तनाव के बीच शुरू हुआ बांध का निर्माण
कलेक्टर की समझाईश के बाद थमा विरोध, तीन साल से रूका था कार्य
उमरिया। वर्षो से रूकी हुई अतरिया जलाशय परियोजना का निर्माण कार्य अंतत: शुरू हो गया है। हलांकि पहले की तरह इस बार भी कुछ किसानो ने बांध बनाये जाने का विरोध किया परंतु इस बार उनकी एक नहीं नहीं चली। बुधवार को सुबह निर्माण एजेन्सी के पहुंचने की जानकारी मिलते ही मौके पर भारी तादाद मे गांव के लोग पहुंच गये और निर्माण को लेकर अपना असंतोष जाहिर किया। जिस पर राजस्व और पुलिस अमले ने पहले तो उन्हे समझाने की कोशिश की पर वे नहीं माने। जब मामला गरमाने लगा तो प्रशासन ने सख्त रूख अख्तियार कर लिया। भारी तादाद मे पुलिस बल को देखकर किसानो ने चुप्पी साध ली। उल्लेखनीय है कि लगभग तीन वर्ष पूर्व जिले के करकेली जनपद क्षेत्र अंतर्गत आदिवासी बाहुल्य ग्राम अतरिया मे इस बांध का निर्माण स्वीकृत हुआ था। उसी समय से गांव के किसान इसकी मुखालफत कर रहे हैं। जलाशय के विरोध मे अतरिया के ग्रामीणो ने 2018 मे कलेक्ट्रेट के समक्ष कई दिनो तक अनशन भी किया था। विरोध को देखते हुए निर्माण कार्य स्थगित कर दिया गया था।
अधिकांश किसान राजी
वहीं कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने बताया कि अतरिया बांध परियोजना का विरोध गिनती के लोग कर रहे थे, शेष सभी निर्माण के लिये राजी हैं। इसमे करीब 61 किसानो की भूमि प्रभावित हो रही है, 45 किसानो ने मुआवजे की राशि ले ली है। शेष 11 किसानो का मुआवजा लंबित है, इनमे से भी आधे लोगों ने भूमि सौंपने की सहमति दी है। इस परियोजना के लिये आवश्यक 62.60 हेक्टेयर भूमि का 294.84 लाख का अवार्ड भी पारित हो चुका है। जिसमे से ग्राम अतरिया के किसानों को मुआवजे के रूप मे 170 लाख रुपये दे दिये गये हैं। करीब 70 लाख रूपये मुआवजा देना शेष है। जिसका भुगतान शीघ्र ही कर दिया जायेगा। कलेक्टर ने बताया कि अतरिया बांध से सिंचाई का रकबा बढ़ेगा वही मछली पालन के अवसर मिलेगे। ऐसे मे इसके विरोध का कोई औचित्य नहीं है।
क्यों हो रहा विरोध
सवाल उठता है कि इस पहाड़ी इलाके को हरा-भरा करने के लिये करोड़ों रूपये की लागत से बनने वाले अतरिया जलाशय का विरोध क्यों हो रहा है। इस संबंध मे बांधवभूमि ने गांव के किसानो से जब इस बाबत चर्चा की तो उन्होने बताया कि जमीन ही उनके जीवन-यापन का जरिया है, इस निर्माण से वे भूमिहीन हो जायेंगे। उनका कहना है कि सरकार जमीनो के बदले ना तो उन्हे उचित मुआवजा दे रही है और ना ही परिवार के सदस्य को नौकरी। ऐसे मे अब वे कहां जांय। बताया गया है कि जिले का यह दुर्गम इलाका जंगल और पहाड़ से घिरा हुआ है। यहां छोटे-छोटे किसान खेती और पशुपालन कर अपना पेट पालते हैं। ग्रामीणो का आरोप है कि यह निर्माण मनमाने तौर पर बिना किसी योजना के हो रहा है। जिसका फायदा अदिवासी किसानो को नहीं होगा।
8 किसानो पर केस दर्ज
इस बीच पुलिस ने न्यूसेंस करने वाले किसानो पर केस भी दर्ज किया है। थाना कोतवाली के टीआई सुंदरेश सिंह मरावी ने बताया कि अतरिया मे बांध निर्माण का विरोध कर रहे 8 किसानों के विरुद्ध धारा 151 का प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है।
किसानो के सांथ हो रहा अन्याय: कांग्रेस
कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर किसानो के शोषण का आरोप लगाया है। पार्टी के प्रदेश महासचिव एवं पूर्व विधायक अजय सिंह ने कहा कि जिले के अतरिया बांध निर्माण मे स्थानीय किसानो की जमीने जबरन ले ली गई हैं। इतना ही नहीं मनमाने तौर पर जमीन का मुआवजा बना कर गरीब किसानो के खातों मे डाल दिया गया है। ऊपर से इस अन्याय का विरोध करने वाले किसानो को नसिर्फ डराया-धमकाया जा रहा है बल्कि मुकदमे भी दर्ज किये जा रहे हैं, जो कि बेहद शर्मनाक है। पूर्व विधायक श्री सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री को भी किसानो की जिद के आगे झुकना पड़ा है। पार्टी इस घटना का विरोध करती है। उसकी मांग है प्रशासन किसानो से चर्चा करे सांथ ही उनकी जमीनो का उचित मुआवजा तथा प्रत्येक परिवार के एक व्यक्ति को शासकीय नौकरी दी जाय।
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