जिले के अधिकांश स्कूल बिजली विहीन

मजबूरी- बजट के अभाव मे नहीं हो रहे कनेक्शन, वर्षो से परेशान हजारों छात्र
उमरिया। जिले के सरकारी स्कूलों मे बिजली और पानी का टोटा है। जानकारी के अनुसार उमरिया के 377 मिडिल और 801 प्राथमिक सहित कुल 1177 स्कूलों मे से सिर्फ 62 स्कूलों मे बिजली है। उमरिया जिले के जिन 62 स्कूलों मे बिजली है वह वे संस्थाएं हैं जिन्हें हेड स्टार्ट का विशेष दर्जा दिया गया है। इन स्कूलों मे कम्प्यूटर दिए गए हैं जिन्हें चलाने के लिए बिजली लगायी गई है। बिजली और पानी की सुविधा न होने से छात्र-छात्राओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
यह है कारण
शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जिन विद्यालयों में बिजली है वहां का बिजली का बिल विद्युत मण्डल कामर्शिलय की दर से वसूलता है। विद्युत मण्डल से भी किसी तरह का कोई सहयोग न मिलने के कारण स्कूलों मे बिजली लगाना मुश्किल है। वहीं दूसरी तरफ विद्युत मण्डल के अधिकारियों का कहना है कि शिक्षण संस्थाओं को विभाग ने कामर्शियल की कैटेगिरी मे रखा गया है इसलिए बिजली का बिल कामर्शिलय के तौर पर वसूला जाता है।
खेल मैदान भी नहीं
बात सिर्फ बिजली पर ही आकर खत्म नहीं हो जाती बल्कि उमरिया के किसी भी प्राथमिक विद्यालय मे मैदान नहीं है। यहां प्राथमिक विद्यालयों की संख्या 801 है, इसमें ज्यादातर तो बिना बाउण्ड्रीवाल के हैं। उमरिया मे 49 विद्यालय तो ऐसे हैं जहां एक भी शिक्षक नहीं है और 306 तो ऐसे विद्यालय हैं जहां सिर्फ एक शिक्षक हैं। उमरिया मे शिक्षकों की कुल संख्या 2663 है।
बिजली लगाना संभव नहीं
जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि स्कूलों मे बिजली लगाना इसलिए संभव नहीं है क्योंकि हमें इसके लिए अलग से कोई फण्ड नहीं मिलता। दूसरी तरफ विद्युत मण्डल भी सहयोग नहीं करता और स्कूलों मे कामर्शियल बिल भेजे जाते हैं। फिर भी बिजली लगवाने का प्रयास किया जाएगा।
जमीन पर बैठते हैं छात्र
कक्षा 9 वीं से लेकर 12 वीं तक के बच्चों के लिए डेस्क और टेबल का प्रावधान है लेकिन हायर सेकेण्ड्री स्कूल निपनिया मे अभी भी पढ़ाई जमीन पर बैठ कर होती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि विद्यालय मे छात्र-छात्राएं केवल कोरम पूरा करने जाते हैं। यहां सब कुछ औपचारिकता के अलावा कुछ भी नहीं है।
कैसे आएगी स्वच्छता
कहने को तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत देश को खुले मे शौच से मुक्त कराने का बीड़ा उठाया है परन्तु शायद उनका यह संदेश स्कूल की चारदीवार के भीतर नहीं पहुंच पा रहा है। शिक्षा विभाग अभी तक कई स्कूल मे शौचालय की व्यवस्था नहीं कर पाया है। जानकारी के मुताबिक स्कूल मे शौचालय तो हैं पर आधे-अधूरे।

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