छादा मे रूकेगी ट्रेन, पर उमरिया मे नहीं
सारनाथ, बेतवा के बाद अब रीवा-बिलासपुर का भी छिना स्टॉपेज
उमरिया। रेलवे द्वारा जिले के सांथ की जा रही घोर उपेक्षा का दौर जारी है। दुर्ग-छपरा और कानपुर-दुर्ग के बाद अब उमरिया को रीवा-बिलासपुर ट्रेन के रूकने लायक भी नहीं समझा गया है। दक्षिण-पूर्व मध्य रेलवे ने कोरोना काल मे बंद की गई इस रूट की अत्यंत महत्वपूर्ण ट्रेन नंबर 08247-48 रीवा-बिलासपुर-रीवा को आगामी 27 जून से चलाये जाने की सूचना जारी की है। स्टापेज की सूची मे जिले का एक भी स्टेशन शामिल नहीं है। मजे की बात यह भी है कि इस ट्रेन का ठहराव मार्ग मे पडऩे वाले छादा, बुढ़ार और अमलाई जैसी स्टेशनो पर दिया गया है। जिलेवासी रेलवे के इस रूख से खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।
जो है, वो भी जा रहा
गौरतलब है कि बांधवगढ़ नेशनल पार्क, संजय गांधी ताप विद्युत केन्द्र तथा कोयले की खदानो वाले जिला मुख्यालय मे करीब एक दर्जन जोड़ा ट्रेनो का स्टापेज पहले से ही नहीं दिया गया है। इसे लेकर जिले के लोग लंबे समय से संघर्ष कर रहे थे। इस बीच कोरोना के कारण ट्रेने रद्द हो गई। अब रेलवे द्वारा बड़ी चालाकी के सांथ बंद की गई टे्रनो को स्पेशल बना कर शुरू किया जा रहा है। जिनका उमरिया सहित जिले के कई स्टेशनो पर ठहराव समाप्त कर दिया गया है। इसके अलावा गोदिया-बरौनी जैसी कुछ ट्रेनो को उमरिया-बिलासपुर की बजाय, कटनी-जबलपुर, गोंदिया से घुमाने की भी चर्चा चल रही है। इस तरह नया मिलना तो दूर, जो है, वह भी हांथ से जा रहा है।
4 लाख से जीतने वाली सांसद मौन
सारनाथ, बेतवा और अब रीवा-बिलासपुर का ठहराव छिनने से अब उमरिया मे कुछ ही ट्रेनो का स्टापेज रह गया है। इतनी बड़ी दुर्दशा इससे पहले कभी नहीं हुई। इसके बावजूद 4 लाख वोटों से जीतने वाली सांसद श्रीमती हिमाद्री सिंह मौन है। दूसरी ओर लोग इस घटना को जिले के सांथ घोर अपमान, अन्याय और साजिश मान रहे हैं। हलांकि रेलवे की समस्याओं को लेकर क्षेत्रीय सांसद ने कुछ पत्राचार किया है, पर उसका कोई असर दिखाई नहीं देता। इससे साबित होता है कि उनके पत्रों को मोदी सरकार गंभीरता से नहीं लेती। बहरहाल नागरिकों को भी अब सतर्क हो जाना चाहिये, यदि ऐसा नहीं हुआ तो वह दिन दूर नहीं जब जिले का अस्तित्व ही संकट मे पड़ जायेगा।
हांथ से जाती रही सुविधा
ज्ञांतव्य हो कि रीवा-बिलासपुर रात्रि के समय कटनी, सतना, रीवा के अलावा शहडोल, अनूपपुर और बिलासपुर के लिये बेहद कारगर ट्रेन थी। जिले मे बड़ी संख्या मे रीवा क्षेत्र के अधिकारी, कर्मचारी तथा आम नागरिक एवं उनके रिश्तेदार निवास करते हैं। अब उनकी यह सुविधा भी हांथ से जाती रही।