सूर्यषष्ठी पर नदी-तालाबों के घाट पर लगा आस्था का मेला
बिरसिंहपुर पाली/तपस गुप्ता। उत्तर भारत के कई राज्यों का प्रसिद्ध महापर्व छठ जिले भर मे धूमधाम से श्रद्धापूर्वक मनाया गया। सूर्यषष्ठी पर कल डूबते हुए सूर्य को अघ्र्य दिया गया और इसके लिए नदी-तालाबों के घाट पर उत्तर भारतीयों का मेला लगा रहा। उमरिया की उमरार नदी और पाली स्थित सगरा तालाब आदि स्थानो पर छठ पर्व पर काफी भीड़ उमड़ी। बुधवार की रात से ही व्रत रख क र महिलाएं उपासना मे जुट गई थीं। शुक्रवार को शाम होते ही महिलाएं और पुरूष नदी के घाट की और चल पड़े। वे सभी शाम चार बजे से सात बजे तक पानी मे डूबकर सूर्य को अघ्र्य देते रहे। सूर्यषष्ठी के अवसर छठ के दिन शाम को डूबते हुए और अगली सुबह यानि सप्तमी को उगते हुए सूर्य क ो अघ्र्य देने की परंपरा है। सूर्य क ी उपासना के इस पर्व पर महिलाएं ठंड की परवाह कि ए बिना कई घंटो तक पानी के अंदर खडी हो क र अपने परिवार के खुशहाली की कामना भगवान सूर्य से करती रहीं।
गन्ने से सजा मंडप
इस दौरान घाट पर गन्ने से मंडप सजाया गया और सूपे मे फल रखकर भगवान सूर्य को अर्पित किया गया। मंडप के नीचे भी सभी तरह के फल और पकवान सजाए गए। जितनी देर महिलाएं सूर्य को अघ्र्य देती रहीं पुरूष भी हाथ जोड़कर घाट पर अपनी संगिनी के साथ खड़े रहे। छठ माता के लिए विशेष तौर से तैयार किया गया पकवान ठेकुआ भी इस दौरान उत्तर भारत के लोगों ने छठ माता को अर्पित किया। डूबते सूर्य को अघ्र्य देने के दौरान घाट पर आतिशबाजी भी हुई और समाज के लोगों ने एक दूसरे को इस पर्व की बधाई भी दी।
जोहिला के नगाड़ा घाट मे मेला
बिरसिंहपुर पाली और नौरोजाबाद के लोग जोहिला नदी के नगाड़ा घाट पर पूजा क रने पहुंचे। कॉलरी और संजय गांधी ताप विद्युत गृह मे उत्तर भारत के लोगों की संख्या ज्यादा है इसलिए इस क्षेत्र मे सूर्य की उपासना का यह पर्व ज्यादा ही उत्साह से मनाया जाता है।
जल मे खडे रह कर की सूर्य की उपासना
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