जिले मे हांथीपांव के 56 मरीज

प्रशासन की तत्परता से रोग पर हुआ नियंत्रण, कलेक्टर ने कहा प्रभावी हो एमडीए अभियान
बांधवभूमि, उमरिया
जिले मे घातक बीमारी फायलेरिया के 58 मरीज हैं। इससे पहले यह तादाद 62 थी। शासन, प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के नियमित प्रयासों से इस रोग पर नियंत्रण होता दिखाई दे रहा है। ज्ञांतव्य हो कि फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है। यह जान तो नहीं लेती है, लेकिन जिंदा आदमी को लाश के समान बना देती है। इस बीमारी को हाथीपांव के नाम से भी जाना जाता है। अगर समय पर फाइलेरिया की पहचान कर ली जाए तो जल्द इलाज शुरू किया जा सकता है। जानकारों के मुताबिक हांथीपांप मच्छरों द्वारा फैलता है। खासकर परजीवी क्यूलैक्स फैंटीगंस मादा मच्छर के जरिए। जब यह मच्छर किसी फाइलेरिया से ग्रस्त व्यक्ति को काटता है तो वह संक्रमित हो जाता है। फिर जब यह मच्छर किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता है तो फाइलेरिया के विषाणु रक्त के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर उसे भी ग्रसित कर देते हैं। लेकिन ज्यादातर संक्रमण अज्ञात या मौन रहते हैं और लंबे समय बाद इनका पता चल पाता है। इस बीमारी का कारगर इलाज नहीं है। इसकी रोकथाम ही इसका समाधान है।
10 फरवरी से शुरू होगा एमडीए अभियान
जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. वीएस चंदेल ने बताया है कि जिले मे फायलेरिया उन्मूलन अभियान 10 से 22 फरवरी के मध्य चलाया जायेगा। जिसे सफलतापूर्वक एवं व्यवस्थित तरीके से संचालित करने के निर्देश कलेक्टर कृष्णदेव त्रिपाठी द्वारा दिये गये हैं। इस संबंध मे आयोजित बैठक को संबोधित करते हुए कलेक्टर ने कहा कि अभियान की सफलता इस बात पर निर्भर है कि हमारी माइक्रो प्लानिंग व्यवस्थित हो। जिन्हें जो दायित्व सौंपा जाय उनका निर्वहन पूरी सजगता के साथ किया जाय। जिन्हे दवा खिलाई जानी है, उनके कवरेज के लिए जो दल या बूथ बनाए जायेंगे उनकी मैपिंग होनी चाहिए। जिन लोगों को दलों मे शामिल किया जाना है उनका प्रशिक्षण तथा अभियान के दौरान उठने वाले प्रश्नों का समाधान होना चाहिए।
तीन चरणो मे चलेगा अभियान
बैठक मे राज्य स्तरीय मास्टर ट्रेनर डॉ. सत्येंद्र पाण्डेय ने बताया कि फायलेरिया उन्मूलन हेतु कार्यक्रम का संचालन तीन चरणों मे किया जाएगा। प्रथम चरण मे 10 एवं 11 फरवरी को बूथ स्तरीय कार्यक्रम संचालित होगा, जिसके लिए विद्यालयों, अंागनबाड़ी केंद्रों, छात्रावासों, बस स्टेण्ड , रेल्वे स्टेशन सहित अन्य चिन्हित जगहों पर बूथ बनाये जायेंगे। दूसरे चरण मे 13 से 17 फरवरी तक घर-घर पहुंचकर एमडीए दल दवा खिलायेंगे। 20 से 22 फरवरी तक मॉकअप राउण्ड आयोजित किया जाएगा, जिसमे छूटे लोगों को दवा खिलाई जायेगी। दवाईयां भी तीन स्तर पर खिलाई जाएगी। दो से पांच वर्ष आयु के लोगों को डीईसी की एक गोली 100 एमजी तथा एक एलवेण्डाजोल टेबलेट , 6 से 14 वर्ष के आयु वर्ग को 2 डीईसी गोली तथा एक एलवेण्डाजोल तथा 15 वर्ष से ऊपर के लोगों को 3 डीईसी की गोली तथा एक एलवेण्डाजोल टेबलेट खिलाई जाएगी।
बुखार, उल्टी से न घबरायें
दवाई खिलाने के बाद बुखार, उल्टी, या जी मचलने की शिकायत सामने आ सकती है। इससे घबराने की जरूरत नही है। पेट में कीडे होने या अन्य कारणों से ऐसी परिस्थितियां आती हैं। इस बार के अभियान की विशेषता यह है कि सभी दवाईयां दल द्वारा अपनी उपस्थिति मे खिलाई जाएगी। यह भी निर्देश है कि दवाईयां किसी को बाद मे खाने के लिए न सौंपी जांय। इस अवसर पर फाईलेरिया बीमारी के कारण, लक्षण एवं बचाव की भी जानकारी दी गई। कलेक्टर डॉ. कृष्ण देव त्रिपाठी की अध्यक्षता मे आयोजित एमडीए अभियान की जिला स्तरीय समन्वय समिति की बैठक मे अपर कलेक्टर मिशा सिंह, सीईओ जिला पंचायत इला तिवारी, सिविल सर्जन डॉ. केसी सोनी, भोपाल से आए मास्टर ट्रेनर डॉ. सत्येंद्र पांडेय, रोहित सिंह, सलाहकार रवि साहू सहित विभिन्न विभागों के जिला प्रमुख अधिकारी उपस्थित थे।

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