर्षो के दौरान वन विभाग द्वारा फायर वाचर, चौकीदार तथा अन्य मजदूरों की बड़े पैमाने पर छटनी की गई है। कई श्रमिक मजदूरी न मिलने के कारण काम छोड़ कर चले गये। यही हाल अन्य विभागों का भी है। उनका कहना है कि वन विभाग द्वारा जब तक ईको समितियों, तेंदूपत्ता समितियों और स्थानीय लोगों की मदद नहीं ली जाती तब तक आग से पार पाना दूर की कौड़ी है।
समय पर नहीं चेता प्रबंधन
पार्क प्रबंधन का दावा है कि उसने आग पर काबू पा लिया है। जबकि स्थानीय लोगों का कहना है कि आग अब तक पूरी तरह नहीं बुझी है। इसे शांत करने के लिये काफी मेहनत की जरूरत है। उन्होने बताया कि तीन दिन पहले तक हालात इतने खराब नहीं थे। यदि उस समय स्थानीय लोग और बांधवगढ़ नेशनल पार्क के श्रमिक प्रयास करते तो इतने बड़े नुकसान से बचा जा सकता है।
अब तक नहीं देखा ऐसा मंजर
जंगली क्षेत्रों मे गर्मी के दिनो आग लगना सामान्य सी बात है, इसके लिये समय रहते बचाव के प्रबंध किये जाते हैं। तो फिर बांधवगढ़ जैसे अत्यंत संवेदनशील इलाके मे हालात कैसे बेकाबू हो गये, इसकी पड़ताल बेहद जरूरी है। स्थानीय लोग भी इसे लेकर हैरान हैं। वे बताते हैं कि इस बार की आग ने पार्क क्षेत्र को जो नुकसान पहुंचाया है, वह भीषण है। अधिकांश क्षेत्रों मे खुर वालेे जीव-जंतुओं का हरा-भरा चारा, पत्ते और छोटे-मोटे पेड़ पौधे पूरी तरह समाप्त हो गये हैं। लिहाजा इन जीवों को अब भोजन की तलाश मे रिहायशी बस्तियों की ओर रूख करना होगा। इन्ही के पीछे-पीछे बाघ और तेंदुए भी गावों मे पहुंच जायेंगे। इससे उनके सांथ ग्रामीणो का भी जोखिम बढ़ जायेगा।
अनुमान नहीं था
आग लगने की सूचना मिलते ही अमले को काम पर लगा दिया गया था। गर्मी और सूखे पत्तों की वजह से जितनी तेजी से आग फैली, इसका अनुमान किसी को नहीं था। स्थिति अब नियंत्रण मे है।
विंसेन्ट रहीम
क्षेत्र संचालक
बांधवगढ़ टाइ्रगर रिजर्व

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