जंगल मे बिलखती मिली “लाडली लक्ष्मी”

महिला ने उठा कर पहुंचाया थाने, जांच मे जुटी पुलिस
बिरसिंहपुर पाली/तपस गुप्ता। मप्र सरकार बेटियों के पालन पोषण, निशुल्क पढाई और उनके विवाह की व्यवस्था के दावे करते नहीं थकती। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद भी यह मानते हैं कि इन योजनाओंं के कारण ही अब बेटी पैदा होने पर घरों मे मातम नहीं बल्कि खुशियां मनाई जाती है, परंतु ये सारे दावे किताबी साबित हो रहे हैं। पाली के पास बियावान जंगल मे बिलखती पाई गई लाडली लक्ष्मी की कहानी तो कम से कम यही बयां करती है। बताया गया है कि कल शनिवार को चचरिया निवासी जमिनी देवी पति कमलेश पनिका ग्राम चचरिया से पाली अपने रिश्तेदार के यहां आ रहे थे। इसी दौरान बियावान जंगल मे किसी बच्चे के रोने की आवाज सुन कर पनिका दंपत्ति चौंक उठे। यहां-वहां देखने पर उनकी नजर कपडों मे लिपटी एक नवजात पर पड़ी, तो वे वहीं ठिठक गये। काफी देर तक महिला और पुरूष बच्ची के पास यह सोच कर बैठे रहे कि शायद कोई आ जाय और उसे ले जाय। जब कोई भी व्यक्ति नहीं आया तो जमिनी मासूम को लेकर थाना पहुंची और उसे पुलिस के सुपुर्द किया। पुलिस द्वारा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मे बच्ची की जांच कराई गई। जिसके बाद उसे शहडोल भेजने की तैयारी की जा रही है। बीएमओ पाली ने बताया कि नवजात बिल्कुल स्वस्थ है।
मारने वाले से बचाने वाला बड़ा
अपने जिगर के टुकड़े को इस तरह फेंकने वाली मां ने यह भी नहीं सोचा कि यदि बच्ची पर किसी जंगली जानवर, कुत्ते आदि की नजर पड़ गई तो उसका क्या होगा। पर कहते हैं कि मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है। इससे पहले कि कोई अनहोनी हो, ईश्वर ने जमिनी देवी को फरिश्ता बना कर भेज दिया। जमिनी ने पुलिस से कहा कि यह बच्ची उसे दे दी जाय, वह उसका भरण-पोषण करने को तैयार है परंतु कुछ औपचारिकताओं की वजह से यह संभव नहीं हो सका।
जांच मे जुटी पुलिस
यह बच्ची किसकी है, उसे किस कारण से जंगल मे फेंका गया। यह महज एक घटना है, साजिश या और कुछ। पुलिस इन सभी पहलुओं पर विचार कर रही है। ऐसे मामलों के कई कारण होते हैं, जिसका पता विस्तृत विवेचना के बाद ही चल सकेगा।
आरके धारिया
थाना प्रभारी, पाली

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