जैतहरी से चंदिया तक सुलग रही आग

रेलवे की मनमानी से आक्रोषित जनता सड़कों पर, चुनावों मे दिखेगा असर
बांधवभूमि, उमरिया
रेलवे की मनमानी के चलते निर्मित हुई आवागमन की समस्या से जनता भारी तकलीफ मे है। इसका मुख्य कारण रेलवे की कपटपूर्ण कार्यप्रक्रिया है, जिसका शिकार समूचा शहडोल संभाग है। जानकारों का मानना है कि स्टेशनो से ट्रेनो का स्टापेज समाप्त करना हो या फिर कोई भी बहाना बता कर रेलों को अचानक रद्द करने की घोषणा। यह सब एक सोची-समझी रणनीति के तहत हो रहा है, जिसमे सिर्फ रेल प्रशासन ही नहीं केन्द्र सरकार की भी पूरी रजामंदी है। यह परेशानी धीरे-धीरे आक्रोष मे तब्दील होती जा रही है। ज्ञापन और आंदोलनो का दौर जारी है।
आराम फरमा रहे नुमाईन्दे
ट्रेनो सुविधाओं की मांग को लेकर अनूपपुर जिले की जैतहरी से लेकर उमरिया की चंदिया तक जनता सड़कों पर है, और नुमाईन्दे अपने बंगलों पर आराम फरमा रहे हैं। क्षेत्र के बुद्धिजीवियों का कहना है कि प्रदेश और देश मे एक ही दल की सरकार है। संभाग की सांसद और अधिकांश विधायक सत्तापक्ष के हैं, फिर जनता की यह दुर्दशा क्यों है। यदि लाखों वोटों से चुने गये जनप्रतिनिधि सरकार पर दबाव बनायें तो ट्रेनो का स्टापेज मिलना कोई मुश्किल काम नहीं है। कुल मिला कर यह साफ हो गया है कि इस मुसीबत के लिये यही अकर्मण्य नेता जिम्मेदार हैं। लिहाजा आने वाले चुनावों मे रेल का मुद्दा अपनी महती भूमिका अदा करेगा।
आपदा को बनाया अवसर
पूरे घटनाक्रम पर नजर रखने वाले विशेषज्ञ और विभाग से जुड़े सूत्र बताते हैं कि रेलवे ने कोरोना आपदा को अवसर बना कर हर वो काम किया जो पहले कभी नहीं हुआ। मसलन महामारी पर नियंत्रण होने और बंद पड़ी रेल सेवाओं के शुरू होने पर प्रत्येक ट्रेन को स्पेशल का दर्जा दिया गया, सांथ ही वरिष्ठ नागरिकों, गंभीर बीमारियों से पीडि़त लोगों, बेरोजगारों, पत्रकारों आदि को मिलने वाली सभी प्रकार की छूट बंद कर दी गई। हलांकि नेताओं को मिलने वाली रियायत जारी रही। इसके अलावा स्पेशल सेवा का बहाना कर कई स्टेशनो पर स्टापेज समाप्त कर दिये गये। उस समय यह बताया गया कि जैसे ही सेवायें सामान्य होंगी, पूर्व के नियम फिर से लागू कर दिये जायेंगे, परंतु ऐसा कुछ नहीं हुआ।
जहां कमाई, वहीं मिलेगी सुविधा
दबी जबान से इस कवायद के पीछे तर्क यही दिया जा रहा है कि स्टेशनो पर पर्याप्त आमदनी नहीं होने से रेल सुविधाओं मे कटौती की जा रही है। मतलब अब हर काम मे सुविधा को नहीं कमाई को वरीयता दी जायेगी, और पग-पग पर टेक्स देने वाली जनता यूं ही खून के आंसू रोती रहेगी। यदि ऐसा ही है, तो सरकार या रेल प्रशासन सामने आ कर यह घोषणा क्यों नहीं कर देता। चोरी-छिपे, बहानेबाजी से ट्रेनो को बंद करने और स्टेशनो पर ठहराव छीनने की क्या जरूरत है।
चंदिया मे कल रोकेंगे रेल
उधर चंदिया मे कल 20 सितंबर को ट्रेनो की आवाजाही रोकने की तैयारियां जोरों पर हैं। क्षेत्रीय जन संघर्ष समिति के पदाधिकारी लगातार शहरी तथा ग्रामीण अंचलों मे बैठकेंं कर लोगों से आंदोलन मे शामिल होने की अपील कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि नगर मे पूर्व से रूक रही ट्रेनो के स्टापेज को यथावत करने की मांग को लेकर गत 5 सितंबर से क्रमिक अनशन किया जा रहा है। रेलवे द्वारा मांगें न माने जाने पर समिति ने रेल रोकने की घोषणा की है। जानकारी के मुताबिक इस प्रदर्शन मे हजारों की संख्या मे लोगों के पहुंचने की संभावना है।
नौरोजाबाद मे भी सौंपा गया ज्ञापन
इस बीच नौरोजाबाद मे ट्रेनो के स्टॉपेज को लेकर रेल प्रबंधक बिलासपुर के नाम का ज्ञापन स्टेशन मास्टर को सौंपा गया है। सौंपे गये ज्ञापन मे कहा गया है कि कोरोना समाप्त हो जाने के बावजूद स्टेशन पर ट्रेनो का स्टापेज शुरू नहीं हुआ है। जिससे आसपास क्षेत्र के लोगों, छात्र-छात्राओं, व्यापारियों और मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इससे व्यापार भी प्रभावित हो रहा है। अत: ट्रेनो का ठहराव पूर्ववत किया जाय।

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