ठूंठ मे तब्दील हुआ घुनघुटी का जंगल
लकड़ी तस्करों की कुल्हाड़ी से धाराशाई हो रहे हरे-भरे बेशकीमती पेड़
बांधवभूमि न्यूज, तपस गुप्ता
बिरसिंहपुर पाली। कभी जिले मे ही नहीं पूरे प्रदेश मे अपनी बेशकीमती इमरती लकड़ी और सघन वनो के लिये जाना जाता घुनघुटी का जंगल अब धीरे-धीरे ठूंठ के रेगिस्तान मे तब्दील होता जा रहा है। महकमे के भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारियों की शह पर लकड़ी तस्करों ने पूरे वन क्षेत्र मे अपनी बादशाहत कायम कर ली है। आये दिन सागौन, सरई तथा अन्य इमरती लकडिय़ों के पेड़ काटे जा रहे हैं। इतना ही नहीं सिल्लियां बना कर बकायदा वाहनो के द्वारा उसका परिवहन भी किया जा रहा है। इतना सब कुछ होने के बाद भी कोई इसकी सुध लेने को तैयार नहीं है। सूत्रों का दावा है कि बीते कुछ दिनो मे ही सैकड़ों की तादाद मे हरे-भरे पेड़ काट दिये गये हैं। जंगल किस कदर तबाह किया जा रहा है इसकी गवाही हर जगह कटे हुए वृक्षों के अवशेष स्वयं दे रहे हैं।
बाड़ ही चर रही खेत
गौरतलब है कि घुनघुटी के जंगलों मे नकेवल मशहूर सागौन, सरई, शीशम आदि के वृक्षों की बहुतायत है बल्कि यहां आयुर्वेद मे उपयोग आने वाली विभिन्न प्रकार की जड़ी बूटियां भी मौजूद है। यही कारण है कि शहडोल, उमरिया सहित आसपास के जिलों के तस्करों की वकृदृष्टि इस क्षेत्र पर बनी रहती है। हलांकि वनो की सुरक्षा के लिये शासन द्वारा सैकड़ों की तादाद मे अमला तैनात किया गया है, जिन्हे हर मांह लाखों रूपये वेतन भी दिया जाता है परंतु उनकी निष्ठा वनो से कहीं ज्यादा ऐसे तत्वों के प्रति है, जो उन्हे मुंह मांगी चढोत्री कर सकें। कुल मिला कर वन विभाग का अमला बाड़ ही खेत चरने की कहावत को चरितार्थ करता नजर आ रहा है।
दिखावे के लिये करते कार्यवाही
ऐसा नहीं है कि वन विभाग द्वारा इस संबंध मे कोई कार्यवाही नहीं की जाती। विभाग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अधिकारियों पर कोई उंगली न उठे, इसे ध्यान मे रख कर महीने मे एक-आध छोटा-मोटा मामला बना दिया जाता है। इसमे भी उन बड़े मगरमच्छों को छोड़ दिया जाता है, जो अमले की रोजीरोटी चलाते हैं।
खतरे मे दुर्लभ वन्यजीव
वन्यजीव प्रेमी इस इलाके मे तस्करों और अपराधियों की बढ़ते दखल से खासा चिंतित है। उनका मानना है कि घुनघटी वन क्षेत्र अब टाईगर, तेंदुआ, भालू, चीतल जैसे दुर्लभ जीवों का विचरण स्थल बन गया है। जिन पर खतरा बढ़ता जा रहा है। यदि विभाग जल्दी ही जंगलों मे चल रही अवैधानिक गतिविधियों पर नकेल नहीं कसता तो शिकारियों के इस क्षेत्र का रूख करने मे देर नहीं लगेगी।
ठूंठ मे तब्दील हुआ घुनघुटी का जंगल
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