शाम 6.27 बजे 130 KM दूर से गुजरा, 16 नवंबर को भरी थी उड़ान
वांशिगटन। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा का ओरियन स्पेसक्राफ्ट आज चंद्रमा के सबसे पास से गुजरा। भारतीय समय के अनुसार शाम 6.27 बजे इनके बीच की दूरी सिर्फ 130 किलोमीटर रही। यह सब आर्टेमिस-1 मिशन का हिस्सा है, जिसकी लॉन्चिंग हाल ही में 16 नवंबर को फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर से हुई थी। इस मिशन के तहत नासा ने दुनिया के सबसे शक्तिशाली ‘स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) रॉकेट’ को लॉन्च किया था। उड़ान भरने के कुछ मिनट बाद ही रॉकेट से ओरियन कैप्सूल अलग होकर चांद की ओर रवाना हो गया था। नासा ने ये सब कुछ तीसरी कोशिश में किया। इससे पहले इसी साल 29 अगस्त और 3 सितंबर को भी लॉन्चिंग की कोशिशें हुई थीं, लेकिन तकनीकी गड़बड़ी और मौसम खराब होने के चलते इन्हें टालना पड़ा था।
आर्टेमिस-1 मिशन क्या है?
आर्टेमिस-1, प्रमुख मिशन के लिए एक टेस्ट फ्लाइट है, जिसमें किसी अंतरिक्ष यात्री को नहीं भेजा गया है। इस फ्लाइट के साथ वैज्ञानिकों का मकसद चांद पर एस्ट्रोनॉट्स के लिए सही हालात सुनिश्चित करना है। मिशन के तहत नासा के SLS मेगा रॉकेट के जरिए ओरियन क्रू कैप्सूल चंद्रमा के बेहद करीब पहुंचेगा, लेकिन लैंड नहीं करेगा।आमतौर पर क्रू कैप्सूल में एस्ट्रोनॉट्स रहते हैं, लेकिन इस बार यह खाली है। मिशन 25 दिन 11 घंटे और 36 मिनट का है, जिसके बाद यह धरती पर वापस आ जाएगा। स्पेसक्राफ्ट कुल 20 लाख 92 हजार 147 किलोमीटर का सफर तय करेगा।
चांद के पास क्या करेगा ओरियन?
चंद्रमा की सतह के नजदीक से गुजरते हुए ओरियन स्पेसक्राफ्ट अपोलो 11, 12 और 14 मिशन्स की लैंडिंग साइट्स की तस्वीरें खींचेगा। यह 34 मिनट के लिए पृथ्वी से संपर्क में नहीं रहेगा। संपर्क में वापस आने के बाद डेटा और फोटोज नासा को भेजेगा। पृथ्वी से चांद तक के सफर के दौरान ओरियन पहले ही कई तस्वीरें भेज चुका है।
इंसान को चांद पर भेजेगा आर्टेमिस मिशन
अमेरिका 53 साल बाद एक बार फिर आर्टेमिस मिशन के जरिए इंसानों को चांद पर भेजने की तैयारी कर रहा है। इसे तीन भागों में बांटा गया है। आर्टेमिस-1, 2 और 3। आर्टेमिस-1 का रॉकेट चंद्रमा के ऑर्बिट तक जाएगा, कुछ छोटे सैटेलाइट्स छोड़ेगा और फिर खुद ऑर्बिट में ही स्थापित हो जाएगा।2024 के आसपास आर्टेमिस-2 को लॉन्च करने की प्लानिंग है। इसमें कुछ एस्ट्रोनॉट्स भी जाएंगे, लेकिन वे चांद पर कदम नहीं रखेंगे। वे सिर्फ चांद के ऑर्बिट में घूमकर वापस आ जाएंगे। इस मिशन की अवधि ज्यादा होगी।इसके बाद फाइनल मिशन आर्टेमिस-3 को रवाना किया जाएगा। इसमें जाने वाले एस्ट्रोनॉट्स चांद पर उतरेंगे। यह मिशन 2025 या 2026 में लॉन्च किया जा सकता है। पहली बार महिलाएं भी ह्यूमन मून मिशन का हिस्सा बनेंगी। इसमें पर्सन ऑफ कलर (श्वेत से अलग नस्ल का व्यक्ति) भी क्रू मेम्बर होगा। एस्ट्रोनॉट्स चांद के साउथ पोल में मौजूद पानी और बर्फ पर रिसर्च करेंगे।
आर्टेमिस मिशन की लागत कितनी?
नासा ऑफिस ऑफ द इंस्पेक्टर जनरल के एक ऑडिट के अनुसार, 2012 से 2025 तक इस प्रोजेक्ट पर 93 बिलियन डॉलर, यानी 7,434 अरब रुपए खर्च आएगा। वहीं, हर फ्लाइट 4.1 बिलियन डॉलर, यानी 327 अरब रुपए की पड़ेगी। इस प्रोजेक्ट पर अब तक 37 बिलियन डॉलर, यानी 2,949 अरब रुपए खर्च किए जा चुके हैं।