रेग्यूलर को हर मांह रिटर्न भरने की समस्या, कंपोजीशन डीलर भी परेशान
उमरिया। एक राष्ट्र-एक कर के उद्देश्य से देश मे लागू की गई जीएसटी व्यवस्था सभी व्यापारियों के लिये सिरदर्द बन गई है। नियम और कानून की पेचीदगियों ने हर किसी को उलझा कर रख दिया है। कारोबारियों को समझ नहीं आ रहा कि वे व्यापार करें या फार्मेल्टी ही करते रहें। सबसे बड़ी समस्या हर मांह भरे जाने वाले रिटर्न को लेकर है, वहीं पंजीयन खारिज कराने जैसे कार्यो मे भी कई प्रकार की दिक्कते सामने आ रही हैं, जिनका खामियाजा व्यपारियों को हजारों रूपये जुर्माना चुका कर भुगतना पड़ रहा है। उल्लेखनीय है कि देश मे पूर्व से चली आ रही वैट प्रणाली की जगह कुछ साल पहले सरकार जीएसटी का फार्मेट लेकर आई थी, जिसमे शुरू से ही अनेक खामियां थीं। पहले तो नये नियम किसी के पल्ले ही नहीं पड़ रहे थे, धीरे-धीरे इनमे सुधार हुए परंतु दिक्कतें कम नहीं हुई। कोरोना काल मे कारोबार की बिगड़ती हालत पर जीएसटी की औपचारिकताओं का बोझ अब व्यापारियों से सहा नहीं जा रहा है।
बनाई गई हैं दो कैटेगिरियां
सरकार ने जीएसटी के तहत व्यापारियों की दो कैटेगरियां बनाई हैं। इनमे छोटे और मझौले व्यापारी, जो अपने कुल टर्नओवर का एक प्रतिशत कर अदा करते हैं। ऐसे डेढ़ करोड़ रूपये प्रतिवर्ष टर्नओवर करने वालों को कंपोजीशन डीलर कहा जाता है, हलांकि यह एच्छिक है। दूसरी कैटेगरी मे रेग्यूलर कारोबारी आते हैं।
नई घोषणा से कोई फायदा नहीं
हाल ही मे कंपोजीशन डीलरों को तिमाही की जगह सालाना रिटर्न भरने की छूट दी गई है, सरकार का दावा है कि इससे लोगों को काफी सहूलियत होगी, पर जानकार इससे इंकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि नई घोषणा मे टेक्स तो हर तिमाही मे ही जमा करनी पड़ेगी, जिसमे उतनी ही माथापच्ची होगी, जितना रिटर्न भरने मे होती है। सरकार द्वारा लेटफीस 50 रूपये प्रतिदिन की जगह 500 रूपये प्रतिमांह करने से भी व्यापारियों मे कोई खुशी नहीं है, वे चाहते हैं कि लेटफीस पूरी तरह से माफ की जाय।
रेग्यूलर चाहते हैं तिमाही व्यवस्था
दूसरी ओर रेग्यूलर कारोबारियों को अभी भी प्रति मांह रिटर्न भरना पड़ रहा है, जो वैट के टाईम प्रत्येक तिमाहीं मे प्रस्तुत करना होता था। बताया गया है कि एक मांह मे ना तो खरीदी के पूरे बिल मिलते हैं और नां ही दस्तावेज ही तैयार हो पाते हैं। जरा सी लेट और चूक हुई तो ऑनलाईन जुर्माना ठुक जाता है। ये सभी व्यापारी लंबे समय से पहले जैसी तिमाही रिटर्न व्यवस्था की मांग कर रहे हैं।
पोर्टल की गलती, हजारों का जुर्माना
उमरिया जिले के दर्जनो व्यापारियों को पोर्टल की गड़बड़ी के कारण हजारों रूपये का जुर्माना भरना पड़ा है। कहा जाता है कि वर्ष 2017 मे कई लोगों ने अपना पंजीयन कराया था। कारोबार न चलने अथवा अन्य कारणों से उन्होने अपना जीएसटी नंबर खारिज करवा दिया परंतु पोर्टल ने नंबर खारिज नहीं किया। जिसके बाद कई व्यापारियों को 50-50 हजार रूपये तक का दण्ड भुगतना पड़ा, तब जा कर नंबर खारिज हो सका।