जेल मे बनाये विशेष सेल
कैदियों को कोरोना से बचाने किये गये इंतजाम, प्रवेश से पहले हो रही जांच
उमरिया। कोरोना की दूसरी लहर के खतरों के बीच जेल प्रशासन ने संक्रमण को रोकने विशेष प्रबंध किये गये हैं। प्रवेश से पहले नये कैदियों की आरटीपीसीआर जांच कराई जा रही है। जांच रिपोर्ट आने तक उन्हे अलग रखा जाता है, वहीं पर उन्हे खाना-पानी आदि मुहैया कराया जाता है। इतना ही नहीं रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी कैदियों को कम से कम 15 दिन क्वारंटीन किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि जिला जेल मे वर्तमान मे 217 सजायाफ्ता और विचाराधीन कैदी हैं।
बनाये गये 9 अतिरिक्त कक्ष
जेल अधीक्षक एमएस मरावी ने बताया है कि कोरोना संक्रमण को रोकने जिला जेल मे स्थित 5 सेल, 3 कक्ष और एक महिला बैरक को खाली करवा कर तैयार किया गया है। जो भी नये कैदी जेल आते हैं उन्हे जांच के बाद पहले बैरक या सेल मे रखा जाता है। ज्यादा संख्या होने पर कैदियों को दूसरे सेल मे शिफ्ट कर दिया जाता है। इस तरह से रिपोर्ट नॉर्मल आने के बाद भी नये कैदी करीब एक महीने तक अलग रहते हैं। इसके बाद भी जब कोई लक्षण नजर नहीं आता तो उन्हे सामान्य कैदियों के सांथ रख दिया जाता है।
संक्रमण के बाद आईसोलेशन
जेल मे संक्रमित हुए कैदी को इलाज के बाद आईसोलेट करने के इंतजाम भी किये गये हैं। बताया गया है कि कोविड का लक्षण दिखते ही संबंधित कैदी को तत्काल जिला चिकित्सालय भेज दिया जाता है। जहां से इलाज के बाद लौटे कैदी को आईसोलेट करने के लिये जेल मे ही अलग से बैरक बनाये गये हैं। जहां करीब 15 दिन तक उन्हे रखा जाता है।
परिजनो से मुलाकात पर सख्ती
गौरतलब है कि पिछले साल कोरोना के दौरान जिला जेल मे बेहद सख्ती की गई थी, इतना ही नहीं कैदियों के परिजनो से मुलाकात कई दिनो तक प्रतिबंधित रही। लेकिन इस बार जेल अधीक्षकों की राय के बाद जेल मुख्यालय ने फिलहाल कैदियों और उनके परिजनों की मुलाकात पर प्रतिबंध लगाने का मामला टाल दिया है, हलांकि मुलाकात के दौरान सख्ती बरतने को कहा गया है। जानकारी के मुताबिक जेल डीजी ने अधीक्षकों से कहा कि एक बार मे पांच से छह लोगों को ही मुलाकात खिड़की पर भेजा जाए। मुलाकात से पहले जेल कैम्पस मे ही कैदी के परिजनों के लिए हाथ धोने की व्यवस्था के सांथ ही सेनिटाइजर के साथ मास्क पहनना भी अनिवार्य किया जाय। इसके अलावा सोशल डिस्टेंङ्क्षसग का भी ध्यान रखा जाए। वर्तमान में बातचीत के लिए जो टेलीफोन हैं, उनकी संख्या भी कम की जाए। वहीं मुलाकात की समयावधि को भी जरूरत के हिसाब से बढ़ाया जाए, ताकि परिजनों को मुलाकात के दौरान परेशानी न आए।