जिला और जनपद पंचायतों के लिये बनेंगी अंत्योदय समितियां

जिला और जनपद पंचायतों के लिये बनेंगी अंत्योदय समितियां
समितियों के गठन की कवायद तेज, जिला स्तर से मांगे गये 5-5 लोगों के नाम
बांधवभूमि, उमरिया
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव निरस्त होने के बाद जिला एवं जनपद पंचायतों के संचालन हेतु अंत्योदय समितियों के गठन की सुगबुगाहट से नेताओं के कान खड़े हो गये हैं। राजधानी के प्रशासनिक हलकों से जो खबर सामने आ रही है उसके मुताबिक इन समितियों मे 5-5 लोगों को शामिल किया जायेगा। बताया गया है कि इसके लिये जिला स्तर से सदस्यों के नाम मांगे गये थे, जिनकी तलाश पूरी की जा चुकी है। सूत्रों का यहां तक कहना है कि कई जिलों से प्रस्तावित समिति के लिये लोगों के नाम भोपाल भेजे जा चुके हैं और कभी भी इसकी घोषणा हो सकती है। इस बात की खबर से जिले के दावेदारों मे खलबली मच गई है। कई धुरंधर इस समिति मे शामिल होने के लिये अपने आकाओं से संपर्क साधने मे जुट गये हैं।
सरपंचों के हांथ से सरकी गांव की सत्ता
त्रिस्तरीय चुनाव निरस्त होने के बाद पंचायतों का संचालन पूर्व सरपंचों के हांथ सरक कर पुन: पंचायत समन्वयकों के हांथ मे आ गया है। इससे पहले 4 जनवरी को प्रमुख सचिव मप्र शासन पंचायत ग्रामीण विकास विभाग उमाकांत उमरांव द्वारा कलेक्टर एवं जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को पत्र प्रेषित कर ग्राम पंचायतों के बैक खातों का संचालन ग्राम पंचायत सचिव एवं प्रशासकीय समिति के प्रधान के संयुक्त हस्ताक्षर से करने तथा जनपद पंचायत एवं जिला पंचायत के कार्य का संचालन प्रधान शासकीय समिति को सौंपने संबंधी निर्देश जारी किये गये थे। दो दिन बाद ही अर्थात 6 जनवरी को शासन ने 4 तारीख का आदेश वापस ले लिया। बताया जाता है कि अब ग्राम पंचायतों की जिम्मेवारी पंचायत समन्वयक को सौंपी गई है। चर्चा है कि आगे भी पंचायतों का संचालन समन्वयक ही करेंगे, इस आशय का आदेश एक-दो दिन मे जारी होने वाला है।
आचार सहिता के बाद हटे थे प्रधान
उल्लेखनीय है कि जिले की जिला, जनपद व ग्राम पंचायतों का कार्यकाल वर्ष 2020 मे ही समाप्त हो गया था। चुनाव न होने के कारण कार्य संचालन का दायित्व प्रशासकीय समितियों को सौंपा गया था। राज्य मे चुनावों की घोषणा के बाद आचार संहिता लगने से यह कार्य पंचायत समन्वयकों को दे दिया गया परंतु जैसे ही चुनाव निरस्त हुए ग्राम पंचायत के संचालन कार्य पुन: पूर्व सरपंचोंं की अगुवाई वाली समिति को सौंपने के आदेश जारी हो गये थे।
शासन के निर्णय का विरोध
ग्राम पंचायतों के संचालन का अधिकार मिलने के बाद आदेश निरस्त होने से पूर्व सरपंच काफी निराश हैं। प्रदेश के कई सरपंच तो अपना विरोध दर्ज कराने राजधानी तक पहुंच गये हैं। पंचायत के प्रधान रह चुके लोगों का कहना है कि सरकार ने जब भी उन्हे दायित्व सौंपा, उसका पूरी निष्ठा के सांथ निर्वहन किया गया। इस तरह से आदेश जारी कर निरस्त किये जाने से वे अपमानित महसूस कर रहे हैं। उनका यह भी मानना है कि व्यवस्था से जनप्रतिनिधियों को बाहर करने से विकास के काम प्रभावित होंगे। सांथ ही इसमे बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार होगा।

 

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