नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ में नेतृत्व को लेकर गहराए संकट का फिलहाल हल निकल आया है। भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री बने रहेंगे। इससे पहले राज्य के 50 से अधिक विधायकों ने लीडरशिप मुद्दे पर शु्क्रवार को पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात की। ज्यादातर विधायक, मौजूदा सीएम भूपेश बघेल के प्रति समर्थन जताने के लिए दिल्ली पहुंचे थे। उन्होंने नेतृत्व परिवर्तन से इंकार किया। कांग्रेस के छत्तीसगढ़ प्रभारी पीएल पूनिया के घर पर बड़ी संख्या में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के विधायक पहुंचे। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के साथ राहुल गांधी की बैठक से पहले पूनिया के यहां विधायकों की बैठक हुई। बताया जाता है कि 50 से अधिक विधायक बघेल के साथ हैं। छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल को अपने ही मंत्री टीएस सिंहदेव की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।बघेल और सिंहदेव, दोनों ने ही इसी सप्ताह राहुल गांधी से भेंट की थी। दोनों ही नेताओं ने कहा था कि पार्टी आलाकमान जो भी फैसला लेगा, हमें मंजूर होगा। सीएम के तौर पर भूपेश बघेल की सरकार को जून में ढाई साल हो गए है। इसलिए सिंहदेव और उनके समर्थक पार्टी पर मुख्यमंत्री बदलने का दबाव बना रहे हैं। सिंहदेव के समर्थकों का कहना है कि ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री को लेकर सहमति बनी थी और ऐसे में अब सिंहदेव को मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए। सिंहदेव का दावा है कि उनसे वादा किया गया था कि बघेल के आधे कार्यकाल के बाद उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। वहीं, सीएम बघेल के करीबी सूत्रों का कहना है कि ढाई-ढाई साल का मुख्यमंत्री बनाने जैसा कोई फॉर्मूला नहीं है। उन्होंने कहा कि इस समय सरकार को अस्थिर करना विनाशकारी हो सकता है। पार्टी और राज्य दोनों में फिलहाल भूपेश बघेल टीएस सिंह देव के मुकाबले ज्यादा मजबूत हैं। लेकिन सरगुजा इलाके में टीएस सिंह देव का दबदबा है। राज्य में बघेल की छवि आक्रामक है, जिसने भाजपा के खिलाफ चुनाव में जीत हासिल करने में बड़ी भूमिका निभाई। वहीं देव अपनी सॉफ्ट छवि की वजह से लोकप्रिय हैं। उनकी राजनीतिक कार्यशैली सबको साथ लेकर चलने की है। 2018 में मुख्यमंत्री पद का फैसला हो रहा था उस वक्त 50 से ज्यादा विधायक सिंह देव के पक्ष में थे। विधानसभा चुनाव के पहले दोनों नेताओं में दोस्ती थी। चुनाव परिणाम के बाद कुर्सी के लड़ाई में दोनों के बीच में सियासी दूरियां बढ़ गईं। सीएम भूपेश बघेल के करीबी और रामानुजगंज विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक बृहस्पत सिंह के काफिले पर कुछ दिनों पहले सरगुजा क्षेत्र में पत्थर फेंके गए थे। ये वह क्षेत्र जहां सिंह देव का अच्छा खासा दबदबा है। घटना के बाद विधायक बृहस्पत सिंह ने देव के खिलाफ आरोप लगाते हुए कहा था कि देव उन पर जानलेवा हमला करा सकते हैं। विधायक के इन आरोपों से सिंहदेव इतने दुखी हुए थे कि उन्होंने आरोपों के संबंध में सरकार की ओर से सफाई आए बिना विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया था। बाद में बृहस्पत सिंह ने आरोपों के लिए सदन में माफी मांगी। सरकार की ओर से गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा सिंहदेव पर लगाए गए आरोप निराधार थे। उसके बाद ही सिंहदेव वापस लौटे। उसके बाद सिंहदेव दिल्ली जाकर अपनी बात रख आए थे। इस पूरे विवाद को सीएम भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के बीच की तनातनी के तौर पर देखा गया।
छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री बने रहेंगे भूपेश बघेल, फिलहाल संकट टला
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