रोज-रोज हो रहे बदलावों से व्यापारी परेशान, चारों और से कस रहा शिकंजा
बांधवभूमि, उमरिया
केन्द्र सरकार द्वारा जीएसटी के नियमों मे बार-बार किये जा रहे बदलावों से जिले के व्यापारी भी हलाकान हो चुके हैं। हाल ही मे विभाग ने जीएसटी के प्रपत्र आर-1 और आर-3बी मे घोषित देनदारी या जीएसटी मे अंतर की सीमा घटा कर 5 प्रतिशत कर दी थी। यह सीमा पहले 20 प्रतिशत तक थी, जो कि बाद मे 10 प्रतिशत कर दी गई थी। अर्थात अभी तक दुकानदार पक्का बिल प्रस्तुत कर पटाई गई जीएसटी का क्लेम कर सकता था। बताया जाता है कि विभाग द्वारा अब इसे पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है। मतलब यह कि दुकानदार जिस भी स्टॉकिस्ट या होल सेलर से माल क्रय करेगा, यदि उसने इसकी घोषणा प्रपत्र-1 मे उसी महीने नहीं की तो बिल मे चुकता की गई टेक्स का क्लेम खरीददार व्यापारी नहीं कर सकेगा।
इस तरह होता है जमाखर्च
नियमानुसार खरीदे गए किसी भी सामान का ब्यौरा व्यापारियों को जीएसटी आर-2बी प्रपत्र मे दर्ज करना होता है। वहीं वस्तु की बिक्री के बाद उसका विवरण जीएसटी आर-1 मे दर्ज किया जाता है। अपनी खरीद, बिक्री और टेक्स का विवरण व्यापारी को जीएसटी आर-3बी मे देना पड़ता है। जिसके आधार पर चालान के माध्यम से वह टैक्स जमा करता है। अभी तक खरीद और ब्रिक्री के बीच का अंतर 5 प्रतिशत से ज्यादा होने पर व्यापारियों को नोटिफिकेशन भेजा जाता था। इसके चलते वे पहले ही समस्या मे थे पर जैसे ही यह सीमा भी समाप्त हो जायेगी, उनकी मुश्किलें और बढ़ेंगी और जरा भी अंतर आने पर विभाग उन्हे नोटिस थमा देगा।
भुगतनी होगी बेंचने वाले के गल्ती की सजा
विभाग द्वारा जारी नये फरमान के मुताबिक अब होल सेलर या माल बेंचने वाले व्यापारी को ली गई टेक्स का विवरण तत्काल ऑन लाईन दर्ज करना होगा, जो पोर्टल पर शो होने लगेगा। इन्हीं आंकड़ों के अनुसार क्रेता कारोबारी जीएसटी का इनपुट ले सकेगा। यदि किसी कारणवश अथवा गलती से भी विक्रेता दुकानदार ने टेक्स का डाटा उसी महीने प्रस्तुत नहीं किया तो क्रेता को इनपुट नहीं मिल सकेगा। कुल मिला कर एक व्यापारी की गलती का दण्ड दूसरे को भुगतना पड़ेगा।
अब तक हुए सैकड़ों संशोधन
स्थानीय जानकारों का मानना है कि देश मे जीएसटी लागू होने के बाद से इसमे सैकड़ों संशोधन हो चुके हैं। इसके बावजूद अभी तक स्थिरता नहीं आई है। बदलाव का दौर अभी भी जारी है। नये-नये नियमो की वजह से व्यापारियों को आये दिन जुर्माना भरना पड़ रहा है। सांथ ही उनका पूरा समय जानकारी जुटाने तथा प्रक्रिया को पूरा करने मे ही चला जाता है। सरकार की नीति के कारण कारोबारी मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं। उनका कहना है कि मंहगाई, ऑनलाईन बिजनेस और खुदरा कारोबार मे कार्पोरेट घरानो के कूद जाने जैसी कई चुनौतियों ने उनका व्यापार पहले ही आधा कर दिया है। ऊपर से टेक्स की पेचीदगियों के चलते उन्हे तनाव और शोषण का शिकार होना पड़ रहा है।
जिन्होने सरकार बनवाई, उन्हीे के पीछे पड़े
व्यापार जगत के सूत्र बताते हैं कि केन्द्र मे भाजपा की सरकार बनने के बाद से मध्यम और छोटे कारोबारियों की जैसे शामत आ गई है। जिले के कई व्यापारी सरकार के रवैये से बेहद दुखी हैं। उनका कहना है कि देश मे पूर्ण बहुमत वाली सरकार लाने के पीछे व्यापारियों का हांथ था। 2014 और 19 मे लगभग प्रत्येक व्यापारी ने जी-जान से मेहनत कर मोदी जी को प्रधानमंत्री बनाया था। अब सरकार ने व्यापरियों को ही खत्म करने का जैसे बीड़ा उठा लिया है। चाहे ऑन लाईन कम्पनियों को बढ़ावा देने की बात हो या फिर आयकर और जीएसटी। सभी प्रकार से शिकंजा उन्हीं पर कसा जा रहा है।
तनाव और अवसाद का कारण बन रही जीएसटी
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