जंगल मे जल प्रबंधन, सफाई के साथ बढ़ाई जाएगी गहराई ताकि बेहतर हो सके जल स्तर
बांधवभूमि, उमरिया। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के अंदर प्राकृतिक और कृत्रिम जल स्रोतों को सुरक्षित करने के लिए अभियान चलाया जाएगा। यह अभियान इसलिए चलाया जाएगा ताकि आने वाली बारिश की एक-एक बूंद पानी जमीन के अंदर जाए और जलस्तर बेहतर हो सके। इसके लिए बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व क्षेत्र के कृत्रिम और निर्मित एक दर्जन से ज्यादा तालाबों को न सिर्फ साफ किया जाएगा बल्कि उनकी गहराई बढ़ाई जाएगी। इन तालाबों के बेहतर स्वरूप मे आ जाने के बाद जंगल के जानवरों के लिए पीने का पानी और आसानी से उपलब्ध होगा साथ ही जलस्तर भी काफी बढ़ जाएगा।
मानपुर मे सबसे नीचे जलस्तर
जिले के मानपुर जनपद क्षेत्र मे भूजलस्तर सबसे नीचे चला जाता है। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व भी मानपुर जनपद क्षेत्र मे आता है। हालांकि जंगली क्षेत्र मे जलस्तर उतना नीचे नहीं जाता है जितना कि जंगल से बसे दूर गांव का जलस्तर नीचे जा रहा है। पीएचई से मिली जानकारी के मुताबिक मानपुर क्षेत्र मे जलस्तर 40 से 60 मीटर तक नीचे जा चुका है। कई हैण्डपंप और कुएं पूरी तरह से सूख चुके हैं।
सैकड़ों जलस्त्रोतों पर निर्भर हैं जानवर
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व मे सैकड़ों की संख्या मे कृत्रिम एवं निर्मित जलस्त्रोत हैं जिस पर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के जानवर निर्भर हैं। ये जानवर इन जलस्त्रोतों से ही पानी पीते हैं। इन जलस्त्रोतों को भरने के लिए बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व मे कुछ बोर भी किए गए हैं और इन बोरों मे सोलर पावर वाटर पंप लगाए गए है। ये पंप सूर्य की रोशनी मे दिनभर चलते रहते हैं और जलस्त्रोतों को लबालब कर देते हैं। इसके अलावा टैंकरों से भी पानी सप्लाई की जाती है।
लगातार कम हुआ पानी
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के कई जलस्त्रोत ऐसे हैं जो खासी गर्मी में भी लबालब रहते हैं लेकिन पिछले दो सालों से ये स्थिति निर्मित हो गई है कि जो जलस्त्रोत कभी नहीं सूखते थे वे भी सूखने लगे है। बांधवगढ़ पहुंच मार्ग पर भद्रशिला जलाशय जोकि मगधी वनपरिक्षेत्र में आता है पिछले दो साल से लगातार सूख रहा है। भद्रशिला तालाब काफी विशाल तालाब है जिसके पानी के सूख जाने की वजह से प्रबंधन भी चिंतित होने लगा परिणामस्वरूप प्रबंधन ने जलस्त्रोतों को संवारने का काम शुरू कर दिया। सभी जलस्त्रोतों के संवर जाने के बाद उम्मीद की जा रही है कि इस बारिश में बांधवगढ़ में पानी की स्थिति बेहतर हो जाएगी जिससे दूसरे संसाधनों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
नहीं लगे स्टापडेम मे शटर
अब तक जिले के किसी भी स्टापडेम मे शटर नहीं लगाए गए हैं। मामला चाहे ग्रामस्तर के स्टापडेम का हो या फिर जिला स्तरीय विभागों के स्टाप डेम का कहीं भी शटर नजर नहीं आ रहे हैं। यदि अभी स्टापडेम मे पानी नहीं रोका गया तो आने वाले मौसम में पानी का संकट किस स्तर का होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। बताया गया है कि कई स्टापडेम तो ऐसे हैं जहां बनने के बाद से उन पर शटर नहीं लगाई गई। नाम के लिए तो ऐसे सैंकड़ों स्टापडेम हैं जिसका उद्देश्य पानी रोकना था पर उनमें आज तक पानी की एक बूंद नहीं रोकी गई। यह एक बहुुत चौंका देने वाला मुद्दा है। जिले के ज्यादातर स्टापडेम में शटर नहीं है। आखिरकर यह शटर कहां गए और इन गायब हुए शटर को लेकर क्या कार्रवाई की गई, इसका जवाब बहुत मुश्किल है।
जंगल के तालाबों को किया जाएगा बारिश के लिए तैयार
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