बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू में अपनी पार्टी
पटना। राष्ट्रीय लोक समता दल (रालोसपा) के प्रमुख का उपेंद्र कुशवाहा को बिहार विस में करारी पराजय का मुंह देखने के बाद जेडीयू में शामिल होनेसे पहले बड़ा झटका लगा है। रालोसपा के प्रभारी प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र कुशवाहा सहित बिहार झारखंड के तमाम पदाधिकारी तेजस्वी यादव की मौजूदगी में राजद में शामिल हो गए हैं। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी की मौजूदगी में राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने रालोसपा के लगभग तीन दर्जन नेताओं को पार्टी की सदस्यता दिलाई। इस मौके पर तेजस्वी ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा जी को छोड़कर पूरी पार्टी का राजद में विलय हो गया। जदयू में रालोसपा के विलय से पहले राजद में पार्टी के बड़े चेहरों का जाना कुशवाहा के लिए बड़ा झटका है।
इसके अलावा नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी ने हत्या के मामले में जदयू विधायक धीरेंद्र सिंह उर्फ रिंकू सिंह की गिरफ्तारी की मांग की है। उन पर चंपारण के पूर्व जिला परिषद सदस्य दयानंद वर्मा की हत्या का आरोप है। इस मामले में मृतक दयानंद वर्मा की पत्नी कुमुद वर्मा के बयान पर वाल्मीकि नगर से जदयू विधायक रिंकू सिंह और उनके अन्य साथी के खिलाफ पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की है।
समाचार के मुताबिक, 14 मार्च को पटना में रालोसपा का जदयू में विलय होगा, जहां इस मौके पर खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मौजूद रह सकते हैं। रालोसपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, ‘रालोसपा ने जदयू के साथ विलय पर पार्टी कार्यकर्ताओं से मंजूरी लेने के लिए 13-14 मार्च को पटना में दो दिवसीय बैठक बुलाई है।’ माना जा रहा है कि बिहार विधानसभा 2020 में मिली हार के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने विलय का फैसला लिया है।
उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व में पार्टी 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में एक भी सीट हासिल करने में विफल रही। उपेंद्र कुशवाहा के एक करीबी सहयोगी और आरएलएसपी के महासचिव माधव आनंद कहा कि 14 मार्च तक प्रतीक्षा करें और उसके बाद आप पार्टी के निर्णय को जान पाएंगे। जदयू के सूत्रों को भी उम्मीद है कि होने वाले इस संभावित विलय का बिहार की राजनीति पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा। जदयू के एक सीनियर नेता ने कहा कि रालोसपा का जदयू के साथ विलय की योजना को लगभग अंतिम रूप दे दिया गया है और 14 मार्च को पटना में घोषित किए जाने की उम्मीद है। हमें उम्मीद है कि यह विलय जदयू को मजबूत करेगा और राज्य की राजनीति पर एक महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। बता दें कि ऐसी अटकले हैं कि उपेंद्र कुशवाहा की लगभग दो साल बाद फिर से एनडीए में एंट्री हो सकती है। जदयू और रालोसपा के बीच विलय को लेकर बातचीत अंतिम दौर में चल रही है। माना जा रहा है कि जदयू और रालोसपा का 15 मार्च तक विलय हो सकता है।
जेडीयू में शामिल होने से पहले उपेंद्र कुशवाहा के तीन दर्जन नेताओं ने राजद का हाथ थामा
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