जांच के बाद जंगल मे छोड़ी गई बाघिन

जांच के बाद जंगल मे छोड़ी गई बाघिन

बांधवगढ़ के पतौर रेंज से किया गया था रेस्क्यू, डाक्टरों ने नहीं पाई कोई खामी

बांधवभूमि न्यूज, रामाभिलाष त्रिपाठी

मध्यप्रदेश, उमरिया
मानपुर। बांधवगढ़ टाईगर रेंज के पतौर कोर परिक्षेत्र से लगे गावों मे रहने वाले लोगों की परेशानी का कारण बन चुकी बाघिन को अंतत: शुक्रवार को पकड़ कर रिहायशी इलाके से दूर जंगल मे छोड़ दिया गया। दरअसल वयस्क हो रही ढाई साल की यह मादा टाईगर ने उमरिया-बकेली के आसपास अपना इलाका बना लिया था। जो कि लगातार अपने शिकार की तलाश मे गांवों का रूख कर रही थी। जिसे देखने के लिये लोगों का हुजूम उमड़ रहा था। दूसरी तरफ इसी से लगे पनपथा कोर मे बाघों का मूवमेंट पहले से ही बढ़ा हुआ था। हाल ही मे बाघ ने गांगीताल के पास एक चरवाहे पर हमला भी किया था। जिसे देखते हुए प्रबंधन ने बकेली के आसपास मंडरा रही बाघिन की स्थिति को जानने का निर्णय लिया।

स्वाभाविक व्यवहार कर रही मादा
इस कार्य मे बड़े पैमाने पर विभागीय अमला और हाथियों को लगाया गया था। करीब तीन दिन की कड़ी मशक्कत के बाद अंतत: मादा को ट्रेस कर दिया गया। बताया गया है कि विशेषज्ञों की टीम द्वारा ट्रेंक्युलाईज करने के उपरांत बाघिन की जांच शुरू की गई। उद्यान के संयुक्त संचालक पीके वर्मा ने बताया कि इसकी उम्र महज ढाई साल है। अमूमन यह आयु शावक से वयस्क होने की होती है, लिहाजा बाघ स्वाभाविक तौर पर रंगरूटों की तरह व्यवहार करते हैं। इसी समय वे शिकार मे पारंगत होते हैं, सांथ ही अपना क्षेत्र भी निर्धारित करते हैं। इस मामले मे प्रबंधन यह जानना चाहता था कि कहीं बाघिन बीमार या चोटिल तो नहीं है। इसके अलावा उसके दांत, पंजे, नाखून आदि की पड़ताल भी की गई। सब कुछ दुरूस्त पाये जाने के बाद बाघिन को वापिस कोर के सुरक्षित क्षेत्र मे छोड़ दिया गया है।

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