छूटा चिमनी का भी सहारा
3 महीने से जिले मे नहीं बंट रहा मिट्टी का तेल, परेशानी मे गरीब
उमरिया। बिजली की भीषण समस्या के बीच केरोसीन की सप्लाई बंद हो जाने से जिले के ग्रामीण अंचलों मे समस्या गहराने लगी है। बताया जाता है कि बीते तीन महीनो से शहरों और गावों मे रहने वाले गरीबों को मिट्टी का तेल नहीं मिल रहा है। इसका मुख्य कारण थोक विक्रेता का इस्तीफा बताया जाता है। जानकारी के मुताबिक सरकार द्वारा कुछ वर्षो से केरोसीन का आवंटन लगातार कम करना शुरू कर दिया था, जो घटते-घटते अब पहले के मुकाबले 10 से 15 प्रतिशत ही बचा है। चूंकि होलसेलर को मिट्टी तेल उचित मूल्य की दुकानो तक पहुंचा कर देना होता है, लिहाजा लगभग दो टेंकर तेल 260 अलग-अलग स्थानो पर पहुंचाना है। दूसरी ओर डीजल के रेट दोगुने से भी अधिक हो जाने के बावजूद शासन द्वारा भाड़े मे कोई बढ़ोत्तरी नहीं की जा रही थी। इससे परेशान हो कर होल सेलर ने अपना लायसेंस सैरेण्डर कर दिया। बताया गया है कि मानपुर क्षेत्र की आपूर्ति ब्यौहारी के डीलर द्वारा होती थी, जिसने पहले ही काम छोड़ दिया है। बताया गया है कि कुछ समय पहले तक जिले को लगभग 25 टेंकर हर महीने केरोसीन की आपूर्ति होती थी, जो अब मात्र 2-3 टेंकर ही बची है।
घटाया गरीबों का कोटा
सरकार ने हाल ही मे गरीबों का कोटा भी घटा दिया है। विभागीय सूत्रों ने बताया कि अंत्योदय परिवारों को प्रतिमांह मिलने वाले 5 लीटर केरोसीन को कम कर 4 लीटर एवं प्राथमिक परिवारों को 4 लीटर की बजाय महज 2 लीटर देने के निर्देश दिये गये हैं। गौरतलब है कि जिले मे अत्योदय परिवारों की संख्या करीब 30 हजार जबकि प्राथमिक परिवारों की तादाद 95 हजार है।
उज्जवला से अंधेरे की नौबत
वहीं उज्जवला गैस का सिलेण्डर लेने वाले हितग्राहियों को भी केरोसीन की सूची से पृथक किया जा रहा है। एक अनुमान के मुताबिक जिले के लगभग 49 हजार से अधिक परिवारों को उज्जवला गैस कनेक्शन दिये जा चुके हैं। हलांकि घरेलू गैस के दाम बढऩे के कारण अधिकांश लोग अब सिलेण्डर ही नहीं भरवा पा रहे। ऊपर से उन्हे मिट्टी तेल भी मिलना बंद हो गया है। कुल मिला कर उज्जवला की वजह से घरों मे अंधेरे की नौबत आ गई है।
बिजली की भारी किल्लत
मिट्टीतेल का दूसरा उपयोग चिमनी जला कर घर को रौशन करने मे भी होता है। इन दिनो जिले भर मे बिजली की भारी किल्लत है। सप्लाई जाते ही रात के समय पूरा गांव घुप अंधेरे मे डूब जाता है। दूसरी ओर बारिश के मौसम मे जहरीले जीव-जंतु जंगलों से निकल कर घरों मे प्रवेश कर जाते हैं। ऐसे मे चिमनी या लालटेन की एकमात्र सहारा है, जिससे कुछ काम चल सकता है। लेकिन उज्जवला और सरकार की नीति ने गरीब से वह सुविधा भी छीन ली है।
की जा रही वैकल्पिक व्यवस्था
केरोसीन के थोक विक्रेता द्वारा लायसेंस सैरेण्डर करने के कारण यह दिक्कत आई है। इसे दूर करने के लिये वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है।
बीएस परिहार
जिला खाद्य अधिकारी, उमरिया
छूटा चिमनी का भी सहारा
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