चुनाव खत्म, तेल का खेल शुरू
पांच राज्यों के परिणाम आते ही बढऩे लगे पेट्रोल-डीजल के दाम
उमरिया। देश के पांच राज्यों के मतदान और परिणाम का कार्यक्रम खत्म होते ही पेट्रोलियम कम्पनियों को अचानक अपने कर्तव्य फिर याद आने लगे हैं। बीते तीन दिनो से पेट्रोल और डीजल के दाम लगातार बढ़ाये जा रहे हैं। शहर मे कल साधारण पेट्रोल 100 रूपये 53 पैसे तथा डीजल 91 रूपये 11 पैसे प्रति लीटर हो गया है। जबकि पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तामिलनाडु और पुद्दूचेरी चुनावों के परिणाम से पहले 1 मई को साधारण पेट्रोल 99 रूपये 76 पैसे तथा डीजल 90 रूपये 23 पैसे प्रति लीटर के भाव बिक रहा था, परंतु परिणाम आते ही कम्पनियों ने दाम बढ़ाने शुरू कर दिये। आने वाली 4 मई को पेट्रोल 100 रूपये 7 पैसे और डीजल 90 रूपये 57 पैसे, 5 मई को पेट्रोल 100 रूपये 27 पैसे और डीजल 90 रूपये 79 पैसे तथा 6 मई को पेट्रोल 100 रूपये 53 पैसे एवं डीजल 91 रूपये 11 पैसे कर दिया गया।
महीने भर नहीं बढ़े दाम
देश मे जब भी पेट्रोल और डीजल के दामो मे वृद्धि की बात होती है तो केन्द्र सरकार यह कह कर अपना पल्ला झाड़ लेती है कि यह कम्पनियों का मामला है और अंतराष्ट्रीय बाजार के अनुसार पेट्रोलियम पदार्थो के दाम तय होते हैं। जबकि पिछले कुछ समय के आंकडों पर नजर डालें तो यह साफ हो जाता है कि चुनाव के दौरान अक्सर पेट्रोल-डीजल के दाम स्थिर हो जाते हैं। इतना ही नहीं कई बार तो दाम घटा भी दिये जाते हैं। इस बार जब पांच राज्यों के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हुई तब भी यह रवैया देखा गया। इस दौरान करीब एक मांह तक पेट्रोल और डीजल के दाम पूरी तरह स्थिर रहे। ऐसे मे सवाल उठता है कि क्या केन्द्र सरकार ही पेट्रोल और डीजल को नियंत्रित करती है, और जनता के सांथ हो रही इस लूट मे वह भी पूरी तरह भागीदार है।
फिर बढ़ेंगे रोजमर्रा वस्तुओं की कीमतें
यह सर्वविदित है कि डीजल और पेट्रोल के दामो मे वृद्धि होने से किराया, भाड़ा से लेकर हर वस्तु मंहगी हो जाती है। कोरोना काल मे अपना रोजगार, धंधा खो चुके आम आदमी के सामने जीवन यापन का संकट खड़ा हो गया है। ऐसे मे सरकार से लोगों को राहत की उम्मीद है परंतु वह इसके उलट जनता की कमर तोडऩे का कोई मौका हांथ से नहीं जाने दे रही है।
सरकार से निराश आम आदमी
महामारी ने नकेवल लोगों को आर्थिक विपन्नता की स्थिति मे पहुंचा दिया है बल्कि इसकी वजह से सामने आई स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों ने उनकी पूरी जमा पूंजी छीन ली है। लोग किसी कदर कर्ज लेकर जिंदा रहने की कवायद मे जुटे हुए हैं। सबसे बुरी हालत मध्यम वर्ग की है, जिन्हे घर चलाने के लाले पड़ रहे हैं। उनका साफ तौर पर कहना है कि सरकार से उन्हे अब कोई उम्मीद नहीं है पर आपदा के समय पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ा कर आखिर वह क्या संदेश देना चाहती है।