जिले से विदा हुए 5 और डाक्टर
रसातल मे पहुंचती जा रहीं स्वास्थ्य सेवाएंं, बढ़ेंगी मरीजों की मुसीबतें
बांधवभूमि, उमरिया
स्वास्थ्य विभाग द्वारा 5 डाक्टरों को एकतरफा रिलीव करने का आदेश जारी किये जाने के जिले की स्वास्थ्य सुविधायें अब पूरी तरह से चरमाने की कगार पर पहुंच गई हैं। हलांकि इनमे से 4 डाक्टरों का पूर्व से ही स्थानांतरण हो चुका था परंतु चिकित्सकों की कमी के चलते कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव द्वारा उन्हे मुक्त नहीं किया जा रहा था। इसी बीच एक और डॉ. वेदप्रकाश पटेल का भी ट्रांसफार्मर कर दिया गया। बताया गया है कि विगत दिनो संचनालय स्वास्थ्य सेवायें मध्यप्रदेश की अपर संचालक सपना एम लोवंशी द्वारा पांचों डाक्टरों को एकतरफा कार्यमुक्त करने का फरमान जारी कर दिया गया। रिलीव डाक्टरों मे डॉ. शैलेन्द्र दिवान चिकित्सा अधिकारी, डॉ. डीके कौंडिया रेडियोलॉजिस्ट, डॉ. विनोद गुप्ता चिकित्सा अधिकारी एवं शिशु रोग विशेषज्ञ, डॉ. प्रमोद द्विवेदी चिकित्सा अधिकारी तथा डॉ. वेदप्रकाश पटेल सर्जरी विशेषज्ञ शामिल हैं। जानकारों का मानना है कि पहले से ही डाक्टरों की कमी झेल रहे जिले से एक सांथ 5 डाक्टरों के चले जाने से समस्या और भी जटिल हो जायेगी। जिसका खामयिाजा मरीजों और उनके परिजनो को भुगतना पड़ेगा।
7 लाख लोगों पर 13 डाक्टर
विगत कुछ वर्षो से उमरिया अब तक की सबसे बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं से जूझ रहा है। कहने को तो जिले मे बड़े-बड़े अस्पताल, सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की बिल्डिंगें मौजूद हैं, पर वहां ना तो डाक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ, उपकरण और ना ही पर्याप्त दवायें मौजूद हंै। आलम यह है कि जिले मे विशेषज्ञ डाक्टरों तथा चिकित्सा अधिकारियों के 84 पद स्वीकृत हैं। जबकि कुल मिला कर पदस्थ डाक्टरों की संख्या महज 25 हैं, इनमे से भी 5का हाल मे ही ट्रांसफर हो गया है, वहीं 3 पीजी करने जा चुके हैं। मतलब यह कि लगभग 7 लाख की आबादी के सेहत की जिम्मेदारी मात्र 13 डाक्टरों पर है।
तहसील से भी बदतर हुए हालात
स्थानीय लोगों का कहना है कि जिला बनने के बाद जिस तरह से सुविधायें बढऩी चाहिये थीं, वह तो नहीं बढ़ीं बल्कि जो था वह भी हांथ से निकला जा रहा है। एक समय था जब तहसील मुख्यालय होने के बावजूद उमरिया मे दर्जनो नामचीन और अनुभवी डाक्टर मौजूद थे, वहीं मानपुर, पाली तथा चंदिया मे भी हालत आज से बेहतर रहे। ऐसे समय मे जब पूरा प्रदेश हर क्षेत्र मे आगे बढ़ता जा रहा है, उमरिया जिला अवनति की ओर अग्रसर है। इसके पीछे स्थानीय नुमाईन्दों के योगदान को नकारा नहीं जा सकता जिनमे अपने क्षेत्र के लिये सरकार से टकराने का माद्दा ही नहीं है।
सेवाभावना का आभाव
इसी जिले ने जनता के हित के लिये अपने पद की कुर्बानी देने वाले जनप्रतिनिधि देखे हैं, तो रात-दिन जाग कर मरीजों को मौत के मुंह से खींच निकालने वाले डाक्टर भी। आज ना वे जनप्रतिनिधि रहे और ना ही जनता के भगवान कहे जाने वाले डाक्टर। बीते कुछ वर्षो मे कई अच्छे डाक्टर जिले मे आये पर उन्होने सेवा की बजाय कमाई और अपने बच्चों के भविष्य को देखा। नफा-नुकसान के हिसाब मे उन्हे उमरिया रास नहीं आया और एक-एक कर यहां से जाते रहे।
जिले से विदा हुए 5 और डाक्टर
Advertisements
Advertisements