जंगल से निकलने को तैयार नहीं ग्रामीण

जंगल से निकलने को तैयार नहीं ग्रामीण
जिद पर अड़े विस्थापित, प्रशासन और पार्क प्रबंधन की कोशिशें नाकाम
बांधवभूमि, उमरिया
बुनियादी सुविधाओं के आभाव और शासकीय योजनाओं का लाभ न मिलने की बात को लेकर बांधवगढ़ नेशनल पार्क के मगधी क्षेत्र मे घुसे ग्रामीण वापस निकलने को तैयार नहीं हैं। इस बीच जिला प्रशासन और पार्क प्रबंधन द्वारा की गई सारी कोशिशें नाकाम साबित हुई हैं। देर रात मिली जानकारी के मुताबिक अभी भी काफी संख्या मे विस्थापित जंगल मे बैठे हुए हैं। गौरतलब है कि वर्ष 2010-11 मे उद्यान क्षेत्र मे स्थित मगधी गांव को विस्थापित कर दिया गया था। जहां निवासरत सैकड़ों परिवार वहां से निकल कर ग्राम समरकोईनी, सलैया, मरईकला, मरई खुर्द, बडख़ेड़ा, मछखेता, रोहनिया, सेहरा, कछरा, चौरी आदि गांवों मे बसाये गये थे। मंगलवार को इनमे से करीब 80 परिवारों की महिलायें, पुरूष व बच्चे अचानक पार्क के अंदर घुसने का प्रयास करने लगे, इनमे से काफी को तो किसी तरह रोक लिया गया, परंतु कई लोग जंगल मे प्रवेश कर गये। इसकी सूचना मिलते ही एसडीएम मानपुर सिद्धार्थ पटेल और उद्यान के अधिकारी मौके पर पहुंच गये और उनसे बातचीत शुरू की।
कई लोग वापस लौटे
बताया गया है कि अधिकारियों के समझाने-बुझाने के बाद बेरियर पर खड़े लोग अपने घरों को लौट गये। जिसके बाद अंदर घुसे ग्रामीणो की खोज शुरू की गई। थोड़ी ही देर मे उन्हे ढूंढ लिया गया। सूत्रों के मुताबिक अधिकारियों ने उनसे कहा कि जंगल मे रात को रूकना खतरनाक है, अत: वे तत्काल बाहर आयें परंतु उन्होने प्रशासन और प्रबंधन की बात मानने से इंकार कर दिया। जिससे समस्या और बढ़ गई। अभी भी ग्रामीणो के सांथ पार्क के कर्मचारी मौजूद हैं।
दस साल बाद भी कोई कार्यवाही नहीं
इन लोगों का कहना है कि विस्थापन के समय अधिकारियों ने उन्हे सभी जरूरी सुविधायें दिलाने का आश्वासन दिया था लेकिन 10 साल से भी अधिक समय बीत जाने के बाद भी इस संबंध मे किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई है। और तो और उन्हे प्रधानमंत्री आवास आदि शासन की किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है।
कानून का पालन करें ग्रामीण
प्रशासन और विभाग ग्रामीणो से हर प्रकार की चर्चा को तैयार है। उन्हे सभी समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया जा रहा है, फिर भी वे जिद पर अड़े हैं। जो कि अनुचित है। किसी को भी प्रतिबंधित क्षेत्र मे जाने की अनुमति नहीं है। सभी से आग्रह है कि वे तत्काल जंगल से बाहर आ जांय।
लवित भारती
उप संचालक
बांधवगढ़ नेशनल पार्क

 

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